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ABHISHEK RAI

शुभ रात्रि

Good night

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9453217224 पिनाकी ग्राहक सेवा केन्द्र

पिनाकी ग्राहक सेवा केन्द्र

5 Love

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ABHISHEK RAI

आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
9115399998
9453217224 पिनाकी ग्राहक सेवा केन्द्र

पिनाकी ग्राहक सेवा केन्द्र

6 Love

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Ripudaman Jha Pinaki

जग महक जाता है जब खिलती हैं बेटियाँ
मुस्कुराता है हर समां जब हँसती हैं बेटियाँ।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'

©Ripudaman Jha Pinaki जग महक जाता है जब खिलती हैं बेटियाँ
मुस्कुराता है हर समां जब हँसती हैं बेटियाँ।
रिपुदमन झा "पिनाकी"

#bonding

जग महक जाता है जब खिलती हैं बेटियाँ मुस्कुराता है हर समां जब हँसती हैं बेटियाँ। रिपुदमन झा "पिनाकी" #bonding #शायरी

8 Love

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jai rangmanch

सीता जी द्वारा पिनाक धनुष की पूजा।। सीता नवमी पर हार्दिक शुभकामनाएं #नवश्रीमानवधर्मरामलीला
#Ramlilamanchan #रामायण #ramayan #kkk_Ramesh #jai

सीता जी द्वारा पिनाक धनुष की पूजा।। सीता नवमी पर हार्दिक शुभकामनाएं #नवश्रीमानवधर्मरामलीला #Ramlilamanchan #रामायण #ramayan #kkk_Ramesh jai #विचार #jairangmanch #रमेशखन्ना #rRameshkhanna

88 Views

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Ruchi Baria

यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय। 
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नम: शिवाय् ।।

©Ruchi Baria यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय। 
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नम: शिवाय् ॥

जो शिव यक्ष के रूप को धारण करते हैं और लंबी–लं

यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।  दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नम: शिवाय् ॥ जो शिव यक्ष के रूप को धारण करते हैं और लंबी–लं #Shiva #today #mahadev #समाज #Bholenath #mahakal #Har_Har_Mahadev #bholebaba #om_namah_shivay

13 Love

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रिपुदमन झा "पिनाकी"

ग़र ज़िन्दगी के हाथों मजबूर नहीं होता,
ग़म के करीब खुशियों से दूर नहीं होता।
ढोता न बोझ दिनभर उम्मीद की गठरी का-
वो आदमी भी शायद मजदूर नहीं होता।
"पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
#स्वरचित ग़र ज़िन्दगी के हाथों मजबूर नहीं होता,
ग़म के करीब खुशियों से दूर नहीं होता।
ढोता न बोझ दिनभर उम्मीद की गठरी का-
वो आदमी भी शायद मजदूर नहीं

ग़र ज़िन्दगी के हाथों मजबूर नहीं होता, ग़म के करीब खुशियों से दूर नहीं होता। ढोता न बोझ दिनभर उम्मीद की गठरी का- वो आदमी भी शायद मजदूर नहीं #स्वरचित

4 Love

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रिपुदमन झा "पिनाकी"

चल पड़ा हूं मैं मगर मंजिल कहां है क्या पता,
खत्म होता ही नहीं कितना है लंबा रास्ता।
मैं भटकता फिर रहा निर्जन अंधेरी राह में-
खुद को पाने में हुआ जाता हूं मैं खुद लापता।
रिपुदमन झा "पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
#स्वरचित चल पड़ा हूं मैं मगर मंजिल कहां है क्या पता,
खत्म होता ही नहीं कितना है लंबा रास्ता।
मैं भटकता फिर रहा निर्जन अंधेरी राह में-
खुद को पाने में

चल पड़ा हूं मैं मगर मंजिल कहां है क्या पता, खत्म होता ही नहीं कितना है लंबा रास्ता। मैं भटकता फिर रहा निर्जन अंधेरी राह में- खुद को पाने में #स्वरचित

6 Love

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jai rangmanch

श्री राम जी के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते ही पिनाक धनुष का भजन हो गया।धनुष टूटने की गूंज भार्गव मुनि परशुराम जी तक जा पहुंची।
परशुराम जी क्रोध

श्री राम जी के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते ही पिनाक धनुष का भजन हो गया।धनुष टूटने की गूंज भार्गव मुनि परशुराम जी तक जा पहुंची। परशुराम जी क्रोध #रामायण #विचार #नवश्रीमानवधर्मरामलीला #kkk_Ramesh #jairangmanch #रमेशखन्ना #जयरंगमंचरमेशखन्ना #navshrimanavdharamramlila #रामायणनाट्यमंचन #ramayannatyamanchan

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SONALI SEN

सती साध्वी भवप्रीता भावनी माँ ,
भवमोचनी आर्या दुर्गा आद्य जया,
                        तीन नेत्र वाली त्रिनेत्र शूलपारिणी,    
                       मन में विराजी माँ हे पिनाकधारणी,
सुधा सी हो बुद्धि चित्रा दूर अहंकार करे,
स्वर हो प्रचंड  चंद्रघंटा मैया स्वर भरे,
            चितरूपा चिता चिति स्वमंत्रमयी माँ ,
                         भाव से पुकारू चली आओ चली आओ माँ ।।

©SONALI SEN सती साध्वी भवप्रीता भावनी माँ ,
भवमोचनी आर्या दुर्गा आद्य जया,
                        तीन नेत्र वाली त्रिनेत्र शूलपारिणी,

