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ajay jain अविराम
बेचैन बस षड्यंत्र शतक फिरे शत्रु है सतर्क सोच आयोजन विशेष डरे शत्रु है निर्णय नव सटीकता शरण मृत शत्रु है हमला करे मारे या खुद मरे वही शत्रु है अजय जैन अविराम शत्रु
HP
World Book Day संसार में न तो कोई किसी का मित्र है, न शत्रु है। जो मनुष्य किसी को अपना शत्रु मान कर उस पर क्रोध करते हैं वे वास्तव में अपनी ही हानि करते हैं, संसार विष्णुमय है। शरीर का एक अंग दूसरे अंग का शत्रु कैसे हो सकता है। शत्रु
Parasram Arora
प्रेम और मृत्यु स्वयं क़ी ही परछाईया है अगर मैं प्रेम हूँ तो ये संसार भी मित्र है. अगर मैं घृणा हूँ तो परमात्मा भी शत्रु है ©Parasram Arora मित्र और शत्रु
Devang shukla
अधूरे काम खुदा के नहीं होते,तुम कहते हो। मुहब्बत क्यों बनाई ये उनसे सवाल रखना। दुनिया के मसलों में खुद को बेशक रखना। मगर थोड़ा सा हमारा भी ख्याल रखना। शोर शराबे में बड़ी खामोशी से होगी मेरी मुहब्बत। भटक सकते हो,अपना ध्यान घड़ी की टिक टिक पर मत रखना। मुहब्बत और नफ़रत एक दूसरे के फरीक है। जुदा रह लेना,मगर इनको एक साथ मत रखना। तुम्हारी यादों से वैसे भी होती रहती है मेरी जंग। मेहरबानी आपकी,मेरे दो चार रकीब मत रखना। मुझको लोगों की और लोगों को मेरी आदत तेज़ी से लगती है। गर ठहर ना पाना,नसीहत है खुद को मेरे करीब मत रखना। फरीक: शत्रु [enemy]
Sukhdev
खुदी से मैं हटता जा रहा हूँ, रात-दिन। खुदा से भी कटता जा रहा हूँ, रात-दिन। मेरी जीजिविषा, मेरी यायावरी, अरि! खुद में ही घटता जा रहा हूँ, रात-दिन। ज्यों मैं दर्द में खटता जा रहा हूँ, रात -दिन। त्यों मैं दर्द से छँटता जा रहा हूँ, रात-दिन। चाहता हूँ सदैव समेट सभी साथ, साथ लूँ; पर हर बार स्वयं बंटता जा रहा हूँ, रात-दिन। होनी से जो सटता जा रहा हूँ, रात-दिन। अनहोनी को ही रटता जा रहा हूँ, रात-दिन। माँ का आँचल बनने की चाह में मैं एकल, गुदड़ी-सा ही फटता जा रहा हूँ, रात-दिन। ©Sukhdev अरि = शत्रु। #Twowords
Hiren. B. Brahmbhatt
सबसे बड़ा जो कोई शत्रु दुनिया में है, तो वो तुम्हारे भितर मौजूद है, नाम उसका है " मैं " ©Hiren. B. Brahmbhatt #दुनिया #शत्रु #LostInNature