Find the Latest Status about नज़्म meaning from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, नज़्म meaning.
Azhar Raza
ख़्वाहिशें जो अंधेरों में छुपा दी मैंने, नजदीकियां जो रोशनी से थीं घटा दी मैंने, तुमसे मोहब्बत करने का फितूर जो लिए बैठा था मैं,उस मोहब्बत की बातें दिल में दबा दी मैंने तुमसे कहने को कुछ लफ्ज़ कागज़ पर लिखे थे मैंने,आज खुद ही अपने हाथ से उनमें आग लगा दी मैंने मसला ये नहीं कि तन्हा फिर रहा हूं मैं, मसला ये है कि तन्हा होकर भी तुम्हे दिल में जगह दी मैंने जो था एक पंछी क़ैद मेरे दिल के कैदखाने में, उसे आज रिहाई देकर खुद से आजादी दे दी मैंने Azhar नज़्म
Rizvi Indori
हुस्न ए अखलाक को तरजीह दे और फख्र से जी, हुस्न ए दुनिया में उलझा तो भटक जाएगा।.... रिज़वी नज़्म
B.L. Paras
बहुत देर हो गई यूँ जागते जागते ऐसा लगता है जैसे बूढ़ा हो गया हूँ या हम वो हैं जिन्हें बूढ़ा ही जना गया हाथ पाँव भी जवाब दे रहें हैं ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा आँखें जैसे धुँधिया गईं हों शायद आँसू हैं पलकों की दहलीज़ भी पार नहीं कर पा रहें अब तो जाने दो कुछ देर के लिए सो जाने दो जाने यूँ कि अभी कहीं से वो इक फ़रिश्ता मेरे तआ'क़ुब में आ निकले थोड़ी सी नींद पूरी कर लूँ फिर उस के साथ भी जाना है © जीफ़ ज़िया नज़्म
Vishal Kumar
सोचा था कि मैं भी लिखूंगा एक नज़्म अपनी मोहब्बत पे पर देखो न जख्म इतने दे दिया है कि मोहब्बत की ही बात नहीं होती #नज़्म
क़ैद परवाज़
ज़िन्दगी आसां हो गई है तकनीकीकरण के कंधे से पर सुकूं कैसट के उलझे रीलों में थी शायद जो थोड़े इत्मिनान ले कर परत दर परत सलीके से सही तो हो जाती थी कम-से-कम और दौर ख़तों का ही बेहतर लगता था मुझे प्रेम की परिभाषा बदलती नही थी हर क्षण कम-से-कम आना से ज़िन्दगी जीने वाले हज़ारों की ज़िन्दादिली रखते थे तब अब के लाखों कमाने वाले तो अना में ज़िन्दगी जीते हैं नज़्म
Vivek
तुम्हारे करीब आते ही बाकी सब भी क़रीब आता है आँख बंद है तो क्या हुआ सपना तो तुम्हारी नज़्म गुनगुनाता है...!!! ©Vivek # नज़्म
Manish Shrivastava
नज़्म ---------------- हर कोई हुस्न का तेरे, दीवाना लगता है | तू मिला आज है लेकिन, मुझे पुराना लगता है|| बड़ी शिद्दत से खुदा ने तुझे सवारा है | तू खुदा के हुस्न का, खज़ाना लगता है || तू मिला आज है लेकिन........ दिल्लगी, आशिकी सब झूठी है | सच फकत तेरा-मेरा अफसाना लगता है || तू मिला आज है लेकिन....... जब कभी तुझसे दूर जाते हैं | दो घड़ी भी मुझे, ज़माना लगता है || तू मिला आज है लेकिन..... जिस्म मेरा है, तू मेरी धड़कन है | धड़कनों के बिना, अर्श तू बेगाना लगता है || तू मिला आज है लेकिन..... लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) गैरतगंज मो.9009247220 ©Manish Shrivastava नज़्म