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Divyanshu Pathak
'विश्वगुरु' बनने का ख़्वाब देखती मेरे देश की नई पीढ़ी को दिशा देने के लिए अभी बड़े सुधार की ज़रूरत है। हमें उनको बताना होगा कि- शान्ति, न्याय,और क़ानून स्थापित करने के लिए हमें पहले उनका उलंघन करना बंद कर देना चाहिए। हमें नैतिक मूल्यों की समझ के साथ बच्चों और महिलाओं को सुरक्षित रखना होगा। यह ज़िम्मेदारी सरकार के साथ आपकी अपनी भी है। जन-आन्दोलनों को सकारात्मक और स्वास्थ्य क़दम के रूप में लोकतंत्र का हिस्सा बनना है विरोधी नहीं। #राजस्थानपत्रिका के द्वारा पूछा गया प्रश्न- लोकतंत्र में जन-आन्दोलनों का क्या महत्व है? : मेरी अभिव्यक्ति के रूप में पेश है मेरा ज़बाब---- :
Anuj Ray
बाद दशकों के बिना विघ्न... न किसी ने मुफ़्त में ज्ञान दिया ,न कोई कड़वी बोली, बाद दशकों के बिना विघ्न के इस बार ,खेली है होली। हमारे रंग गुलाल पे कोई उंगली ना उठाएं, इस लिए संवेदनशील दीवारें ,हमने पहले ही ढक दी। हम नहीं चाहते, समाज में कोई भी वैमनस्य भाव ,इसलिए पहले ही शांति की अपील रखदी। शांति से उनने भी, अमन चैन की मांगी हैं दुआएं, हमने फूल और रंगों के साथ साथ भांग भी घोली। बाद दशकों के बिना विघ्न के इस बार, खेली है होली" ©Anuj Ray #बाद दशकों के बिना विघ्न...
Ek villain
राजनीति के नए दौर में नेताओं के लिए पाला बदल ना इतना सहज हो गया है कि रातों-रात उनका सियासी रंग ही नहीं बल्कि आत्मा में बदल जाती है सियासत में अब इसे न्यू नॉर्मल के रूप में मान्यता मिल चुकी है हालांकि पुराने दौर में कुछ नेताओं के लिए सियासी रंग बदलने के बाद अपने आत्मा को रातों-रात परिवर्तन करना आप भी बहुत सहज नहीं है कांग्रेस से नाता तोड़कर जम्मू-कश्मीर में अपने क्षेत्रीय पार्टी बनाने वाले वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद भी पुरानी पीढ़ी के चंद बचे हुए कुछ ऐसे ही नेताओं में शामिल है कांग्रेस से अलग होने के वक्त आजाद ने उसके नेतृत्व पर पर चाहे जितना भी तीखा हमला बोला हो लेकिन अपनी पुरानी पार्टी को लेकर उनके मुंह कारण अभी तक उतरा नहीं है ©Ek villain #lonely #5 दशकों का प्रेम गुलाम नबी आजाद के साथ कांग्रेसका
manoj kumar jha"Manu"
गगन में चाँद बादलों के बीच से झांकता हुआ देख रहा है। जैसे झाँक रही हैं तुम्हारी आँखे काजल वाली पलकों के बीच। और कभी चाँद कभी छुपता है निकलता है बादलों के बीच। जैसे तुम्हारी आँखे मिचती व खुलती हैं पलकों के बीच।। और ये क्या देख रहा हूँ अब एक चाँद गगन में दूसरा धरा पर और मैं उन दोनों के बीच।। दो दो चाँद
M.S Rind"
दो दो चेहरे लिए फिरते हैं अंदर से कुछ बाहर से कुछ दिखाते हैं। ©M.S Rind" दो दो चेहरे