सती साध्वी भवप्रीता भावनी माँ , भवमोचनी आर्या दुर्गा आद्य जया, तीन नेत्र वाली त्रिनेत्र शूलपारिणी, #कविता #navaratri

12 Love

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अशेष_शून्य

अमिट हैं , अडिग हैं, ये अविनाशी हैं,
______मेरे गिरिश्वर कैलाश वासी हैं ।

सरल हैं , सुगम हैं , ये कल्याणकारी हैं,
______मेरे शंकर को काशी प्यारी है ।

आदि हैं , अंत हैं , ये कामारी  हैं,
______मेरे महेश्वर चंद्र धारी हैं ।

कठिन हैं , अगम हैं , ये त्रिनेत्रधारी हैं,
_______मेरे विश्वेश्वर शूल पाणी हैं ।

उग्र हैं , रूद्र हैं , ये पिनाकी हैं, 
_____मेरे पर्मेश्वर कपाली हैं ।

सौम्य हैं , कोमल हैं , ये शिवाप्रिय हैं,
________मेरे अनीश्वर सामप्रिय हैं ।

प्रेम हैं , जीवन हैं , ये  स्वरमयी हैं 
______मेरे भूतपति जगद्व्यापी हैं।

सत्य हैं , शाश्वत हैं , ये कपर्दी हैं
_____मेरे मृत्युंजय कृपानिधि हैं ।।
                  -Anjali Rai अमिट हैं , अडिग हैं, ये अविनाशी हैं
______मेरे गिरिश्वर कैलाश वासी हैं ।

सरल हैं , सुगम हैं , ये कल्याणकारी हैं
______मेरे शंकर को काशी प्य

अमिट हैं , अडिग हैं, ये अविनाशी हैं ______मेरे गिरिश्वर कैलाश वासी हैं । सरल हैं , सुगम हैं , ये कल्याणकारी हैं ______मेरे शंकर को काशी प्य #yqbaba #hindipoetry #yqdidi #अशेष_शून्य

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🇮🇳always_smile11_15

🙏ऊँ नमः शिवाय 🙏
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्च

🙏ऊँ नमः शिवाय 🙏 नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्च

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विष्णुप्रिया

जटा जूट शेखरम्,
ग्रीवा भुजंग महेश्वरम्
शीश गंग, भाल चंद्र,
भस्म अंग विभूषितम् 

मुण्ड माल धारणम्
तंत्र मंत्र समाहितम्,
धुनि रमा, समाधि में,
हिम शिला आसनम् 

गरल कण्ठ धारणम्
विभस्त राग उच्चतम्
अर्ध चंद्र, शक्ति संग,
वैराग्य रंग विभूषितम्

पिनाक हस्त धारणम्
तांडव समाहितम्
त्रिलोचनम् शंकरम्
महेश्वरम् नमाम्यहम्
 जटा जूट शेखरम्,
ग्रीवा भुजंग महेश्वरम्
शीश गंग, भाल चंद्र,
भस्म अंग विभूषितम् 

मुण्ड माल धारणम्
तंत्र मंत्र समाहितम्,
धुनि रमा, समाधि में,

जटा जूट शेखरम्, ग्रीवा भुजंग महेश्वरम् शीश गंग, भाल चंद्र, भस्म अंग विभूषितम् मुण्ड माल धारणम् तंत्र मंत्र समाहितम्, धुनि रमा, समाधि में, #Spirituality #yqbaba #mahadev #yqdidi #महादेव #हिंदी_कविता #विष्णुप्रिया #शिवोहं

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Ripudaman Jha Pinaki

मैं हो गया हूँ आजकल बेकार आदमी
मुझसा अभी कोई नहीं बेज़ार आदमी।

बनकर निठल्ला बैठा हूँ बरसों से अपने घर
बेरोजगारी से हुआ लाचार आदमी।

पड़ता हूँ पशोपेश में उस वक्त बहुत मैं
करते हो क्या पूछे कभी जो चार आदमी।

दो बात इधर से सुनूं दो बात उधर से
सुनता हूँ सबकी बनके शर्मसार आदमी।

दिन रात तोड़ता है मुफ़्त की जो रोटियां
खा कर नहीं डकार ले मक्कार आदमी।

दुश्मन अनाज के न करें कामकाज कुछ
करते हैं वार बन के सब तलवार आदमी।

मन मेरा कोसता है खीझता है खुद ही पर
मरता नहीं क्यूं तू कहीं ऐ ख़्वार आदमी।

गुलशन था बहारों भरा एक वक्त मैं कभी
अब तो हूँ रंजोगम से मैं गुलज़ार आदमी।

मन धीरे-धीरे हो रहा है मेरा अपाहिज
तन से "पिनाकी" हो गया बीमार आदमी।

रिपुदमन झा "पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki मैं हो गया हूँ आजकल बेकार आदमी
मुझसा अभी कोई नहीं बेज़ार आदमी।

बनकर निठल्ला बैठा हूँ बरसों से अपने घर
बेरोजगारी से हुआ लाचार आदमी।

पड़ता ह

मैं हो गया हूँ आजकल बेकार आदमी मुझसा अभी कोई नहीं बेज़ार आदमी। बनकर निठल्ला बैठा हूँ बरसों से अपने घर बेरोजगारी से हुआ लाचार आदमी। पड़ता ह #शायरी #Drops

