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राजेश कुमार बी.जी

#छैल छैल बहु... आदमी गुणौ तै सौणा ###

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vishnu prabhakar singh

लो आ गयी संवर कर छबीली धूप.. सुप्रभात 😄🙏🌻.. #धूपकासफ़र #सुनो #सूरजकापैग़ाम #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #उजाले #yqmorningthought

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धूप एक दिन झिझक गया
बादल के पीछे ठिठक गया
मनभर कर गीला हुआ धूप
बादल संग रंगीला हुआ धूप
छटा बिखर गई  आसमानी
लजाय धूप रेनबो की रवानी 
लो आ गयी संवर कर छबीली धूप.. 

सुप्रभात 😄🙏🌻..

#धूपकासफ़र 
#सुनो 
#सूरजकापैग़ाम

Ek Benaam Shayar

अगर आपके Friends भी आपकें लिए खाश हैं तो ये Dp लगाओ..👇👇👇👇 मेरें दिल के छल्लो याद आ गई तुम्हारी 😘😘 #friends #forever #SAD #Shayari #शायरी #nojotophoto

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 अगर आपके Friends भी आपकें लिए खाश हैं तो ये Dp लगाओ..👇👇👇👇
मेरें दिल के छल्लो याद आ गई तुम्हारी 😘😘




#friends #forever #sad #shayari

Kiran Bala

थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली आई झाँसी में बन वो दुल #HindiPoem #kavishala #nojotohindi #kalakaksh #hindinama #TST #kiranbala #Lakshmibai

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झाँसी की रानी  थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी
था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली
ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली
निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली
आई झाँसी में बन वो दुल्हन नवेली
 थी खेली वक्त ने भी आँख- मिचौली 
हुई विधवा,रह गई निसंतान अकेली
तब धूर्त डल्हौजी ने चाल एक खेली
लैप्स की आड़ में, झाँसी थी ले ली
 दत्तक पुत्र को ले संग-साथ छबीली
नाना ,ताँत्या, के संग  बना के टोली
बन रण-चण्डी, रक्त की खेली होली
घबराए फिरंगी,फौज वापस थी ले ली
थे धूर्त फिरंगी चाल फिर वापिस खेली
घेरा रानी को तब जब वो थी अकेली
कर वार पर वार बच निकली छबीली
पर दुष्टों ने घोड़े की जान थी ले ली
ले नया घोड़ा वो बढ़ चली अकेली
था नाला सामने जिद घोड़े ने कर ली
घिर चुकी थी अब वो मनु फुर्तीली 
हारी नहीं, अन्त तक लड़ी अलबेली 
घबराए ह्यूरोज ने कटार पीछे से फेंकी
मरते हुए भी प्राण उसके वो ले गई 
है धन्य धरा आज भी तुमसे छबीली
अमिट रहेगी,सदैव यश-गाथा तेरी थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी
था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली
ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली
निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली
आई झाँसी में बन वो दुल

कवि राहुल पाल 🔵

"पनिहारन " लेखक - कवि राहुल पाल दिनांक -७ जून २०२१ **************** इक नार नवेली,छैल छबीली चली इठलाती पनघट पर , कर में कंगना ,कमर करधनी, न #कविता #nojotohindi #nojotowriters #nojotonews #KRP #Paniharan

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©कवि राहुल पाल "पनिहारन "
लेखक - कवि राहुल पाल 
दिनांक -७ जून २०२१ 
****************
इक नार नवेली,छैल छबीली चली इठलाती पनघट पर ,
कर में कंगना ,कमर करधनी, न

Yashpal singh gusain badal'

प्रिया मन  की आँखोँ मेँ अक्ष तुम्हारा मुस्काता है । मेरे अधरोँ पर नाम तेरा ही क्यों आता है । तू चंचल तेरे चितवन प्यार #कविता #creativeminds

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प्रिया
मन     की    आँखोँ    मेँ
अक्ष तुम्हारा मुस्काता है ।

मेरे अधरोँ पर नाम तेरा
ही    क्यों   आता   है ।

तू  चंचल  तेरे  चितवन   प्यारे,
अल्हड़,शोख, मोहक,कजरारे ।

क्योँ   जाने   सपनोँ   मेँ   मेरे,
अक्ष तुम्हारा ही क्योँ आता है ।

यौवन  की मधुमास छबीली ,
तू महफिल की,शाम नशीली ।

तेरा सुन्दर  रूप  सलौना ,
मेरे मन को क्योँ भाता है ।

काले-काले   केश    घनेरे ,
चाँद को ज्योँ हो बादल घेरे ।

ऐसी मोहक छटा अनूठी ,
मेरे  मन को सरसाता है ।

ले0 यशपाल सिँह "बादल"

©Yashpal singh gusain badal' प्रिया
मन     की    आँखोँ    मेँ
अक्ष तुम्हारा मुस्काता है ।

मेरे अधरोँ पर नाम तेरा
ही    क्यों   आता   है ।

तू  चंचल  तेरे  चितवन   प्यार

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी पेज-24 अगले दिन सुबह का सूरज उगने को है... पंछियों का कलरव कोई सुखद ख़बर आने का संकेत दे रहा है तभी कथाकार की पहली दृष्टि अ #प्रेरक

