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Madan Mohan
चाचा चमन लाल सन 1968 में एक सरकारी विभाग में क्लर्क के पद पर भर्ती हुए थे। चाचा जब हमारे साथ एक विभाग में आये तो बड़े हंसमुख और उदार व मज़ाकिया नज़र आए। रामनारायण को चाचा रामू कहते थे ,अरे बेटा रामू चाचा का ख्याल रखले भाई आज तेरी चाची ने फिर चाय नही पिलाई ,चाचा को चाय पिला दे,आशीर्वाद मिलेगा।रामनारायण दफ्तरी को कहता अरे भाई शाहू जी चाचा के लिए चाय ले आओ,तुम हम भी पी लेंगे। शाहू रामनारायण के नज़दीक आकर कहता है साहिब फिर चमन लाल जी आपको चूना लगा रहे हैं।रामनारायण कहता कोई बात नहीं यार बाप के समान हैं जा चाय ले आ ये ले पैसे। चाचा चमनलाल रोज़ एक बाबू पकड़ते औऱ चाय की चुस्कियां भरते,इसके बदले या इस प्रेम में वे मुश्किल से मुश्किल फ़ाइल की नॉटिंग ड्राफ्टिंग व लैटर तैयार करवा कर अफसर तक पहुँचाते । एक दिन सब पूछने लगे कुछ अपने बारे में विशेष बताओ तो चमन लाल जी कहते मुझमेँ कुछ विशेष नहीँ पर हाँ मैं हारमोनियम का टीचर रहा हूँ, आज कोई हारमोनियम नहीँ सीखता ये कला भी भारत से लुप्त होने लगी है ये बड़ा अफशोष की बात है। आप बहुत अच्छी नॉटिंग करते है,ये कैसे सीखी बताइये रामु ने पूछा । अरे रामू नौकरी जाते जाते बची थी इस नॉटिंग के चक्कर मे,वो बड़ा अदभुत वाकया है उसे सुनो,और चमनलाल जी सुनाने लगे ।जिस दिन मैंने ड्यूटी ज्वाइन की ,बड़े बाबू ने कहा फाइलें देख लो पुरानी ,उसी तरह का काम करना होगा। मैने पूरे दिन फ़ाइलें देखी ,कुछ समझ नहीं आया,पूछा भी नहीं। अगले दिन दफ्तर पहुंचा थोड़ी देर बाद बड़े बाबू ने बुलाया और कहा ये लो फ़ाइल कवर और दफ्तरी से टैग ले लो ,एक नोट पूट अप करना है। चमनलाल जी बताने लगे कि वो डरे डरे सहमे से सोच रहे थे कि नोट कैसे पुट अप करें ।लंच टाइम हो गया,खाना भो ढंग से नहीं खाया,डर से भयभीत सीट पर आए बैठे ,फिर वही सोच बड़ी दुविधा थी क्या करे क्या न करें।तीन भी बज गए,अचानक बड़े बाबू ने कहा चमनलाल क्या हुआ नोट पुट अप नही किया जल्दी करो। चमनलाल जी बताते हैं कि डर के मारे आनन फानन में उठकर शौचालय गए,धारीदार कच्छे के नाडे से पुराना सा मुड़ा हुआ दो का नोट निकाला और सीट पर आ कर फ़ाइल कवर में टैग लगाकर फ़ाइल में दो का नोट रख दिया।बंद फ़ाइल दफ्तरी को दी कहा बड़े बाबू के पास रख दो।दफ्तरी ने फ़ाइल रखी बड़े बाबू ने कहा साहिब के पास रख दो कमी हुई तो देखूँगा। अब फ़ाइल साहब के पास थीं आगे सोच लो समझ लो क्या हुआ होगा ,दो दिन बड़े बाबू और अधिकारी डाँटते रहे और सारे विभाग में हंसी हुई।आज तक उस बात के लिए सब हंसते हैं। आज तुम भी मेरी मूर्खता पर हँसलो सभी हंसते रहे और कभी भी वो वाकिया याद आता है तो हंसी दिलाता है। मदन मोहन ©Madan Mohan चाचा चमन लाल सन 1968 में एक सरकारी विभाग में क्लर्क के पद पर भर्ती हुए थे। चाचा जब हमारे साथ एक विभाग में आये तो बड़े हंसमुख और उदार व मज़ाकिय
