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Neel Lokesh Mishra (Insta-Neel3.Mishra)
खामोशियों उतनी थी ठीक हैं, जितने में इज्जत का फालूदा ना हो, जहां इज्जत की बात आए, वहां जुबां का जहर बनना ही ठीक है©✓ ©Neel Lokesh Mishra #walkalone #खामोशियां #उतनी ही #ठीक हैं #जहां #इज्जत #का #फालूदा ना #हो
Varsha Sharma
मैंने तुमसे दोस्ती न की थी यारा, तुम्हें तो अपने दिल में बसाया था क्या तुम भूल गए मुझको, और वो वक्त जो हमने साथ बिताया था ? (Read more in caption👇) क्या याद है तुम्हें, हम स्कूल में कैसे साथ मस्तियां किया करते थे, जब सब खेल रहे होते, तो हम लाइब्रेरी में साथ पढ़ाई किया करते थे क्या याद
Bhupendra Rawat
शर्मा जी :- क्या बात है ? बहुत दिनों बाद यहाँ पर आना हुआ। पंडिताइन :- क्या बताऊँ, बहुत थक गयी थी, तो सोचा थोड़ा mind fresh करने चली जाती हूँ। वैसे आपको तो पता ही है इन दिनों कहाँ बाहर जाया जाता है। शर्मा जी :- हाँ, वो तो सही कह रही है। वैसे करती क्या है,आप? बड़ी कमज़ोर ओर थकी हुई सी लग रही है। या सिर्फ मेरी आँखों का वहम है। पंडिताइन :- हाँ, बिल्कुल सही कह रहे है आप भाई साहब दिन भर काम ही काम आराम करने का वक़्त ही नसीब मैं नहीं है,मेरे। शर्मा जी :- ओह्ह, इतना काम, फिर तो कमज़ोर होना ही है। वैसे करती क्या है,आप? पंडिताइन :- अरे भाई साहब मैं आपको मेरा तो इधर से उधर आना जाना लगा रहता है। एक भाई ऑस्ट्रेलिया और दूसरा अमेरिका में है। मेरे तो सब रिश्तेदार तो बाहर ही सेटल है। FB और WA में बात करते करते मैं भी हर एक मिनट में अपनी जगह भी बदलती रहती हूँ। शर्मा जी :- मन में सोचते हुए । आखिर ये FB और WA होता क्या है। सोचते हुए पूछूं या नहीं। कहीं इज़्ज़त का फालूदा न बन जाये। चलो पूछ ही लेता हूँ। जो होगा देखा जाएगा। शर्मा जी :- वैसे ये FB और WA होता क्या है ? पंडिताइन :- जोर से हँसते हुए, क्या भाईसाहब आपको ये नहीं पता। मैं facebook और व्हाट्सएप की बात कर रही हूँ। शर्मा जी :- हां, सही कहा आपने थक ही जाते होंगे। आप चंद सेकंड में मीलों की दूरी जो तय कर लेती है शर्मा जी :- तो फिर घर का काम करती कब है? आप पंडिताइन :- जरा धीरे से बोलिए कोई सुन न ले। शर्मा जी :- क्यों क्या हुआ। पंडिताइन जी :- कोई सुन लेगा तो अर्थ का अनर्थ हो जाना है। शर्मा जी :- इधर आइये, ये सीक्रेट है पंडिताइन जी :- ओह्ह तो ऐसी बात है। शर्मा जी :- हाँ, यही बात है। घर बर के कामों में मेरा मन नहीं लगता । और करूंगी भी तब न जब मुझे बाहर की दुनिया से फुर्सत मिले। पंडिताइन जी :- चलिए अब चलती हूँ । अब समय हो गया है बाहर की दुनिया घूमने का। और हां भाई साहब किसी को मत बताना । शर्मा जी :- हां जी आपका ये थका देने वाला काम राज़ ही रहेगा। ©Bhupendra Rawat शर्मा जी :- क्या बात है ? बहुत दिनों बाद यहाँ पर आना हुआ। पंडिताइन :- क्या बताऊँ, बहुत थक गयी थी, तो सोचा थोड़ा mind fresh करने चली जाती ह