6 Love

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AB

यक्षस्वरूपाय   जटाधराय    पिनाकस्ताय   सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै “य” काराय नमः शिवायः॥                          💕🌸 ॐ नमः शिवाय 🌸💕
_________________________________________________

अनुवाद :- जिन्होंने यक्ष स्वरूप धारण किया है,

💕🌸 ॐ नमः शिवाय 🌸💕 _________________________________________________ अनुवाद :- जिन्होंने यक्ष स्वरूप धारण किया है,

0 Love

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Poetry with Avdhesh Kanojia

शिव वन्दन
------------
कराल व्यालमाल युक्त चंद्रशेखर प्रभो।
प्रचण्ड तेजवंत भक्तवत्सल परम् प्रभो।।

काशीनाथ विश्वनाथ जगन्नाथ जगत्पते।
नन्दीनाथ ब्रम्हनाद गणाधिनाथ उमपते।।

जय महादेव देवाधिदेव देवदेव शंकर।
जय सर्वदेवमय प्रभो जयति प्रलयंकर।।

सर्वपूज्य सर्ववन्द्य सर्वप्रजा पालक।
सर्वलोकपति प्रभो समयचक्र चालक।।

बाघम्बरी दिगम्बर नाग सर्प धारक।
वरदायक उद्धारक जय पाप संहारक।।

जटामुकुट सुशोभित पिनाकहस्त अघोर।
परम् भावविभोर श्रीराम मुख चकोर।।

सोमनाथ वैद्यनाथ कैलाशनाथ विश्वनाथ।
गौरीनाथ भवानीनाथ सर्वनाथ त्रिलोकीनाथ।।

कालकूट भक्षक जय सन्तजन रक्षक।
सर्वनाग सेवित वासुकी शेष तक्षक।।

शरणागत वत्सल सदैव नाशकम् तम।
भोलेनाथ शंकर त्वममेव शरणम् मम।।




 #shiva #shivratri #god #mahadev #love #poetry 
कराल व्यालमाल युक्त चंद्रशेखर प्रभो।
प्रचण्ड तेजवंत भक्तवत्सल परम् प्रभो।।

काशीनाथ विश्वनाथ

#Shiva #shivratri #God #mahadev love poetry कराल व्यालमाल युक्त चंद्रशेखर प्रभो। प्रचण्ड तेजवंत भक्तवत्सल परम् प्रभो।। काशीनाथ विश्वनाथ

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Ripudaman Jha Pinaki

रहा जो बढ़ के अपनों से हुआ देखो पराया है
लगे मुझको कि जैसे मुझ से रूठा मेरा साया है।

इरादा बेवफाई का नहीं हरगिज़ रहा मेरा
हुई है भूल मैंने राज़ जो उससे छुपाया है।

नहीं मालूम उसको भी नहीं मालूम मुझको भी
किसी ने फायदा अच्छा भरोसे का उठाया है।

बहुत शातिर खिलाड़ी है चली है चाल वो उसने
हमारे दरमियां शक का ग़ज़ब सामां सजाया है।

कि मुझ पर बेवफाई का दिया इल्ज़ाम है झूठा
किया बदनाम है सबकी निगाहों से गिराया है।

ख़ता है वक्त की शायद जो हम-दोनों में है दूरी
मिलाएगा हमें वो ही जुदा जिसने कराया है।

मुझे दिन याद है जब टूट कर बिखरा हुआ था मैं
उसी ने तो संभाला था बिखरने से बचाया है।

ग़लतफहमी अभी थोड़ी अभी है फासला थोड़ा
हक़ीक़त है कि उसका दिल भी मैंने ही जलाया है।

गिला रखता भी है कहता शिकायत है नहीं कोई
मगर सच है कि रिश्तों को भी शिद्दत से निभाया है।

सफाई बेगुनाही की करूं मैं पेश जितनी भी
अभी मुझसे ख़फ़ा है इसलिए सब झूठ पाया है।  

"पिनाकी' कर ज़रा कोशिश यकीं कायम दुबारा हो
भरोसा तोड़ कर तूने किसी का दिल दुखाया है।

रिपुदमन झा "पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki रहा जो बढ़ के अपनों से हुआ देखो पराया है
लगे मुझको कि जैसे मुझ से रूठा मेरा साया है।

इरादा बेवफाई का नहीं हरगिज़ रहा मेरा
हुई है भूल मैंने

रहा जो बढ़ के अपनों से हुआ देखो पराया है लगे मुझको कि जैसे मुझ से रूठा मेरा साया है। इरादा बेवफाई का नहीं हरगिज़ रहा मेरा हुई है भूल मैंने #OneSeason

6 Love

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Ram bhadawar

:-अल्हड़ प्रमी, अंश- 2-:

तुम इस बसन्त में पतझड़ सी बिखती क्यों हो।
प्रेम भगवान  है  भगवान  से  डरती  क्यों हो।।
जोड़ना   नाम   है   तुमसे   तुम्हीं  से  जोडूंगा।
तोड़ना पड़  गया  तो   फिर  पिनाक  तोडूंगा।।
आज   फिर  से   विदेह  के  वचन निभाऊँगा।
जोड़कर    हाथ   परशुराम   को   मनाऊँगा।।
जिनके   संघर्ष   दिनों   रात  पूजती  हो  तुम।
जिनके सम्मान में दुनियाँ  से जूझती हो तुम।।
जिनका  गुण अंश और वंश जी रही  हो तुम।
जिनके संकल्प का परिपाक पी रही हो तुम।।
उनके  आदर्श  यूं   कमजोर  ना पड़ने  दोगी।
किसी भी  हाल  में  मन  से  न उतरने दोगी।।
इसी   आशा   में   खड़े  राम  भी  तुम्हारे  हैं।
मुझे  पता  है  तुम्हें   "राम"   बहुत  प्यारे  हैं।।     "भदावर" :-अल्हड़ प्रमी, अंश- 2-:

