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Anil Agrahari

#युद्ध #बुद्ध #शुद्ध
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Sunita Singh

जय माँ शारदे
आयी है विपदा बड़ी, जगत पुकारे बुद्ध|
रोते बच्चे हैं यहाँ, हृदय नहीं है शुद्ध||
बसरे गोले बम वहाँ, आग लगी चहुँ ओर|
जहरीली है वायु ये, होगी कैसे शुद्ध||
शब्द सरोवर

©Sunita Singh बुद्ध/युद्ध/शुद्ध

#Drown

बुद्ध/युद्ध/शुद्ध #Drown #विचार

14 Love

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Amit Singhal "Aseemit"

#आत्मा #के #सौंदर्य #का #शुद्ध #रूप
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vibhanshu bhashkar

एक असंतुलित "तराजू" !!
जिसके एक पड़ले पर ...'युद्ध'...
दूसरे पर 'शांति'...
पहले पर मानवकृत बटखरे..जिसमे...
इंसानो की चीख ..
खून से लथपथ बदन..
मासूम बच्चो के कटे ,बिखरे अंग..
सुहागन की फटी साड़ी पर बिखरे..
उसके पति का कटा पाँव , सर, हाँथ आंखे..
एक अट्टहास ... प्रकृति का हम पे...
हमारे विनाश पे...
एक पड़ले पर शांति !!
जिसके प्रकृति दत्त उपहार...
बाप के कंधे पर बैठे..
मासूम चेहरों की मुस्कान..
हरी-भरी फसले, नदिया, वन, उपवन
एक सुहागन का सिंदूर...
विधवा माँ के गोदी में हँसता ..
उसके..बच्चे का सर...
शांति की वकालत करना..'पर्यावाची' है...
 बुजदिली ,कायरता और देशद्रोही का..
युद्ध की वकालत करना...'पर्यावाची' है...
बहादुरी ,शौर्य और देशप्रेम का...
कौन पड़ला भारी....?
हजार लोग हजार मत...
आपका भी मत होगा पुर्वत..
घिसी-पीटि भाषा मे..
दानव के साथ दानव...
मानव के साथ मानव का .."व्यवहार" ... 
परंतु क्या यह...
सम्पूर्ण ,और संतुष्टि भरा..उत्तर है...???
तलाश..... #NojotoQuote युद्ध और बुद्ध..

युद्ध और बुद्ध..

5 Love

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Bharat Bhushan

जिवन बहते हुए नदी के समान है। इसे सदा शुद्ध रखना चाहिए।

©Bharat Bhushan #Srk&Katrina शुद्ध रहो, बुद्ध रहो।

#SRK&Katrina शुद्ध रहो, बुद्ध रहो। #विचार

7 Love

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( prahlad Singh )( feeling writer)

सिर्फ ईटों के बने मकान को घर नहीं कहते,  घर उसे कहते हैं  जिसमें मातपिता समान घर की नींव हो, बड़े भाई समान घर की छत ,बहन समान घर की मजबूती और बच्चों समान  घर की  खुशियां और घर का वह हर सदस्य  जो   मकान को घर बनाता है #Sapne_ka_ghar  घर का हर सदस्य

#Sapne_ka_ghar घर का हर सदस्य

17 Love

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Anamika

    अंतरात्मा गर शुद्ध हो,
       समझो बुद्ध हो.. #बुद्ध #शुद्ध #YourQuoteAndMine
Collaborating with Anuup Kamal Agrawal

#बुद्ध #शुद्ध #YourQuoteAndMine Collaborating with Anuup Kamal Agrawal

0 Love

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Babli BhatiBaisla

लंबे चौड़े खेतों में खलिहानों में शुद्ध हवा का राज
खुली छोटी चारदीवारी में सांझे आंगन की बात

और खुले आसमान तले बिछीं खाटों के ठाठ
हमें याद आती है वो ही सारी बहुत भली सी बात
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla
  शुद्ध हवा का राज

