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parmod bagri
वो जज भी हैरान था उम्र तेरी न देख क जिसने फांसी की सजा सुनाई थी देखकर हंसी तेरे चेहरे की उस जल्लाद की पिंडी भी थर्राई थी 11 अगस्त 1908 पुण्यतिथि पर नमन Parmod bagri खुदीराम बोस
Dharmendra singh
#AzaadKalakaar चमन में कोई फूल जब असमय ही मुरझा जाए तो चमन को बहुत दुख होता है ।स्मरण कीजिए वह दिन जब कोई 18 साल 8 महीना 8 दिन ही रात की स्याही और दिन का उजाला देखकर सदा के लिए आंखे बंद कर ले तो क्या होगा ।उफ कितना दुखद, कितना भयानक। हिमालय की आंखों से गंगा जमुना बह निकली होगी, आसमान कराह उठा होगा, हवाएं सिसक उठी होंगी ।भारतीय जनमानस उदासी और वेदना के अथाह सागर की अतल गहराई में डूब गया होगा। किंतु उन की आहुति स्वतंत्रता संग्राम की अग्नि को और भी प्रज्वलित कर दिया होगा ।उस अग्निपुत्र खुदीराम बोस के अमर बलिदान को मैं शत-शत नमन करता हूं। ,माता के आंचल को बढ़कर सीने वाले बधाई है वह पागल मर कर भी जीने वाले। 11 अगस्त 2018 खुदी राम बोस की पुण्यतिथि ©Dharmendra singh #खुदीराम बोस
shubhashish
सम्मान हमेशा अमर शहीद खुदीराम बोस ©shubhashish अमरशहीद खुदीराम बोस
Baisa_Raj_Neha_Pandya
एक बेहद कठोर कानून लागू हो ,ना कोई दलील,ना कोई तारीख हों,अब सीधे रोड़ पर फांसी हों। Neha_Pandya #फांसी
reshma kaur
चलो आज अख़बार उठा कर मन में अफसोस तो नहीं हुआ....... क्योंकि हम जानते है कि कुछ नहीं होगा इन बलात्कारियों का!!!! हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने इनके गुनाहों को कम साबित करने के लिए कोई ना कोई चमकार होगा, ऐसा चमत्कार जो सिर्फ निर्दोष साबित करेगा इनको और निर्भया को दोषी। सवाल यही है अब? क्यों चारो पर इतने सालो से दया करी जा रही है? आखिर क्यों दया की बरखा इन पर हो रही है? जो ये लोग हाथ जोड़ रहे है,ठीक वैसे ही हाथ कभी निर्भया ने इन के सामने जोड़े थे.... तब इन लोगो ने कोई दया निर्भया साथ नहीं, अपितु अपनी हैवानियत को दिखया!!!! अब कोई कैसे भूल गया ये चारो कौन है? वो इंसाफ़ की गुहार कहा गई,जो कभी निर्भया की ताक़त बन ऐसी घनोनी सोच रखने वालो के लिए किसी अंत से कम नहीं थी!!!! क्यों? क्या सिर्फ निर्भया के लिए क्यों ही बोलना काफ़ी है? या क्यों इन चारो को फासी दी ये मिसाल कायम करना जरूरी है!!! ##फांसी दो
Ahir Sandeep Singh
हम कायर नहीं हैं अम्मा, हमको जीना रास ना आया, फांसी का फ़न्दा अपना था, बाकी कोई पास ना आया, डेली हम अखबार देखते, और उसमे रोजगार देखते, लेकिन अम्मा कुछ ना मिलता, चाहे जितनी बार देखते, खाली कमरा और गरीबी, ऊपर से बाबू की आशा, पन्नों मे जीवन दर्पन था, चारो तरफ़ थी घोर निराशा, सारे रिश्तेदार पूँछते, गांव और जन्वार पूँछते, जब भी माँ मै घर आता था, पापा के सब यार पूँछते, कैसे उनको बतलाता मै, अपनी व्यथा सुना पाता मै, माँ मै रात -रात भर तेरे, सपनो के खातिर जगता था, फ़िर भी अम्मा मेरा चेहरा, तुझको तो हर पल फ़बता था , माँ मै अक्सर बिन खाये ही रातो को सो जाता था, और सपनो में बड़ी नौकरी,. अक्सर ही मैं पाता था, पर जब नीद खुली तो देखा, ये सब केवल सपना था,. दाल भात और चोखा अम्मा,. ये ही केवल अपना था, अम्मा बिट्टू से कहना कि उसका भाई नही हारा है, अब भी अपनी बहनो को, भाई सबसे प्यारा है, पापा के सपनो के खातिर , खूब लड़ा मैं दुनिया से, सिस्टम से लड़ता था माँ मैं, और सिस्टम की कमियों से, पर अब पापा के आगे, कैसे मैं आ पाऊंगा? उनको हारे योद्धा वाला , चेहरा कैसे दिखलाऊंगा, अब हिम्मत ना बची है अम्मा मुझको माफ़ करोगी क्या? अगले जनम मे फ़िर मुझको अपना बेटा कहोगी क्या? अगले जनम में लौटूंगा जब, नौकरी मिल जाएगी, फ़िर मै घर आऊंगा अम्मा, अबकी यही से जाने दे! बहुत थक चुका हूं अम्मा , फांसी मुझे लगाने दो! 😭😭 ©Ahir Sandeep Singh फांसी #grey
Deepak verma
हमरा कानून पेसा ले के कहीं छोड़ ना दे। इंसानों की मौत से खेलने वाले , ऐसा हैवान फिर कहीं पैदा ना हो। नकली रेमडेसिविर बेचने वाले , को जल्द से जल्द फांसी दो। ©Deepak verma # फांसी दो #COVIDVaccine