प्रदीप
डर लगने लगा है बड़ा अब तो अपने ही घर जाने में। कही कोरोना वार ना कर दे मेरे ही आशियाने में।🤔 "प्रदीप" #ड्यूटी#घर#कोरोना
Kumar Manoj Naveen
*कंटोमेंट क्षेत्र में ड्यूटी* संक्रमित इलाके में सतत ड्यूटी, मौत का है डर, चारो तरफ मातम है पसरा, न जाने कौन और कब? चिन्तित परिवार ,पूछे कब आओगे घर, दरअसल पूछने से मतलब,हम खतरे से तो है बाहर। बात कहने में अच्छी लगती है, बीर योद्धा ने जीवन किया अर्पण, वास्तव में उनके बीवी- बच्चों से पूछो, जिनके अपने लौट के न आए घर। खैर मजबूरी ही सही, कर्तव्य पथ पर है अग्रसर, पीछे नहीं हटेंगे, अपनी जान लगा देंगे फर्ज पर। जान देने से यदि संक्रमण होती बेअसर, काश दो-चार जाने होती,बार-बार करते अर्पण। ***नवीन कुमार पाठक *** #संक्रमित क्षेत्र में ड्यूटी #
संदीप एडवोकेट
#NationalYouthDay वो सब रातें अपना कर्ज चुकाती हैं जिनकी नींदें किताबों में खो जाती है। ब्यूटी
Gita
Beauty in 7 Words तन के सुंदर होए सब मन के सुंदर ना होए सब तन तो होए मिट्टी का गागर , भरत जल पनघट पे फूट जाए मन के जो होय सुंदर आत्मा ईश्वर में तल्लीन हो जाए मन के जो होवे साचे मन को वहीं भावे @##ब्यूटी@##
Kavita jayesh Panot
फक्र और गम फक्र करू तेरी काबिलियत पर या करू गम तेरे काम पर अखबारों सुर्खियों में जड़ गया तेरा नाम आज। गर्व हैं हर किसी को कोई बधाई हो कह रहा है में क्या कहु बता मुझे अस्ममंजस के इस वक्त में। सुबह जल्दी निकल जाते हो रातो को देरी से आते हो छोड़ जाते हो इंतजार के कुछ पल और चिंताओं के कुछ प्रश्न मेरे मन के आसमान में। कह नही पाती हूँ दर्द अपना मुझे नही ईर्ष्या तुम्हारे काम पर लेकिन इस वक्त ने मेरे स्नेह को चिंता के साथ जकड़ दिया है। बाँध तो नही सकता कोई उसे जिसे चुना हो खुदा ने ही उसकी लायकी को खुदाई के काम पर। बस दो हाथ उठा दुवाओ की दवा लिए फिरती हूँ सलामत लौट कर आओ तुम हर रोज अपने मुकाम पर। अब तू ही बता फक्र करू तेरी काबिलियत पर या चिंता करू तेरे काम पर। गर्व तो होता है लेकिन मेरा वो प्यार वाला दिल का एक कोना मुझे कुछ कहने नही देता ओरो की तरह मुझे इस वक्त में रहने नही देता । खैर छोड़ो मेरी दुवाओ में असर है इतना जब भी मांगा मेने उससे तेरी खेरियत को वो हर बार खड़ा रहा एक फरिस्ता तेरी सलामती का लेकर। फक्र भी है , चिंता भी है लेकिन अब दुआ भी है चारो पहर तेरे नाम पर।। कविता जयेश पनोत #कोरोना ड्यूटी#फक्र और गम
Sanjeev gupta
Beauty in 7 Words देख मिले सकून वही रियल ब्यूटी टायकून ब्यूटी टायकून
Sopiya_Uday
जिन लड़कियों को ब्यूटी पार्लरों की बदौलत खूबसूरत होने का गौरव हासिल था! Lockdown के बाद उन्हें धक्के मारकर इस श्रेणी से बाहर निकाला जाएगा!! #ब्यूटी पार्लर