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Danvir Singh
छोरी जाट कि तुमसे एक मुलाकात फिलहाल इश्क़ मश नही मगर ये शाम की यादें मुक्कमल राहत दे जाती हैं जाट का छोरा है
Dev Rishi
शीर्षक - दादी का जाना...... घर खाली हो जाना बेरंग सी रौनक घर कर जाना घर आंगन दरवाजे पर कोई न आना उनका जाना मेरी खुशीयों का मरण हां याद आज भी है उनकी गोद में सो जाना शाम में स्कूल से लौटकर जब कभी भी आना मेरे हाथों में खाने का खज़ाना खुद ब खुद मिल जाना हां दादी का जाना, मां को घर से बाहर काम को जाना कभी कह न पाएं हम से , पापा को हर दिन उनकी कमी खलना दादी का जाना मेरा बचपना इसी धुंध में खो जाना दादी का जाना... मेरा सब कुछ लुट जाना...... ©Dev Rishi #दादी का जाना....सब कुछ लुट जाना
shabdokapitara
चिंतन में जन्में बच्चे को पालकी की रस्सी पकड़ कर मां बाप का खुशी से झुलाना... और बाद में बड़े होकर उसी रस्सी से बच्चें का झूल कर जान गवां ना... कारण मां बाप का साथ होकर भी साथ ना हो पाना।। #shabdokapitara चिंता में जाना गवाना।।। #NightPath
Kumar Neeraj
चलूं मैं तेरी जानिब,तू गुसारता क्यों है, बाद में नाम ले ले कर,पुकारता क्यों है। मुझे फना भी तूने किया,एक रोज "नीरज", मिटा के फिर से मुझे,...अब संवारता क्यों है।। -नीरज अकेला, तेरा जाना... दिल के अरमानों का लुट जाना...
kamal sharma
राजनीति बहुत जल्द आभिजात्य वर्ग तक सीमित होगा पार्टियों ने इस नई परिपाटी की शुरूवात कर दी है और आंतरिक लोकतंत्र और संघवाद का दंभ भरने वाली भाजपा इस होड़ मे सबसे आगे है ये आम आदमी की नहीं सेलीब्रिटियों की पार्टी होने वाली है।ये अच्छा है आप फिल्मों मे खेल मे बिजनेस में अकूत धन कूटों फिर कैरियर की ढलान में किसी पार्टी पर आ जाओ तुरंत टिकट उठाओ और लड़ लो चुनाव और जीत कर फिर संसदीय ग्लैमर मे आ जाओ ना जन से सरोकार ना देश के मसलों से।लोकसभा हो या राज्यसभा में मनोनित या निर्वाचित थोपे गये ये लोग देश पर बोझ की तरह बैठे है और श्रीमान उन हजारों लाखों कार्यकर्ताओं का क्या जिन्होंने अपने खून पसीने से पार्टी को सींचा हमेशा अपने लिये भी इक संभावना रखी कि कभी तो मै भी अपने क्षेत्र का अपने लोगों का प्रतिनिधित्व करूंगा देश के लिये कुछ सेवा दे सकुंगा कुछ नये विचार लेकर जाऊंगा ये करूंगा वो करूंगा पर अफसोस आपने उनके सपनों पर कुठाराघात किया है।जनता खैरात में खुश कार्यकर्ता नारों मे खुश नेता चापलूसी में खुश और पार्टियां अपने वोट बैंक में खुश । चायवाला भी कभी प्रधान हो सकता है ये एक सुनियोजित जुमला ही है साहेब। #सपनों का मर जाना