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yarmaudhum
वो इतना शोर मेरे आस पास रखते हैं कि कहीं हम खामोश ना हो जाए। धन्यवाद चक्रधारी।
Shivam Tiwari
Anjuman_e_alfaaz (Govind kushwah)
तुझ संग प्रीत जो मैने लगायी है राह राह पर ठोकर मैने खाई है अब तो आजा हे! सुदर्शन चक्रधारी विरह की अगन जिया मे लगायी है सुदर्शन चक्रधारी #विरह #अगन #जिया #प्रीत #ठोकर #सुदर्शनचक्र #Nojoto #NojotoApp #nojotwriters #Nojotopoetry
Kumar Ashok
हे कृष्ण मुरारी चक्रधारी ।। (Read Caption) हो रहे है चिरहरण यहाँ, अब चिर तुम्हे बढ़ाना होगा l हे कृष्णमुरारी, चक्रधारी कलयुग में तुम्हे आना होगा ll हो रही है धर्मों में लड़ाई, अब धर्
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat बेख़ौफ़ सी ज़िन्दगी में बवाल क्यों कर्मों से चलता चक्र चक्रधारी निराकार निरंतर जारी कोई दोराहे नहीं क्रूर व्यवहार क्यों #god #respect #value #humour #yqbaba #yqdidi #yqquotes Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat बेख़ौफ़ सी ज़िन्दगी में बवाल क्यों कर्मों से चलत
rupesh sharma
मोर पंख सर ,हाथ बाँसुरी, श्याम साँवले हर गोपी को प्यारी। माखन प्रिय अमृत है वाणी, जग में अमर जिनकी है यारी। नन्द के लाल श्री चक्रधारी, राधा मन बसते प्रभु त्रिपुरारी । देवकी अंश यशोदा के परछाईं, कंस संहारक जय बांकेबिहारी। ©rupesh sharma मोर पंख सर ,हाथ बाँसुरी, श्याम साँवले हर गोपी को प्यारी। माखन प्रिय अमृत है वाणी, जग में अमर जिनकी है यारी। नन्द के लाल श्री चक्रधारी, राधा
Vandana
क्या सीधा सरल पन उसको कोई समझ पाता क्या शातिर दिमाग उसमें भी शक करते हैं विभिन्न प्रकार के व्यक्तित्व हैं इस संसार में कोई सीधा सरल अबोध भोला भाला हो जाता है कोई तेज दिमाग शातिर हो जाता है पर बात यह है कि कौन बेह
Bijender Singh
शीर्षक-द्रोपदी द्रोपदी शब्द- शब्द निः शब्द हुए जब चीरहरण के शब्द हुए शर्म- शर्म से शर्मशार हुईं जब सब अपने क्षुब्द हुए आंख पे पट्टी, मुंह पे पट्ट
VINAYAK राधेय
भाग 2 झटके से फिर निंद्रा टूटी विद्युत् कंपन से दौडा उठा केशव की ज्ञान गर्जना से सारा ब्ह्माँड डोल उठा तरकश से तीर खनक उठे टंकार धनुष का प्रबल हुआ पार्थ धरातल पर अए दल में गौरव का प्राण बसा माधव बोले टंकार बजा गान्डीव हाथों पर धारण कर जीवन को जीवित रखने को मर या रण में मारण कर। "राधेय" ©Vinayak Mishra चक्रधर #janmaashtami
kavee...
तक्रार लिहायचे खूप आहे लिहिण्यासारखे काही नाही आठवणी ही खूप आहेत पण सांगण्यासारखे काही नाही... जग आले जवळ माझ्या पण आपलं कोणी वाटत नाही गर्दी खूप दिसते पण माणूस कोणी भेटत नाही जग सुंदर दिसते पण चेहरा नीट कळत नाही भास खूप होतात पण खरं काही कळत नाही आसपास सगळेच होते पण जवळच कोणी वाटलाच नाही लोकांना मित्र कसे भेटतात माझी सावलीही रात्री टिकत नाही खूप झाले लिहून वाचणार तर कोणीच नाही तक्रारी कशाला मांडायच्या? ऐकणार तर कोणीच नाही... तक्रारी असल्या तरी त्या आपल्यापुरता ठेवून जगावं...