तुम इस बसन्त में पतझड़ सी बिखती क्यों हो।
प्रेम भगवान  है  भगवान  से  डरती  क्यों हो।।
जोड़ना   नाम   है   तुमसे   तु

:-अल्हड़ प्रमी, अंश- 2-: तुम इस बसन्त में पतझड़ सी बिखती क्यों हो। प्रेम भगवान है भगवान से डरती क्यों हो।। जोड़ना नाम है तुमसे तु #ramayan

11 Love

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Madhusudan Shrivastava

देवी स्तुति
मनहरण घनाक्षरी छंद

नमो पिनाकधारिणी, नमो नमो नारायणी। 
अनेक अस्त्र धारिणी, कैशोरी नमो नमो।। 

महिषासुर  मर्दिनी,  निशुंभशुंभ  घा

देवी स्तुति मनहरण घनाक्षरी छंद नमो पिनाकधारिणी, नमो नमो नारायणी। अनेक अस्त्र धारिणी, कैशोरी नमो नमो।। महिषासुर मर्दिनी, निशुंभशुंभ घा #Poetry

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Devanand Jadhav

🕉️ll शिवपंचाक्षर स्तोत्र ll🕉️
 श्रावणी सोमवारची उपासना शिवपंचाक्षरी स्तोत्राने करा. 
शिवपंचाक्षरी स्तोत्राची रचना आदी शंकराचार्यांनी केली होती. 
   नमः शिवायची पहिली पाच अक्षरे न, म, शि,  वा आणि य यातून श्र्लोकांची रचना केली गेली आहे. या माध्यमातून शंकराचार्यांनी शिवशंकराचा महिमा विस्तृत करून दिला आहे, जो प्रत्यक्ष शिव शिवशंकरा समान आहे. 

  श्लोक- नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै 'न' काराय नमः शिवायः॥
   अर्थ :- ज्यांच्या गळ्यात सर्पमाला आहे, ज्यांना तीन डोळे आहेत, ज्यांची काया भस्माविलेपित आहे, दिशा ज्यांचे वस्त्र आहे, त्या अविनाशी महेश्वर, 'न' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.

 श्लोक- मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय। मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै 'म' काराय नमः शिवायः॥
 अर्थ :- गंगाजल आणि चन्दनाने ज्यांचे स्नान झाले आहे, मंदार व इतर फुलांनी ज्यांची पुजा झाली आहे, त्या नंदीच्या अधिपती आणि प्रथम गणांचे स्वामी महेश्वर 'म' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.

 श्लोक- शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय। श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै 'शि' काराय नमः शिवायः॥
  अर्थ :- जे कल्याण स्वरूप आहे, माता पार्वतीचे मुखकमल प्रसन्न करण्यासाठी जे सूर्य स्वरूप आहे, जे दक्ष राजाच्या यज्ञाचा नाश करणार आहे,ज्यांच्या ध्वजावर बैलाचे चिन्ह आहे, त्या शोभायमान नीलकंठ 'शि' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.

  श्लोक- वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय। चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै 'व' काराय नमः शिवायः॥
  अर्थ :- वशिष्ठ, आगस्ती, व गौतम इत्यादी महान ऋषि मुनींनी तसेच इंद्रादी देवदेवतांनी ज्यांच्या मस्तकाची पुजा केली आहे त्या 'व' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.

  श्लोक- यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय। दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै 'य' काराय नमः शिवायः॥
  अर्थ :-  यक्षरूप धारण केलेल्या जटाधारी, ज्यांच्या हाती 'पिनाक' नावाचे धनुष्य आहे, व जे दिव्या सनातनी पुरुष आहे त्या दिंगबर देव 'य' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.

  श्लोक- पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ। शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
  अर्थ :- जो कोणी हा पवित्र पंचाक्षरी मंत्राचा जप भगवान श्री शिव शंकरा जवळबसून  करीन, तो शिवलोकी प्राप्त होऊन तेथे शिवशंकरा बरोबर आनंदी होईल.

     || इति श्रीशिवपंञ्चाक्षरस्तोत्रं संपुर्ण ||

  अनुवाद :- देवानंद जाधव
jdevad@gmail.com 9892800137

©Devanand Jadhav 🕉️ शिवपंचाक्षर स्तोत्र 🕉️
 श्रावणी सोमवारची उपासना शिवपंचाक्षरी स्तोत्राने करा. 
शिवपंचाक्षरी स्तोत्राची रचना आदी शंकराचार्यांनी केली होती.

🕉️ शिवपंचाक्षर स्तोत्र 🕉️ श्रावणी सोमवारची उपासना शिवपंचाक्षरी स्तोत्राने करा. शिवपंचाक्षरी स्तोत्राची रचना आदी शंकराचार्यांनी केली होती. #मराठीपौराणिक

11 Love

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Devanand Jadhav

🕉️ll शिवपंचाक्षर स्तोत्र ll🕉️

 श्रावणी सोमवारची उपासना शिवपंचाक्षरी स्तोत्राने करा. 
शिवपंचाक्षरी स्तोत्राची रचना आदी शंकराचार्यांनी केली होती. 
   नमः शिवाय  ची पहिली पाच अक्षरे न,  म,  शि,  वा  आणि  य यातून श्र्लोकांची रचना केली गेली आहे. या माध्यमातून शंकराचार्यांनी शिवशंकराचा महिमा विस्तृत करून दिला आहे, जो प्रत्यक्ष शिव शिवशंकरा समान आहे. 

