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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी शोषण की गाथा ऐसी जनता के हित मारे बैठे है लहू लुहान मुल्क की हालत संवेदना खूंटी पर टाँगे बैठे है जन गण मन गण की गाथाओ का चीरहरण नेता कर बैठे है समाजवाद की व्यवस्थायो को सूली पर चढ़ाये बैठे है खेत खलियान कमाई का जरिया धरती पुत्रो का नीलाम कर बैठे है काले कानूनो का बनता अब भारत शहीद की कुर्बानी को झूठ लाते है आजादी का नाटक है जनता के अरमान सियासी दाव पेचों से घोटे जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" आजादी का नाटक है #farmersprotest
A.N. CHAUBEY
दो साधुओ की हत्या नही पूरे सनातन धर्म की हत्या हुई है।दोषियों को शिघ्र सजा होनी चाहिए जय श्री राम #अलख
Naveen
भगवान ने जब ये सुन्दर संसार बनाया चलाने के लिऐ हर जीव सजाया चिटी से लेकर इंसान तक सबको अपना संसार दिलाया कहा नियम धर्म में रहना पूजा करो और दयाधर्म बतलाया... पर इंसान को कुछ समझ न आया पूजापाठ छोड़कर वो मदिरापान में गया फिर ईश्वर ने सैतान बनाकर पिछे इंसान के लगाया फिर दौड़कर राम प्यारा भगवान दरपर अपनी गाथा गाया बोले परमब्रह्मा बेटा मेरी बात न मानी यही थी मेरी अलौकीक कहानी जैगौरीशंकर जै माँ भगवती जैगोरिल देवता जै ईष्टदेवता आदेश आदेश... ¥¥नवीन¥¥ अलख....
payal kuwar
एक ख्वाब सजाने की सपनों की पैमानों की उड़ जाने की नील गगन में हौसलों की उड़ान दूर गगन में भड़ने की कोई साथ नहीं है तो क्या हुआ पाएेंगे मंजिल देर हीं सही पर जाऐंगे ऊंची दूर कहीं लौट कर भी आऐंगे साथ खुशियों की बहार लाऐंगे कोई खुश नहीं तो क्या करें क्या जीने का ना हम राह चुनें....?? मरना इतना आसान कहाँ चल रहे सफर में दूर तलक है ख्वाबों की राह जहाँ......... ©payal kuwar # सपनों की आजादी #
Raje
घर ( पिंजरे ) में कैद पंछी , उड़ने के लिए उतना ही बेताब होता है। जिस तरह एक माचिश की तिलि में, न जाने कितने ज्वालामुखी को, खामोशी से छुपा के रखता है । ©Raje बेताबी आजादी की
RauliMishra
हर काम करने को आजाद है हम न रखते कोई भी गम हिम्मत भर लो अपने अंदर न समझो कि किसी से कम है हम।। आजादी की शान
प्रतिहार
ये क्या दे रहे हो भाई, मुझे रास नहीं आई! 73सालो कि आजादी, हमें तो नहीं मिल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? बांधा गया है देखो ना हमें सवर्ण के बेड़ियों में! खाना शेरों का छिन छिन, बांटा जाता है भेड़ियो में! ये हांथों की बेड़ियाँ मेरी आज भी ना खुल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? तु खुश रह कि तुझे आजादी मिली आज थी, गोरो से! कैसी आजादी? गदहे भी जब जीत रहे हैं घोड़ो से! तुझसे ज्यादा काबिल होकर नौकरी नहीं मिल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? मुगलों से हम हि उलझे, अरबों को हमने मारा था! विर शिवाजी हम ही थे, राणा प्रताप हमारा था! सबसे पहले, हमने हि,आजादी कि बिगुल बजाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? पहला शहिद मंगल पांडे, या वृद्ध कुंवर कि बात करो! आजाद हिंद तक पैसो को, किसने पहुंचाया याद करो! हमने जन्मा वीरांगना, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? छोड़ो खुशियों के दिन में अपने, दर्द को कितना खुर्दु मैं! हम ना होते भाई साब! पढते लिखते तुम उर्दू में! घुमो, नाचो, गाओ बोलो वन्दे मातरम् भाई! हां मगर, आजादी की बधाई हमें रास न आई!! लेखक-- पवन प्रतिहार आजादी की बधाई