शुद्ध हवा का राज #शायरी

1,221 Views

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kamal gururani

ये कौन लोग हैं जो बम बनाते हैं ?
इनसे अच्छे तो कीड़े है जो रेशम बनाते हैं। 
(अज्ञात)

©kamal gururani #यूक्रेन #रूस #युद्ध
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Sarita Malik Berwal

बारूद के ढेर पे बैठी है दुनिया
इसे चिंगारी ना दिखाओ
ये आग जला देगी सबको
बस इस आग को बुझाओ

©Sarita Malik Berwal #रूस-यूक्रेन युद्ध

#रूस-यूक्रेन युद्ध #विचार

12 Love

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Snehi Uks

शुद्र नहीं हम शुद्ध हैं,
क्योंकि रग-रग
 में मेरे बुद्ध है,
नही मानता मैं ऊंच-नीच 
ढोंग पाखंड को 
क्योंकि यह मानवता
 के विरुद्ध है... #Buddha_purnima #शूद्र #मानव #शुद्ध #वीर #बुद्ध #नही #मानता #क्यों #की
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Sanjay kumar

समाजसेवी सदस्य

समाजसेवी सदस्य #ज़िन्दगी

27 Views

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abhishek💞

प्रेम क्या है ??

दिल का युद्ध 
दिमाग के विरूद्ध दिल का युद्ध !!

दिल का युद्ध !! #Quote

7 Love

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Hemant Kushwah

पानीपत का युद्ध

पानीपत का युद्ध #कॉमेडी

27 Views

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Amit Singhal "Aseemit"

नागरिकों को दिन रात जब सताता है युद्ध का आतंक,
उनके लिए तो यह ज़हरीला होता जैसे साँप का डंक।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #युद्ध #का #आतंक
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Ek villain

शुक्रवार के संस्करण में प्रकाशित अजय खेमरिया लिखित आलेख मेडिकल शिक्षा का कमजोर ढांचा एक प्रकार से आंखें खोलने वाला है यह दिखाता है कि स्वतंत्र के इतने दशक बीत जाने के बावजूद भारत की किस प्रकार चला गया उसमें भी देश की एक बड़ी आबादी की सहमति करने वाले उत्तर भारत के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव या अन्याय हुआ आखिर क्या कारण है कि उत्तर प्रदेश बिहार हिमाचल हरियाणा और तमाम भारतीय राज्यों के छात्रों को सुदूर देशों में शिक्षण के लिए जाना पड़ा इससे कई तरह के नुकसान नहीं है इससे जहां में हमारी पूंजी का लाभ दूसरे देशों को मिलता है वही प्रतिभा पलायन के साथ मानव संसाधन की क्षमताओं से भी देश को हाथ धोना पड़ता है ऊपर से जिस प्रकार की परिस्थितियां इस समय यूक्रेन में निर्मित हुई है उसी उससे सरकार की उर्जा और संसाधनों को भी दूसरे देशों में मोड़ दिया है साथ ही घर वालों के लिए अलग से ही चेतना और चेतावनी का कारण बन गया जिस प्रकार देश के कॉमेडी के दौरान कई वस्तुओं के उत्पादन में आत्मनिर्भर की थी उसी प्रकार की आपदा को भी स्वास्थ्य शिक्षा के ढांचे में सुधार का अवसर बना लिया है

©Ek villain #शुद्ध स्वास्थ्य शिक्षा का ढांचा

#MusicLove

#शुद्ध स्वास्थ्य शिक्षा का ढांचा #MusicLove #Society

10 Love

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Sagar vm Jangid

भारत दुनिया को युद्ध नही 
भारत दुनिया को बुद्ध देता है। भारत दुनिया को युद्ध नही बुद्ध देता है

भारत दुनिया को युद्ध नही बुद्ध देता है

13 Love

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Prashant Mishra

निश्छलता का प्रारूप है  'माँ' इस धरती पे
स्नेह का सच्चा स्वरूप है 'माँ' इस धरती पे
दुनिया में 'माँ' के जैसा नहीं  कोई दूजा है
भगवान का सच्चा रूप है 'माँ' इस धरती पे