  श्लोक- नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय। 
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै 'न' काराय नमः शिवायः॥
   अर्थ :- ज्यांच्या गळ्यात सर्पमाला आहे, ज्यांना तीन डोळे आहेत, ज्यांची काया भस्माविलेपित आहे, दिशा ज्यांचे वस्त्र आहे, त्या अविनाशी महेश्वर, 'न' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.

 श्लोक- मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय। 
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै 'म' काराय नमः शिवायः॥
 अर्थ :- गंगाजल आणि चन्दनाने ज्यांचे स्नान झाले आहे, मंदार व इतर फुलांनी ज्यांची पुजा झाली आहे, त्या नंदीच्या अधिपती आणि प्रथम गणांचे स्वामी महेश्वर 'म' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.
 श्लोक- शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय। 
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै 'शि' काराय नमः शिवायः॥
  अर्थ :- जे कल्याण स्वरूप आहे, माता पार्वतीचे मुखकमल प्रसन्न करण्यासाठी जे सूर्य स्वरूप आहे, जे दक्ष राजाच्या यज्ञाचा नाश करणार आहे,ज्यांच्या ध्वजावर बैलाचे चिन्ह आहे, त्या शोभायमान नीलकंठ 'शि' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.

  श्लोक- वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय। 
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै 'व' काराय नमः शिवायः॥
  अर्थ :- वशिष्ठ, आगस्ती, व गौतम इत्यादी महान ऋषि मुनींनी तसेच इंद्रादी देवदेवतांनी ज्यांच्या मस्तकाची पुजा केली आहे त्या 'व' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.

  श्लोक- यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय। 
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै 'य' काराय नमः शिवायः॥
  अर्थ :-  यक्षरूप धारण केलेल्या जटाधारी, ज्यांच्या हाती 'पिनाक' नावाचे धनुष्य आहे, व जे दिव्या सनातनी पुरुष आहे त्या दिंगबर देव 'य' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.

  श्लोक- पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ। 
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
  अर्थ :- जो कोणी हा पवित्र पंचाक्षरी मंत्राचा जप भगवान श्री शिव शंकरा जवळबसून  करीन, तो शिवलोकी प्राप्त होऊन तेथे शिवशंकरा बरोबर आनंदी होईल.

     || इति श्रीशिवपंञ्चाक्षरस्तोत्रं संपुर्ण ||

  अनुवाद :- देवानंद जाधव
jdevad@gmail.com 9892800137

©Devanand Jadhav 🕉️ शिवपंचाक्षर स्तोत्र 🕉️

 श्रावणी सोमवारची उपासना शिवपंचाक्षरी स्तोत्राने करा. 
शिवपंचाक्षरी स्तोत्राची रचना आदी शंकराचार्यांनी केली होती.

🕉️ शिवपंचाक्षर स्तोत्र 🕉️ श्रावणी सोमवारची उपासना शिवपंचाक्षरी स्तोत्राने करा. शिवपंचाक्षरी स्तोत्राची रचना आदी शंकराचार्यांनी केली होती. #मराठीपौराणिक

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kavi manish mann

मैं  "मन" मन की बात लिखूंँगा।
नए नए इतिहास लिखूंँगा.....

"मन" की बात
भाग - 3
 
कृपया कैप्शन में पढ़ें ✍️✍️
🙏😊 भाग -3
शीर्षक - "मन" की बात

मैं "मन" मन की बात लिखूंँगा।
नए नए इतिहास लिखूंँगा।

सियासत के अत्याचार लिखूँगा।
नारी की चित्कार लिखूंँगा।

भाग -3 शीर्षक - "मन" की बात मैं "मन" मन की बात लिखूंँगा। नए नए इतिहास लिखूंँगा। सियासत के अत्याचार लिखूँगा। नारी की चित्कार लिखूंँगा। #yqdidi #yqhindi #yqpoetry #yqjogi #yqkavi #मौर्यवंशी_मनीष_मन #yq_मन

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Shikha Mishra

धरा हो तुम, स्वधा हो तुम
जगतजननी अम्बा हो तुम,
गौरी हो तुम, शिवा हो तुम
हम बच्चों की मां हो तुम।

भूमिजा हो तुम, शैलजा हो तुम
हम भक्तों की तो पूजा हो तुम
गिरिजा हो तुम, वसुधा हो तुम
सर्वत्र पूज्य जगदंबा हो तुम। #durgapuja Best YQ Hindi Quotes  #smbhakti #devotion #matarani #prayer #yqhindi  #paidstory2 


धरा हो तुम, स्वधा हो तुम
जगतजननी अम्बा हो तु

#Durgapuja Best YQ Hindi Quotes #smbhakti #devotion #matarani #prayer #yqhindi #paidstory2 धरा हो तुम, स्वधा हो तुम जगतजननी अम्बा हो तु

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Ripudaman Jha Pinaki

बैठे-बैठे आज अचानक चला गया उन स्मृतियों में।
चहक रहे थे जहां हमारे दिन बचपन की गलियों में।।

नन्हें-नन्हें पांवों से जब साथ-साथ हम चलते थे।
राम-लखन की जोड़ी हमको तब पापा जी कहते थे।।

