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Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat ना डरती ना दबती दिल फरोशी की तमन्ना दिल में भर कर चलती ना मिलती ना छिपती दिल के सारे ज़ख़्मो की मरहम ख़ुद लगाती ना खिलती ना मुरझाती दिल के रंगों में नया रंग रोज़ सजाती ना फब्ती ना हस्ती दिल के अरमानों को एक आकाश रोज़ दिखाती ना बनती ना बिगड़ती दिल की धड़कन को तेज़ होने से बचाती ना मुक्ति ना धरती दिल को एक नई दिशा दिखाकर बस चलाती ना शिकवा ना शिकायत दिल को सुकून की तलाश में बस रास्ते ख़ुद बनाती ना नीद ना चैन दिल को बेहलती एक सवाल ख़ुद बन कर तैयार हो जाती ना हस्ती ना रोती दिल की ठड़क को एक आस देकर फ़र्ज़ समझाती ना आस ना प्यास दिल को याकि दिलाकर अपने सपनों को हकीकत बनाती हर्षिता की क़लम से काली स्याही जो बिखरती निखरती उसके गड़े काजल से निकाती उसकी आंखों की गहराई है Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat ना डरती ना दबती दिल फरोशी की तमन्ना दिल में भर कर चलती ना मिलती ना छिपती दिल के सारे ज़ख़्मो की मरहम ख़ु
🅼🆄🅺🅴🆂🅷 🅶🆄🅿🆃🅰
तुमपर इल्जाम फरोशी तो एक बहाना है, जाम की किस्मत मे छलक जाना है ।। तुमपर इल्जाम फरोशी तो एक बहाना है, #mukeshguptaquotes #lovequote #love #shayari #bestshayari #broken #hindi #gazal #urdu #poem
Tarun Vij भारतीय
तहज़ीब की पहचान कभी जो कोठे हुआ करते थे, घुंघरूओं की छनक जहां सुरों में बहती थी आज जिस्म फरोशी के अड्डे है, क्योंकि दुनिया में अब कद्रदान नहीं है... #तवायफ के कौठे तहजीब की पाठशाला से कैसे बने जिस्म फरोशी के अड्डे... पेशा तवायफ का बुरा ना था जब दौर गालिब मीर का था, अब दौर कुछ और है जहां
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त