--प्रशान्त मिश्रा #"माँ" का रूप

#"माँ" का रूप

0 Love

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अर्पिता

आज माँ का एक रुप देखा ,
दिनभर बच्चों के काम किये जा रही थीं,
अपनी उलझने भुलाकर उन्हें सुलझाना सीखा रही थी,
अपने खट्टे मीठे अनुभवों से उन्हें जीना सीखा रही थी,
अपनी सहनशीलता का परिचय जता रही थी,
नामचिन चाय की चुस्कियों के साथ दिन बनाये जा रही थी,
उनके हर एक पल को तराशती जा रही थी,
नाजुक सी कलियों को फूल बनना सीखा रही थी,
अपनी सतयुग की कहानियां इस कलयुग में सुनाए जा रही थी,
अपने भोलेपन से सभी के दिलों को जीतना सिखाए जा रही थी,
सिर्फ वो ही ये सब करे जा रही थीं,
अपने बच्चों को प्रत्यक्षता का ज्ञान कराए जा रही थी,
अपनी ही ममता को लुटाये जा रही थी,
बहुत प्यार दुलार से बात किये जा रही थी,
और इन्ही बातो के जरिये सब कुछ सिखाये जा रही थी,
ज़िन्दगी का मतलब बताये जा रही थी,
इस संसार मे अपनी महत्वता को बनाये जा रही थी,
थोड़ा ध्यान से देखा तो साक्षात देवी सी प्रतीत हो रही थी।।

©अर्पिता #माँ का रूप

#माँ का रूप #Thoughts

16 Love

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Ashish Singh

लक्ष्मी का रूप

लक्ष्मी का रूप #Quotes

1,540 Views

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TheBoyWithPen

अपने कुछ सपनों से मैंने कहा की देर से आना,
अभी पूरा करने दो उनका सपना जो कभी खुद के लिए कोई सपना नहीं देख पाए।

©TheBoyWithPen घर का एक जिम्मेदार सदस्य 😊

#Dreams #family #love

घर का एक जिम्मेदार सदस्य 😊 #Dreams #Family #Love #विचार

24 Love

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Parasram Arora

कविता  कैसी  भी हो   उसे समझने 
मे  कठनाई  नहीं होती 
क्योंकि  ज्यादातर  रचनाओं मे  
आनंद   वेदना  प्रेम  और  आश्चर्य  क़े  भाव  होते है 
और  ये सारे   भाव  हर किसी मे   प्रायः  
मौजूद  ही  होते हैँ  
अब ये बात अलग  है  क़ि उस रचना  का  जायज़ा 
अपनी  अपनी   पसंद  से  श्रोता  या पाठक  तय  करते हैँ 
किसी को. वह रचना  आध्यात्मिक यात्रा क़े लिए  तैयार 
कर सकती है तो किसी  मे प्रेम की  पींगे    बढ़ाने  की 
दिलचस्पी से  भर  सकती  है 
कोई  विचलित   या विक्षप्त  श्रोता  या  पाठक उसे  दर्शनशास्त्र का  विषय बना सकता है  या फिर  कोई  उस कविता को मधुर स्वरों  मे  गाकर 
गायक  भी  बन   सकता है # कविता  क़े  रूप  अरूप.......

# कविता क़े रूप अरूप.......

10 Love

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Deepak Sisodia

#एक रूह एक रूप

#एक रूह एक रूप

711 Views

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Diwan G

महकी महकी सी फ़ज़ा,
कि महका महका तेरा रूप है।

जब से तुमको पाया है,
जीवन में खुशियों की धूप है।

©Diwan G
  #रूप #धूप #जीवन #फ़िज़ा
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जीतू मिश्रा (विद्रोही जी).!!