एक भाई थे गोलू-मोलू एक ज़रा सा दुबले थे।
लोगों को हम लॉरेल-हार्डी की जोड़ी से लगते थे।।

टिन का डब्बा बांध गले में भाई एक बजाता था।
कमर हिला कर दूजा भाई नाचता, मन बहलाता था।।

बालमंडली के संग दिन भर घूमते मौज मनाते थे।
यारों के संग रोटी बिस्कुट खाते और खिलाते थे।।

जेब में कंचे रंग-बिरंगे भरकर घूमा करते थे।
साथ घुमाते टायर दोनों, पतंग लूटते फिरते थे।।

बिना बताए घर से जाते सांझ ढले घर आते थे।
हाथ पांव कीचड़ में सना कर मां से पिटाई खाते थे।।

"पढ़ना-लिखना साढ़े बाइस" कह कर पापा डांटें जब।
देख किताबें नींद सताए पढ़ने हमें बिठाएं जब।।

खेल खेलते, लड़ते झगड़ते क्या-क्या करते थे हम-तुम।
जो भी करते साथ-साथ ही सब-कुछ करते थे हम-तुम।।

आपस में ही एक-दूजे से प्रतिद्वंद्विता रखते थे।
लेकिन हम-तुम एक दूजे से नहीं कभी भी जलते थे।।

पल में रूठें, पल में मानें, ऐसा अपना जीवन था।
दो तन और एक प्राण थे दोनों, निश्छल मन का बंधन था।।

आपस में कितना भी लड़ लें साथ नहीं पर तजते थे।
हम-दोनों पर आंख उठाने से दुश्मन भी डरते थे।।

जोड़ी अपनी जहां भी रही, किस्सों से भरपूर रही।
साथ, प्रेम और बात हमारी सदा जवां, मशहूर रही।

लेकिन वक्त ने करवट बदली दूर-दूर अब रहते हैं।
एक-दूसरे से बातें भी हम करने को तरसते हैं।।

गये सुनहरे बचपन के दिन और जवानी बीत रही।
हैं संबंध वही अपने पर धुंधली सी कुछ प्रीत रही।।

व्यस्त हो गए तुम जीवन में, मैं भी कुछ उलझन में रहा।
अपनी-अपनी परेशानियों से बंधा और घिरा रहा।।

हां... दुःख है; पहले सा जीवन में दोनों के कुछ न रहा।
लेकिन रहो जहां भी ख़ुश रहो करें यही दिन-रात दुआ।।

रिपुदमन झा "पिनाकी"

©रिपुदमन पिनाकी बैठे-बैठे आज अचानक चला गया उन स्मृतियों में।
चहक रहे थे जहां हमारे दिन बचपन की गलियों में।।

नन्हें-नन्हें पांवों से जब साथ-साथ हम चलते थे।

बैठे-बैठे आज अचानक चला गया उन स्मृतियों में। चहक रहे थे जहां हमारे दिन बचपन की गलियों में।। नन्हें-नन्हें पांवों से जब साथ-साथ हम चलते थे। #कविता #WorldAsteroidDay