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पेज-24
अगले दिन सुबह का सूरज उगने को है... पंछियों का कलरव कोई सुखद ख़बर आने का संकेत दे रहा है तभी  कथाकार की पहली दृष्टि अचानक "बिजली" पर पड़ी.. ! बिजली.. ! कौन बिजली..?  वही जो ताऊ जी के साथ सुधा के घर आ धमकी...! गांव की छोरी..छैल छबीली...आँगन में मुख चमका रही है..!अपने घर से श्रृंगार पेटी लाई है.. श्रृंगार पेटी.. एक टिन चादर की छोटी सी संदूक..! संदूक में ताला..!  ताले के अन्दर बोरोप्लस, सरसों का तेल, मुरदाशंख, बड़ी कंधी, ककई, पॉन्ड्स पाउडर, मोंगरा इत्र की शीशी...! छोटा सा आईना..! मटमैले रंग की घाघरा चोली में केशरिया दुप्पटा कमर में कसा हुआ... दाहिने हाथ में गुदना गुदा... " कजरी मेरी मइया ".. बाएं हाथ में बिजली... !
नैलपॉलिस कत्थाई रंग लग रहा है ...  मुख में बोरोप्लस लिपा पुता सा दिखता है.. दो चोटी लाल फीते में कान के ऊपर दो गोले बनाये हुये...बालों में मन भर सरसों का तेल चुपड़ा हुआ कानों के पास से बूंद बूंद रिस रहा है... सामने बालकनी में हमारी पुष्पा जी अपने दांतों की परवरिश में लगी बड़े गौर से बिजली का श्रृंगार देख रही हैं.. तभी इतने में जे.एल.फेमिली पुष्पा जी के घर से गुजरते हुये मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं..पुष्पा जी बालकनी में मुखमंजन करते हुये तीनों को बड़े गौर से देखती हुई और..तभी उनका ब्रश दांतों की पकड़ से छूटकर नीचे गिर जाता है.. और अचानक पुष्पा जी के ज्ञान चक्षु जाग्रत होते ही...
आगे पेज-25

©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी 
पेज-24
अगले दिन सुबह का सूरज उगने को है... पंछियों का कलरव कोई सुखद ख़बर आने का संकेत दे रहा है तभी  कथाकार की पहली दृष्टि अ

Ravi Panday

जय भवानी⚔🔱🚩🔱⚔ वो खिलौनों से खेलने की उम्र में हथियारों से खेला करती थी। राजा रानी के किस्से सुनने की वजह राष्ट्रप्रेम के किस्से सुनती थी।दुश #Quotes #India #Inspiration #poem #Shayari #gwalior #idol #pandayji #mypoets #queenofjhansi

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 जय भवानी⚔🔱🚩🔱⚔
वो खिलौनों से खेलने की उम्र में हथियारों से खेला करती थी। राजा रानी के किस्से सुनने की वजह राष्ट्रप्रेम के किस्से सुनती थी।दुश

पवन कश्यप

देखे मेरी दो भाइयां में बैठा उठी तू ओल्हा कर बतलाया करिए...। काम करण जब मैं जाऊं खेत में तू मेरी चा लेकै नै आया करिए..। हाँ जाणु सूं तू फैशन #Lights

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देखे मेरी दो भाइयां में बैठा उठी तू ओल्हा कर बतलाया करिए...।
काम करण जब मैं जाऊं खेत में तू मेरी चा लेकै नै आया करिए..।
हाँ जाणु सूं तू फैशना की छैल छलन्दरी मैं बालक सीधे बाणे का..।
तू मेरे कदमा तै कदम मिला कै नै पसीन्या की टूम सजाया करिए..।
काम करण जब मैं जाऊं खेत में तू मेरी चा लेकै नै आया करिए..।

यो सच है कि साँसा पे नाम तेरा भले मैं जान देऊं ना..।
आली सुखी भले खाण नै पर आंख्या में आँसू आण देऊं ना..।
तेरे साथ तै होवै गुजारा तू मेरा कहण पुगाया करिए..।
तेरे आण तै घर होज्या रोशन तू हँसी के दीप जलाया करिए..।
काम करण जब मैं जाऊं खेत में तू मेरी चा लेकै नै आया करिए..।

©पवन कश्यप देखे मेरी दो भाइयां में बैठा उठी तू ओल्हा कर बतलाया करिए...।
काम करण जब मैं जाऊं खेत में तू मेरी चा लेकै नै आया करिए..।
हाँ जाणु सूं तू फैशन

यशवंत कुमार

तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ मैं रंग-रंगीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ, मैं छैल-छबीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ, तु है कि जर्रे-जर्रे में समायी है; #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes

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तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ 

मैं रंग-रंगीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ,
मैं छैल-छबीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ,
तु है कि जर्रे-जर्रे में समायी है;
मैं भीड़ में अकेला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ!!
              मौज़ूदगी तेरे अक्स की हर ओर पाता हूँ,
              मैं पागल हवा संग बहता जाता हूँ,
              तु पल-पल, नए-नए स्वांग रचती है;
              मैं आशिक़ अलबेला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ!!
अनजानी राहों पर बढ़ता जाता हूँ,
कितने ही सपने मैं गढ़ता जाता हूँ,
तपिश तेरी जुदाई की इतनी ज़्यादा है;
मैं अंग-अंग गीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ!!
             मेरी हर ख़्वाहिश का वज़ूद तु है,
             मेरी बढ़ती बेसब्री का राज़ तु है,
             चिंगारी भड़काई है तुमने शमा बनकर मुझमें;
             और अब मैं शोला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ!! तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ 

मैं रंग-रंगीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ,
मैं छैल-छबीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ,
तु है कि जर्रे-जर्रे में समायी है;
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