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vishnu prabhakar singh

रेत प्रभावित होकर भी अप्रभावित रहता है। रेत पर लिखा था कुछ, पढ़ नहीं सके जिसको। #रेतपर #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating wit #विप्रणु

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रेत पर लिखा था कुछ
अनु क्षण में
वृहत मानदण्ड पर
समस्त कारगुजारी!
पूर्ण ज्ञान है मुझे
हर तरंग सचेत कर रही थी
पर रेत नियति का मारा
ढह गया, विलीन हो गया
जैसे; लुप्त होता है
साधारण! रेत प्रभावित होकर भी अप्रभावित रहता है।


रेत पर लिखा था कुछ,
पढ़ नहीं सके जिसको।
#रेतपर #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating wit

vishnu prabhakar singh

खुशहाली से बड़ी रखवाली! हृदय का पौधा सींच भाव का मृदा करुणा भरी एक प्रकृति तटस्थ #yqbaba #yqdidi #विप्रणु

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हृदय का पौधा
सींच भाव का
मृदा करुणा भरी
एक प्रकृति तटस्थ
कोमल कली समता
मूल अप्रभावित रखना!
प्रकृति नियंत्रित है
फल,प्रतिफल हेतु
प्रेम की बोआई
सनातन बन अटल
तुम्हें जीत नहीं
व्यपार में कदाचित!
मानव का धर्म
शांति का दूत
विस्तृत शिष्ट गगन
कीर्ति की मृदा
तुम्हें हार मिली
जबकि,प्रकृति तटस्थ! खुशहाली से बड़ी रखवाली!



हृदय का पौधा
सींच भाव का
मृदा करुणा भरी
एक प्रकृति तटस्थ

Preeti Karn

#अनकही #अनुक्रमणिका: विषय सूची #पृष्ठपोषण : सहायता #प्रहेलिका : पहेली #परिवर्तन #yqhindi #yqhindiquotes सृष्टि ग्रंथ की अनुक्रमणिका पर

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सृष्टि ग्रंथ की अनुक्रमणिका
पर अंकित
प्रथम अध्याय  
परिवर्तन का उल्लेख
सारी संभावित अवधारणाओं से
उपजे प्रश्नचिन्हों  पर
एक विराम है।
अब किसी ताने उलाहने के
पृष्ठपोषण की गुंजाइश नहीं।
हां ! मैं समझने लगी हूं...
अबूझ संबंधों की प्रहेलिका!
परिवर्तन की प्रक्रिया का 
सुलझता स्वरूप।
कल-कल बहती नदी की
निश्छल  सौम्यता और पवित्रता
समय और परिस्थितियों
की अनुकूलता  प्रतिकूलता से
अप्रभावित नहीं रहीं।
शीत ताप से पिघलती जमती
कभी तरल और कभी पाषाण
प्रकृति की अवहेलना
का सामर्थ्य कहां
रखती....
समय के साथ 
परिवर्तन स्वीकार्य है...!
      प्रीति

 #अनकही
#अनुक्रमणिका:  विषय सूची
#पृष्ठपोषण : सहायता
#प्रहेलिका  :  पहेली
#परिवर्तन 
#yqhindi #yqhindiquotes
 सृष्टि ग्रंथ की अनुक्रमणिका
पर

Pnkj Dixit

🚩जय श्री राम 🚩🕉️🙏 महामानव की उपमा सदैव चन्दन वृक्ष से दी जाती रही है । सर्प जैसे दुष्ट प्राणी भी उनके संसर्ग से दुष्टता भूलकर शा

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🚩जय श्री राम 🚩🕉️🙏

         महामानव की उपमा सदैव चन्दन वृक्ष से दी जाती रही है । 
सर्प जैसे दुष्ट प्राणी भी उनके संसर्ग से दुष्टता भूलकर 
शान्ति का अनुभव करते है । 
परन्तु उनके विष दोषों से सत्पुरूष 
नितान्त अप्रभावित रहते है । 
अपना प्रभाव -  सुगन्ध , आसपास के वृक्षों 
तथा क्षेत्र पर डालते रहते है । 
कटने , घिसने , पिसने , जलने पर भी सुवास ही देते है । 
सभी उन्हें सम्मान सहित माथे से लगाते है , 
देवताओं पर चढाते है । इसीलिये स्वंय धन्य होतें है , 
सम्पर्क के व्यक्ति और क्षेत्र भी धन्य बन जाते है । 

   सद्विचारों को अपनाकर एवं देश - समाज कल्याणार्थ हेतू 
अपना जीवन जीते हुए 
सभी के ह्रदय में वास करते हुए चिरंजीवी बनो। 
ॐ 🚩🙏🚩

३१/०७/२०१९
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🚩जय श्री राम 🚩🕉️🙏

         महामानव की उपमा सदैव चन्दन वृक्ष से दी जाती रही है । 
सर्प जैसे दुष्ट प्राणी भी उनके संसर्ग से दुष्टता भूलकर 
शा

reena agrawal

#उफ़्फ़फ़फ़

प्रेम की पूर्णता प्रेम में ही समायी हैं
प्रेम कोई #असाधारण नहीं
बस इसमें #आत्मीय होना पड़ता
इसकी बातें #अवर्णिनीय हैं
#अनहद काल से समझने के लिए
#अपूर्ण कोशिश की
कहना #अतिश्योक्ति नहीं कि
#अद्भूत शक्ति हैं ये
जो हमें #अद्वेत रूप से जोड़े हैं
#आकस्मिक दो दिल टकरा जाते हैं
#अधीर हो जाते है एक-दूजे के लिए
भावना हो जाती है #अनियंत्रित
संसार से हो जाते #अनपेक्षित
प्रेम #अकारण ही समाज से दूर ले जाता
#अचरज की बात ये की 
दोनों #अचल सामना करते समाज का
प्रेम के #अचूक बन्धन से
आज कोई #अचंभित नहीं
कायनात #अप्रभावित नहीं हैं
जानते हैं इस #अलौकिक प्रहार को
#अपराधी कोई नहीं हालात हैं
#अकारण ही तीखी नज़रे
#अपेक्षित कर जाती 
#अचरज भरे माहौल में
#अबीर-गुलाल जब छाने लगती
#अचंभित समूह आ कर
#अकल्पीय बाते करने लगता हैं
वो जानते नहीं क्या
इस #अनुपम इश्क़ को
जो दिल की #अदालत का
#आगाज हैं
#आगाज हैं...

#रीना #उफ़्फ़फ़फ़

प्रेम की पूर्णता प्रेम में ही समायी हैं
प्रेम कोई #असाधारण नहीं
बस इसमें #आत्मीय होना पड़ता
इसकी बातें #अवर्णिनीय हैं
#अनहद काल से स

HP

प्रभावित

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उज्ज्वल एवं आशाजनक भाव रखने वाले को घाटे का दुःख, अभाव का कष्ट अथवा निर्धनता की ग्लानि कदापि प्रभावित नहीं कर सकती। प्रभावित
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