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DURGESH AWASTHI OFFICIAL

मार्कण्डेयजी को अमरत्व देने वाला भगवान शिव का मृत्युंजय स्तोत्र!!!!!!
भगवान शिव के प्रसिद्ध नाम महाकाल और मृत्युजंय हैं । शिव के मृत्युंजय नाम की सार्थकता यही है कि जिस वस्तु से जगत् की मृत्यु होती है, उसे वह जय कर लेते हैं तथा उसे भी प्रिय मानकर ग्रहण करते हैं ।
‘शिवस्य तु वशे कालो न कालस्य वशे शिव:।’
अर्थात्—‘हे शिव ! काल आपके अधीन है, आप काल से मुक्त चिदानन्द हैं ।’ जिसे मृत्यु को जीतना हो, उसे हे भगवन् ! आपमें स्थित होना चाहिए । आपका मन्त्र ही मृत्युज्जय है ।
कठोपनिषद् में कहा गया है–’समस्त विश्व प्रपंच जिसका ओदन (भात) है, मृत्यु जिसका उपसेचन (दूध, दही, दाल या कढ़ी) है, उसे कौन, कैसे, कहां जाने ? जैसे प्राणी कढ़ी-भात मिलाकर खा लेता है, उसी तरह प्रलयकाल में समस्त संसार प्रपंच को मिलाकर खाने वाला परमात्मा शिव मृत्यु का भी मृत्यु है, अत: महामृत्युंजय भी वही है, काल का भी काल है, अत: वह कालकाल या महाकालेश्वर कहलाता है । उसी के भय से सूर्य, चन्द्र, अग्नि, वायु, इन्द्र आदि नियम से अपने-अपने काम में लगे हैं । उसी के भय से मृत्यु भी दौड़ रही है ।’
उन्हीं भगवान महाकाल शिव ने अल्पायु मार्कण्डेयजी को उनके स्तोत्र पाठ से प्रसन्न होकर श्रावण मास में अमरता का वरदान दिया था ।
केवल सोलह वर्ष की आयु वाले मार्कण्डेयजी कैसे हो गये चिरंजीवी ?
महामुनि मृकण्डु के कोई संतान नहीं थी । उन्होंने अपनी पत्नी मरुद्वती के साथ तपस्या कर भगवान शंकर को प्रसन्न किया । भगवान शंकर ने मृकण्डु मुनि से कहा—‘क्या तुम गुणहीन चिरंजीवी पुत्र चाहते हो या केवल सोलह वर्ष की आयु वाले एक सभी गुणों से युक्त, लोक में यशस्वी पुत्र की इच्छा रखते हो ?’
मृकण्डु मुनि ने गुणवान किन्तु छोटी आयु वाले पुत्र का वर मांगा ।
समय आने पर मृकण्डु मुनि के घर सूर्य के समान तेजस्वी पुत्र का जन्म हुआ । मरुद्वती के सौभाग्य से साक्षात् भगवान शंकर का अंश ही बालक के रूप में प्रकट हुआ । मृकण्डु मुनि ने बालक के सभी संस्कार सम्पन्न किये और उसे सभी वेदों का अध्ययन कराया । बालक मार्कण्डेय केवल भिक्षा के अन्न से ही जीवन निर्वाह करता और माता-पिता की सेवा में ही लगा रहता था ।
जब मार्कण्डेयजी की आयु का सोलहवां वर्ष शुरु हुआ तो मृकण्डु मुनि शोक में डूब कर विलाप करने लगे । अपने पिता को विलाप करते देखकर मार्कण्डेयजी ने उनसे इसका कारण पूछा ।
मृकण्डु मुनि ने कहा—‘पिनाकधारी भगवान शंकर ने तुम्हें केवल सोलह वर्ष की आयु दी है । उसकी समाप्ति का समय अब आ पहुंचा है; इसलिए मुझे शोक हो रहा है ।’
मार्कण्डेयजी ने कहा—‘आप मेरे लिए शोक न करें । मैं मृत्यु को जीतने वाले, सत्पुरुषों को सब कुछ देने वाले, महाकालरूप और कालकूट विष का पान करने वाले भगवान शंकर की आराधना करके अमरत्व प्राप्त करुंगा ।’
मृकण्डु मुनि ने कहा—‘तुम उन्हीं की शरण में जाओ, उनसे बढ़कर तुम्हारा दूसरा कोई भी हितैषी नहीं है ।’
माता-पिता की आज्ञा लेकर मार्कण्डेयजी दक्षिण समुद्र-तट पर चले गये और वहां अपने ही नाम से एक शिवलिंग स्थापित किया । तीनों समय वे स्नान करके भगवान शिव की पूजा करते और अंत में मृत्युंजय स्तोत्र पढ़कर भगवान के सामने नृत्य करते थे । उस स्तोत्र से भगवान शंकर शीघ्र ही प्रसन्न हो गये ।
जिस दिन मार्कण्डेयजी की आयु समाप्त होने वाली थी, वे पूजा कर रहे थे, मृत्युंजय स्तोत्र पढ़ना बाकी था । उसी समय मृत्युदेव को साथ लिए काल उन्हें लेने के लिए आ पहुंचा और उसने मार्कण्डेयजी के गले में फंदा डाल दिया ।
मार्कण्डेयजी ने कहा—‘मैं जब तक भगवान शंकर के मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ पूरा न कर लूं, तब तक तुम मेरी प्रतीक्षा करो । मैं शंकरजी की स्तुति किये बिना कहीं नहीं जाता हूँ ।’
काल ने हंसते हुए कहा—‘काल इस बात की प्रतीक्षा नहीं करता कि इस पुरुष का काम पूरा हुआ है या नहीं । काल तो मनुष्य को सहसा आकर दबोच लेता है ।’
मार्कण्डेयजी ने काल को फटकारते हुए कहा—‘भगवान शंकर के भक्तों पर मृत्यु, ब्रह्मा, यमराज, यमदूत और दूसरे किसी का प्रभुत्व नहीं चलता है । ब्रह्मा आदि सभी देवता क्रुद्ध हो जाएं, तो भी वे उन्हें मारने की शक्ति नहीं रखते हैं ।’
काल क्रोध में भरकर बोले—‘ओ दुर्बुद्धि ! गंगाजी में जितने बालू के कण हैं, उतने ब्रह्माओं का में संहार कर चुका हूँ । मैं तुम्हें अपना ग्रास बनाता हूँ । तुम इस समय जिनके दास बने बैठे हो, वे महादेव मुझसे तुम्हारी रक्षा करें तो सही !’
जैसे ही काल ने मार्कण्डेयजी को ग्रसना शुरु किया, उसी समय भगवान शंकर उस लिंग से प्रकट हो गये और तुरंत ही हुंकार भर कर मृत्युदेव की छाती पर लात मारकर उसे दूर फेंक दिया ।
मार्कण्डेयजी ने तुरंत ही मृत्युंजय स्तोत्र से भगवान शंकर की स्तुति करना शुरु कर दिया ।
मृत्युंजय स्तोत्र में सोलह श्लोक हैं । ब्लॉग के अधिक लम्बा हो जाने के कारण यहां आठ श्लोक ही दिए जा रहे है, जो इस प्रकार हैं—
रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकण्ठमुमापतिम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्—जो दु:ख को दूर करने के कारण रुद्र कहलाते हैं, जीवरूपी पशुओं का पालन करने से पशुपति, स्थिर होने से स्थाणु, गले में नीला चिह्न धारण करने से नीलकण्ठ और भगवती उमा के स्वामी होने से उमापति नाम धारण करते हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
कालकण्ठं कलामूर्तिं कालाग्निं कालनाशनम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्—जिनके कण्ठ में काला दाग है, जो कलामूर्ति, कालाग्नि स्वरूप और काल के नाशक हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
नीलकण्ठं विरुपाक्षं निर्मलं निरुपद्रवम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्—जिनका कण्ठ नीला और नेत्र विकराल होते हुए भी जो अत्यन्त निर्मल और उपद्रव रहित हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
वामदेवं महादेवं लोकनाथं जगद्गुरुम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्—जो वामदेव, महादेव, विश्वनाथ और जगद्गुरु नाम धारण करने वाले हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
देवदेवं जगन्नाथं देवेशमृषभध्वजम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्— जो देवताओं के भी आराध्यदेव, जगत् के स्वामी और देवताओं पर भी शासन करने वाले हैं, जिनकी ध्वजा पर वृषभ का चिह्न बना हुआ है, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
अनन्तमव्ययं शान्तमक्षमालाधरं हरम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्—जो अनन्त, अविकारी, शान्त, रुद्राक्षमालाधारी और सबके दु:खों का हरण करने वाले हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
आनन्दं परमं नित्यं कैवल्यपदकारणम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्—जो परमानन्दस्वरूप, नित्य एवं कैवल्यपद (मोक्ष) की प्राप्ति के कारण हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
स्वर्गापवर्गदातारं सृष्टिस्थित्यन्तकारिणम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।। पद्मपुराण के उत्तरखण्ड (२३७। ८३-९०)
अर्थात्—जो स्वर्ग और मोक्ष के दाता तथा सृष्टि, पालन और संहार के कर्ता हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
इस प्रकार भगवान शंकर की कृपा से मार्कण्डेयजी ने मृत्यु पर विजय और असीम आयु पाई । भगवान शंकर ने उन्हें कल्प के अंत तक अमर रहने और पुराण के आचार्य होने का वरदान दिया । मार्कण्डेयजी ने मार्कण्डेयपुराण का उपदेश किया और बहुत से प्रलय के दृश्य देखे हैं ।
यह बात अनुभवसिद्ध है कि इस स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक कम-से-कम १०८ पाठ करने से मरणासन्न व्यक्ति भी स्वस्थ हो जाता है । मृत्युंजय स्तोत्र के पाठ का यही फल है कि मनुष्य को मृत्यु का भय नहीं रहता है । ‘जो आया है वह जायेगा जरुर’ पर कालों के काल महाकाल की भक्ति मनुष्य को जीवन जीना और मौत से न डरना सिखाती है ।

