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Gopal Lal Bunker
भोजन ~~~~~ काया अपनी यंत्र है, चाहे यह आहार। भोज कीजिए पथ्य तुम, सुबह शाम दो बार।। भोजन से तन मन चले, ऊर्जा मिले अपार। खान-पान दो खंभ है, हरदम करो विचार।। तन को भोजन चाहिए, मन को भलें विचार। खान-पान अच्छा करो, रहते दूर विकार।। बैठ सुखासन में सदा, रख आसन लो भोज। शांत चित्त के खान से, सँवरे मुख पाथोज।। ग्रास चबाकर खाइए, बनें तरल हर बार। रस भोजन का तन लगे, आये बहुत निखार।। नमक मिर्च अरु तेल सब, खाओ कर परहेज। तेज लिये से रोग हो, मुख हो फिर निस्तेज।। दूध दही लो भोज में, ऋतु फल भरें समीच। कर अति का परहेज लो, उदय अस्त रवि बीच।। खट्टा मीठा चटपटा, सभी बढ़ाएं भोग। उचित करो उपयोग सब, काया रहे निरोग।। सुबह करो रसपान तुम, ऋतु फल उत्तम जान। दूध पीजिए रात को, जाये उतर थकान।। सात दिवस में एक दिन, रखो सभी उपवास। सुधरे पाचन तंत्र जब, बीते हर दिन खास।। नींद जरूरी भोज है, तन चाहे विश्राम। स्वस्थ रहे फिर मन बड़ा, अच्छे होते काम।। भोज प्रसादी ईश की, देती सबको जान। रूखी सूखी जो मिले, लो प्रभु करुणा मान।। #दोहा #दोहावली #भोजन #आहार #glal #yqdidi #yqbaba #restzone शब्दार्थ- पाथोज- कमल समीच- जल निधि/ रस युक्त
Saurav Dangi
जो हम खाते हैं, वह हम, बन जाता है, ज्यादा खाते हैं, तो हम वह,बन जाते हैं.. इसीलिए जितना हो सके निर्धारित कर निरंतर,हल्का,सुपाच्य और सात्विक आहार ही ग्रहण करें... saurabh #आहार
Rajeswari Rath
आहार तीन(3) प्रकार के होते है-सात्विक,राजसिक और तामसिक ।आहार से ही आचरण और प्रवृत्ति को आकार मिलता है। आहार
Âñmôĺ Jâiñ
आदि को हो गये आहार, झूम उठा सारा संसार! देवों ने हीरे मोती पुष्प बरसाएं, मानव ने जयकारे लगाए, जय हो आदि रटते-रटते, राजा श्रेयांश में आहार कराएं!, चिड़िया चहक ने लगी, प्रभु की भक्ति में बहक ने लगी! आकाश में दिव्य ध्वनियां बजी, पूरी सृष्टि महक ने लगी!! अक्षय तृतीय का पावन दिन बन गया, जब प्रभु ने एक वर्ष बाद आहार किए! धन्य धन्य है वो राजा, जिसने पहली बार भगवान को आहार दिए!! आदि को हो गये आहार, झूम उठा सारा संसार! -अनमोल जैन !!अक्षय तृतीय की अनेकानेक शुभकामनाएं!! !! हो गये आहार!!
manoj kumar jha"Manu"
राजस आहार कड़वे, खट्टे, नमकयुक्त, बहुत गरम, तीखे, रूखे, जलन उत्पन्न करने वाले और दुःख, चिन्ता तथा रोगों को उत्पन्न करने वाले आहार अर्थात भोजन करने के पदार्थ राजस व्यक्तियों को प्रिय होते हैं। - श्रीमद्भगवद्गीता अ०१७/९ #गीता_ज्ञान राजस आहार
Ek villain
आहार मनुष्य के विचारों को भी प्रभावित करता है आहार की शुद्धता मानसिक सुधीरता की प्रेषक है अर्थव्यवस्था यह कहा गया है कि जैसे आहार होगा वैसा ही विचार होगा और जैसे विचार बनेगा यह व्यवहार में उतर जाएगा आधार तुम्हारा व्यवहार कहीं ना कहीं हमारे आर से भी संबंध रखता है हम यदि मादक पदार्थ का सेवन करेंगे तो हमारा व्यवहार अपनी सुचिता होने लगेगा शुद्ध सात्विक आहार हमारे भीतर सातवीं गुना का विकास करता है इसके विपरीत तामसिक आहार उत्तेजना और क्रोध आदि अवगुणों को पोषण देता है ©Ek villain आहार की शुद्धता
gopal soni
वह लालिमा युक्त आकाश.... जिसके नीचे बैठकर सोचता हूँ......... ऐसा ही नजारा हमारी जिंदगी में....... जो किसी की सोच को बदल सके..... लालिमा युक्त आकाश
Vivek shakya ( Kushwaha ji )
💘कवित्त💘 श्रंगार रस बहु पढ़े लेख , बहु लिखे लेख, जा लेख सों लेख लिखै ना लिखै ! मैं शबद् रचूँ पद भी रच दूँ , प्रिय के भाव रचै ना रचै!! प्रियतम तुम मोहे मुआफ करौ,इस लेख कौ लिखै के हाथ थकैं ! इस लेख को भाव वया जे करूँ, जा विरह की पीर रचै ना रचै!! श्रंगार रस युक्त