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PANKAJ KUMAR SINGH
नफ़रत का जन्म प्रेम और नफ़रत एक साथ नहीं रहते हैं प्रेम के मरने के बाद ही जन्म लेती है नफ़रत जो ध्वस्त कर देती है प्रेम के बनाए हर चीज को और फैल जाती है हर तरफ। नफ़रत एक आग है जो तुरंत फैल जाती है और जला देती है हर चीज को चाहे वह कोई शहर हो, देश हो या हो इंसानियत। इस आग को बुझाना आसान नहीं होता है इसलिए लोग रोटियाँ सेंकने लगते हैं। नफ़रतों के शहर में अब प्रेम का दम घुटने लगा है कहीं प्रेम तड़प-तड़प कर मर न जाए इसलिए, हे कृष्ण! अब तुम्हें आना ही पड़ेगा महाभारत कराने के लिए नहीं बल्कि, प्रेम कराने के लिए इतना प्रेम की नफ़रत के बीज का कहीं अंकुरण भी न हो। ✍पंकज कुमार सिंह। मेरी नयी कविता
Vikas Sahni
वो जो मुझमें खुद को ढूँढने की कोशिश करती थी, वह न जाने कहाँ चली गयी उसपर भी नयी-नयी कविताएँ बन रही हैं।। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #नयी#नयी #कविताएँ#विकास#साहनी #standAlone
Abhishek Rajhans
शीर्षक -" जो मैं याद आऊं तुम्हे" जो मैं याद आऊं तुम्हे तो एक बार पीछे मुड़ ही जाना कदमो के अनगिनत निशाँ में ढूंड ही लेना मुझे जो मैं याद आऊं तुम्हे तो देख लेना मेरी तस्वीर को जो तुमने खुद ही खींची थी अपने कैमरे से मेरी तस्वीर छू कर महसूस कर लेना मुझे जो मैं याद आऊं तुम्हे तो घर की साफ़ सफाई करते करते ढूंड लेना मेरे लिखे पहले ख़त को जो खून की स्याही से लिखा था मैंने जो मैं याद आऊं तुम्हे तो खोल लेना कमरे की खिड़कियाँ और बहने देना हवाओं को उन हवाओं में ढूंड लेना मुझे जो मैं याद आऊं तुम्हे तो देख लेना अपने हाथ की लकीरों में कहीं मिट तो नहीं गया मैं तुम्हारी हथेलियों से जो मैं याद आऊं तुम्हे तो तोड़ लेना बगीचे से वो गुलाब का फ़ूल और चढ़ा देना मेरी कब्र पे देखना मैं हूँ या नहीं —- अभिषेक राजहंस मेरी नयी कविता -" जो मैं याद आऊं तुम्हे"
Rishi Dwivedi
बारिश की प्रथम फुहारों ने आ करके मुझे बताया है, हल्की हल्की मन्द पवन ने नव अहसास जगाया है | फिर बसंत आया है | है मौसम में अलग रवानी, पक्षी भी सब बोल रहे हैं, पेड़ो पर मस्ती है छाई, पौधे होली खेल रहे हैं | उनकी यादों की आहट ने बरबस मुझे जगाया है, फिर बसंत आया है | पुरवा ने बस अभी अभी मंद सुगंध बिखेरी है, कोयल ने भी अभी अभी इक मधुर तान सुनाया है | मिट्टी की सोंधी खुशबू ने घर आंगन महकाया है, फिर बसंत आया है | सुबह हुई है सूरज ने स्वर्णिम रश्मि बिखेरी है, मैने भी बिस्तर पर अपनी अंगड़ाई तोड़ी है | माँ ने आकर अभी-अभी मुझको गले लगाया है, फिर बसंत आया है | मेरी नयी कविता "फिर बसंत आया है" #yqbaba #yqdidi #yqhindi
Raushan Shyam Nirala
कविता- वो तो आसमां की परी है वो तो आसमां की परी है, मेरे पास कैसे ठहरेगी। मै तो मिट्टी का खिलोना हूँ, पास आने पर वह लिटता ही रहेगी।। परियों का प्यार तो आसमां से है, मिट्टियो से वह कैसे कर सकती है। हर वक़्त उसे खुशियाँ चाहिए, छोटी सी भी दुखों को वह कैसे सह सकती है।। चांद तलक रहने वाली। कब तक खिलोना "रौशन" के पास रहेगी। वो तो दिन मे भी तारे गिना करती है, ज़मी पर रहकर वह फिर कैसे गिना करेगी।। ✍✍रौशन रात सूरज ✍✍ तुम्बापतरा, सिमरिया, चतरा ,झारखण्ड from-YSM Ranchi रौशन कविता संग्रह से फिर एक बार नयी कविता प्रस्तुत
soul love
राधे राधे मित्रों रोज एक नयी कविता , विचार लेकर आऊंगा
Nisha Bharti Jha
सुनो !!! मैने एक नयी कविता लिखी है ज्यादा कुछ नहीं लिखा है बस तुम्हारे साथ गुज़ारे हुए लम्हो को शब्दों में पिरोया है सुनो न वक्त मिले तो एक बार पढ़ना ज़रूर #नयी #कविता #nishabharti #nisha_abd