||आचारर मिश्र:||

©Surbhi Gau Seva Sanstan मार्कण्डेयजी को अमरत्व देने वाला भगवान शिव का मृत्युंजय स्तोत्र!!!!!!
भगवान शिव के प्रसिद्ध नाम महाकाल और मृत्युजंय हैं । शिव के मृत्युंजय न

मार्कण्डेयजी को अमरत्व देने वाला भगवान शिव का मृत्युंजय स्तोत्र!!!!!! भगवान शिव के प्रसिद्ध नाम महाकाल और मृत्युजंय हैं । शिव के मृत्युंजय न #पौराणिककथा #BookLife

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Rabindra Kumar Ram

" पिलाओ नजरों की जाम हम पिना चाहते हैं ,
कहीं कुछ तिसनगी हैं हम इसमें जिना चाहते हैं ." 

                            --- रबिन्द्र राम " पिलाओ नजरों की जाम हम पिना चाहते हैं ,
कहीं कुछ तिसनगी हैं हम इसमें जिना चाहते हैं ." 

                            --- रबिन्द्र राम 

#नज

" पिलाओ नजरों की जाम हम पिना चाहते हैं , कहीं कुछ तिसनगी हैं हम इसमें जिना चाहते हैं ." --- रबिन्द्र राम नज

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BROKENBOY

ज़िन्दगी खूबसुरत है 
पर तुझे जीना नहीं आता 

हर चीज में नशा है 
पर तुझे पिना नहीं आता ज़िन्दगी खूबसुरत है 
पर तुझे जीना नहीं आता 

हर चीज में नशा है 
पर तुझे पिना नहीं आता

ज़िन्दगी खूबसुरत है पर तुझे जीना नहीं आता हर चीज में नशा है पर तुझे पिना नहीं आता

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Akshit Ojha

गर निकाली जाये ईमानदारी से history, तो इन नेताओं पर ,case कुछ और होता 🤨,
दंगे, जुमलों, अपराधों, घोटालों की जगह न होती ,और शायद तब देश कुछ और होता ।

नसीहत देते मिलते हैं चमचे, शिनाक कपडो़ की कराकर-"कि वो जो रंग है वो बे-वतन है, गर देशभक्त होते तो वेश कुछ और होता "।। जरा गुमराह है कुछ मगर हिंदुस्तानी हैं सब 
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एक बार जरूर पढ़े
शिना

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Manoj Paikrao

If you want to learn a thing ,
Read that.
If you want to know a thing,
Write that.
If you want to master a thing,
Teach that.

©Manoj Paikrao शिक्षण हे वाघिणीचे दूध आहे,जो पिनार तो गुरगुरल्याशिवाय राहणार नाही..Dr Babasaheb Ambedkar
#Nojoto #Friend #Life #Quote #Education #Heart #Lo

शिक्षण हे वाघिणीचे दूध आहे,जो पिनार तो गुरगुरल्याशिवाय राहणार नाही..Dr Babasaheb Ambedkar #Friend #Life #Quote #Education #Heart Lo #Love #Life_experience #InternationalEducationDay

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