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Ravendra
Ramji Mishra
संस्कार पटैरिया
Life and Breath एंबुलेंस सा हो गया है, "ये जिस्म,, सारा दिन घायल दिल को, लिए फिरता है एंबुलेंस सा हो गया है ये जिस्म... Shivam Soni रूहदार Pari aggarwal♥️ Pratibha Tiwari(smile)🙂 Sanskaar Mishra
ठंडा पानी..
अगर रोटी देने का हैसियत नहीं है .तो.मारने का हिम्मत भी मत करो क्योंकि इनके लिए कोई एंबुलेंस नहीं आती है दर्द सभी का होता है चाहे वह इंसान ह
खामोशी और दस्तक
तड़प - 2 #NojotoQuote जाम हटने वाला हैं शायद ....archu असमंजस में थी क्या करे अब जाये या रुके । एक बार फ़िर आवाज़ आई मैडम अन्दर बैठ जाइये ऐसे खड़ी हैं आप अच्छा नही
Bobby(Broken heart)
हमारे समाज की यह मोरल वैल्यू है एंबुलेंस का भाड़ा 4 किलोमीटर के लिए ₹10000 इस सोई हुई और निकम्मी सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दें शर्म आनी चाहिए ऐसे लोगों को यह इंसान नहीं जानवर है नहीं यार इनको तो जानवर भी नहीं बोलना चाहिए यह है शैतान का रूप असली ©Bobby(Broken heart) यह है हमारे समाज की मोरल वैल्यू एंबुलेंस का भाड़ा 4 किलोमीटर के लिए ₹10000 इस निकम्मी और सोई हुई सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी
अशेष_शून्य
कल सुबह जरूर एक नई भोर आएगी ।। -Anjali Rai (शेष अनुशीर्षक में ) मेरी दुनिया उतनी ही है जितना इस खिड़की से दिखती अंदर भी और बाहर भी शाम होते ही मैं भर लेती जुगनुओं को मुठ्ठी में पूरी रात ये तैरते तुम्ह
Vijay Tyagi
हालात बदलने के अब कोई हालात नहीं दूर तलक आते नज़र ऐसे अलामात नहीं ये कौन कह रहा के रात करती है गुनाह दिन के गुनाहों से शायद हुई मुलाकात नहीं मिज़्गां खुलती ही नहीं दिन के उजालों में दिन से मिरि शिकायत करती परेशां रात नहीं रातभर रुककर रात फ़िर रुकती ही नहीं जाने क्यूँ सुनती मेरी ये सुबहा को बात नहीं गुरबत के साए ने दिखला दिए दुनिया के रंग बेमतलब को यारी कर ले ऐसी कोई जात नहीं सभी अच्छे लोग यहाँ कर रहे वादा मुझसे असलियत जानता कोई दो कदम भी साथ नहीं अलामात = चिन्ह , निशान मिज़्गां = पलकें आजकल आसपास जो घट रहा है उसे देखकर लगता है कि हालात अभी नहीं सुधरने वाले हैं ... और इस संकट की घड़ी मे
Vinni Gharami
सारे खिलौने उलट-पुलट कर मैं बाबा से बोली, अब ये सारे खेल हुए पुराने फुटी गुड़िया टूटा बंदुक कैसे.... मारू मैं गोली। अब मुझको भी कोई नया खि
OMG INDIA WORLD
*सकरात्मक आइसोलेशन* 35 वर्षीय एक शख्स प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हैं। एक दिन उसे 102 डिग्री फॉरेनहाइट तक बुखार हुआ और हल्की खांसी थी। डॉक्टर के कहने पर जांच करवाई तो पता चला कि वह करोना पॉजिटिव है। रिपोर्ट देखकर वो शख्स काफी परेशान हो गया था। अपनी ही बिल्डिंग में करोना मिलने की खबर से बिल्डिंग में रहने वाले सारे लोग सकते में आ गए। महानगरपालिका, पुलिस आदि को सूचना दे दी गई। कुछ देर बाद एंबुलेंस आकर उस शख्स को अस्पताल ले गई। सभी ने उनके शीघ्र स्वस्थ होकर लौटने की प्रार्थनाएं की। 15 दिन की जद्दोजहद के बाद वो शख्स अपनी कोरोना नेगटिव की रिपोर्ट हाथ में लेकर अस्पताल के रिसेप्शन पर खड़ा था। आसपास कुछ लोग तालियां बजा रहे थे, उसका अभिनंदन कर रहे थे। जंग जो जीत कर आया था वो लेकिन उस शख्स के चेहरे पर बेचैनी की गहरी छाया थी। गाड़ी से घर के रास्ते भर उसे याद आता रहा "आइसोलेशन" नामक खतरनाक और असहनीय दौर का वो मंजर। न्यूनतम सुविधाओं वाला छोटा सा कमरा, अपर्याप्त उजाला, मनोरंजन के किसी साधन की अनुपलब्धता, कोई बात नही करता था और न ही कोई नजदीक आता था। खाना भी बस प्लेट में भरकर सरका दिया जाता था। कैसे गुजारे उसने वे 15 दिन, वही जानता था। घर पहुचते ही स्वागत में खड़े उत्साही पत्नी और बच्चों को छोड़ कर वह शख्स सीधे घर के एक उपेक्षित कोने के कमरे में गया, जहाँ माँ पिछले पाँच वर्षों से पड़ी थी । माँ के पावों में गिरकर वह खूब रोया और उन्हें लेकर बाहर आया। पिता की मृत्यु के बाद पिछले 5 वर्षों से एकांतवास (आइसोलेशन ) भोग रही माँ से कहा कि _"माँ आज से आप हम सब एक साथ एक जगह पर ही रहेंगे।"_ माँ को भी बड़ा आश्चर्य लगा कि आख़िर बेटे ने उसकी पत्नी के सामने ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर ली ? इतना बड़ा हृदय परिवर्तन एकाएक कैसे हो गया ? बेटे ने फिर अपने एकांतवास की सारी परिस्थितियाँ माँ को बताई और बोला अब मुझे अहसास हुआ कि एकांतवास कितना दुखदायी होता है ? *बेटे की नेगटिव रिपोर्ट उसकी जिंदगी की पॉजिटिव रिपोर्ट बन गयी।* ©OMG INDIA WORLD *सकरात्मक आइसोलेशन* 35 वर्षीय एक शख्स प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हैं। एक दिन उसे 102 डिग्री फॉरेनहाइट तक बुखार हुआ और हल्की खांसी थी। डॉक्