निर्बल बकरों से बाघ लड़े,भिड़ गये सिंह मृग-छौनों से
घोड़े गिर पड़े गिरे हाथी,पैदल बिछ गये बिछौनों से
हाथी से हाथी जूझ पड़े ,भिड़ गये सवार सवारों से
घोड़ों पर घोड़े टूट पड़े,तलवार लड़ी तलवारों से
हय-रूण्ड गिरे¸गज-मुण्ड गिरे,कट-कट अवनी पर शुण्ड गिरे
लड़ते-लड़ते अरि झुण्ड गिरे,भू पर हय विकल बितुण्ड गिरे
क्षण महाप्रलय की बिजली सी,तलवार हाथ की तड़प–तड़प
हय–गज–रथ–पैदल भगा भगा,लेती थी बैरी वीर हड़प
क्षण पेट फट गया घोड़े का,हो गया पतन कर कोड़े का
भू पर सातंक सवार गिरा,क्षण पता न था हय–जोड़े का
चिंग्घाड़ भगा भय से हाथी,लेकर अंकुश पिलवान गिरा
झटका लग गया,फटी झालर,हौदा गिर गया¸निशान गिरा
कोई नत–मुख बेजान गिरा,करवट कोई उत्तान गिरा
रण–बीच अमित भीषणता से,लड़ते–लड़ते बलवान गिरा
मेवाड़–केसरी देख रहा,केवल रण का न तमाशा था
वह दौड़–दौड़ करता था रण,वह मान–रक्त का प्यासा था
चढ़कर चेतक पर घूम–घूम,करता सेना–रखवाली था
ले महा मृत्यु को साथ–साथ,मानो प्रत्यक्ष कपाली था
रण–बीच चौकड़ी भर–भरकर,चेतक बन गया निराला था
राणा प्रताप के घोड़े से,पड़ गया हवा को पाला था
गिरता न कभी चेतक–तन पर,राणा प्रताप का कोड़ा था
वह दोड़ रहा अरि–मस्तक पर,या आसमान पर घोड़ा था
जो तनिक हवा से बाग हिली,लेकर सवार उड़ जाता था
राणा की पुतली फिरी नहीं,तब तक चेतक मुड़ जाता था
सेना–नायक राणा के भी,रण देख–देखकर चाह भरे
मेवाड़–सिपाही लड़ते थे,दूने–तिगुने उत्साह भरे
क्षण मार दिया कर कोड़े से,रण किया उतर कर घोड़े से।
राणा रण–कौशल दिखा दिया,चढ़ गया उतर कर घोड़े से
क्षण भीषण हलचल मचा–मचा,राणा–कर की तलवार बढ़ी
था शोर रक्त पीने को यह,रण–चण्डी जीभ पसार बढ़ी
वह हाथी–दल पर टूट पड़ा,मानो उस पर पवि छूट पड़ा
कट गई वेग से भू ऐसा,शोणित का नाला फूट पड़ा
ऐसा रण राणा करता था,पर उसको था संतोष नहीं
क्षण–क्षण आगे बढ़ता था वह,पर कम होता था रोष नहीं
कहता था लड़ता मान कहां,मैं कर लूं रक्त–स्नान कहां
जिस पर तय विजय हमारी है,वह मुगलों का अभिमान कहां
भाला कहता था मान कहां¸,घोड़ा कहता था मान कहां?
राणा की लोहित आंखों से,रव निकल रहा था मान कहां
,,,श्याम नारायण पाण्डेय

©ब्राह्मणवंशी जीतू मिश्रा (विद्रोही जी) @हल्दीघाटी का युद्ध 'चेतक'

@हल्दीघाटी का युद्ध 'चेतक' #Mythology

27 Love

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Ruchi Rathore

बुद्ध से ज्यादा कोई नही बोला,,
 और बुद्ध से ज्यादा चुप भी कोई नही... 
जिसका मन शुद्ध है..
वही बुद्ध है...!!

©Ruchi Rathore #बुद्ध से ज्यादा कोई नही बोला,, और बुद्ध से ज्यादा चुप भी कोई नही... जिसका मन शुद्ध है..वही बुद्ध है...
#BuddhaPurnima

#बुद्ध से ज्यादा कोई नही बोला,, और बुद्ध से ज्यादा चुप भी कोई नही... जिसका मन शुद्ध है..वही बुद्ध है... #BuddhaPurnima #शायरी

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