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Shabana Nafees
क्योंकर उठे मेरी कलम से अब ख़ुशबू इश्क़ ओ गुलाब की रंजीदा बेहद है ये मुल्क़ में बढ़ती हुई सियाहकारी देख कर (Written on a black friday for the women we lost) फ़िज़ूलियत - 30/11/19 क्योंकर - how/कैसे रंजीदा - sorrowful सियाहकारी - depravity
Abhysheq Shukla
माज़ी मुझको, यादों की रंजीदा गर्मी से दूर कर दें.. हैं इल्तिज़ा तुझसे ए-रंज, मेरी चश्म को बादल कर दें.. माज़ी- अतीत रंजीदा- ग़मगीन चश्म - नेत्र रंज दुख इल्तिज़ा- अनुरोध #quotes #lifequote #lifequotes #yqbaba #quote #yqtales #motivationalquo
Shubhro K
Ashish Ravi
मेरे हबीब तू रकीब का ही रह, मेरे मांजी मुज्तरिब ना कर मुझे, मयस्सर थे,अब जुस्तुजू भी नहीं, कसक भी नहीं,उम्मीद भी नहीं, तवक्को भी नहीं,रंजीदा भी नहीं। (हबीब-माशूक़,रकीब-किसी स्त्री से प्रेम करने वाले दो परस्पर व्यक्ति,मुज्तरिब-बेचैन,मयस्सर-मौजूद,रंजीदा-दुखी)#love #yqbaba #yqdada #yqdidi #fol
Mohammad Arif (WordsOfArif)
तेरा जाना मेरे दिल को रंजीदा कर दिया जाते जाते ऐ माहे रमज़ान मुझे संजीदा कर दिया अलविदा माहे रमज़ान मुबारक हो तेरा जाना मेरे दिल को रंजीदा कर दिया जाते जाते ऐ माहे रमज़ान मुझे संजीदा कर दिया अलविदा माहे रमज़ान मुबारक हो #Alvida #Mahe #Ramzan #Jummah
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
ख्याल है मगर इतना ख्याल थोड़ी है,के वो मेरे हाल से वाकिफ ए हाल थोड़ी है//१ मतलब के लिए जीते है कुछ लोग यहां,उन्हे खून ए जिगर का चाक ए मलाल थोड़ी है//२ वस्ल पस्त हुआ हिज्र से पहले,ये उल्फ्त ए अंजाम का आगाज है,अंजाम ए विसाल थोड़ी है//३ रंज जब भी रंग लाए तबस्सुम रंजीदा न हुई मेरी, के अपनों का सताना बवाल थोड़ी है//४ मैं वाकिफ हूं हर हाल,हर ख्याल से "शमा"के लिए ये वाकिए बेहाल थोड़ी है//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #sunlight ख्याल है मगर इतना ख्याल थोड़ी है,के वो मेरे हाल से वाकिफ ए हाल थोड़ी है//१ मतलब के लिए जीते है कुछ लोग यहां,उन्हे खून ए जिगर का च
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
के हिज्र ए जहन में बिखरी है तेरी यादें इस कदर, ये शेर,ये नज़्म,ये अशआर,ये गजल इस कदर//१ इनमे से कोई तो मेरी रू दाद को आ जाए,ये मंच, ये समात,ये एहबाब,ये महफिल इस कदर//२ तू आए तो सही तुझे हरफों में पिरोकर,तरन्नुम में पढ़ दूं, ये जुदाई,ये तड़प,ये गफलते गाफिल इस कदर//३ अब भी उस गाफिल के वस्ल को मुंतजिर है,ये आलुदा चश्म,ये अश्क,ये आह,ये इश्के विसाल इस कदर//४ "शमा"इश्क के मसीहा से रंजीदा है बहुत,की है अब तक ये आजिजी,ये इसरारी ये मिन्नते,मुसलसल इस कदर//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #landscape के हिज्र ए जहन में बिखरी है तेरी यादें इस कदर,ये शेर,ये नज़्म,ये अशआर,ये गजल इस कदर//१ इनमे से कोई तो मेरी रू दाद को आ जाए,ये म
prakash Jha
किसी से दिल लगाने की सजा क्या है आखिर इस दर्द-ए-दिल की दवा क्या है ज़िंदगी के लिए ज़िंदा रहना जरूरी है दवा मिलती है तो फिर ये क़ज़ा क्या है रंज आँखों में लिए घूमते है शहर में रंजिश ही निभानी है तो दुआ क्या है खुद की गुनाहों पे खुद ख़ाक डालते है और मुझसे पूछते है कि ये बला क्या है वफ़ा करने बाले ही बेवफ़ा हो गए मुहब्बत बेवफ़ा है तो ये वफ़ा क्या है ख़फ़ा होते है पूछने पर हाल-ए-दिल ना पूछो तो कहते है ये जफ़ा क्या है ©prakash Jha किसी से दिल लगाने की सजा क्या है आखिर इस दर्द-ए-दिल की दवा क्या है ज़िंदगी के लिए ज़िंदा रहना जरूरी है दवा मिलती है तो फिर ये क़ज़ा क्या
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White उम्र रसीदा औरते भी नादान होती है,वो अक्सर ये जानते हुए भी प्रेम में पड़ जाती है कि,इस उम्र में ठगी जाएंगी.... मगर फिर भी संजीदा होती है,आ जाता है उन्हें खुदके लिए वक्त निकाल कर जुल्म से निपटना, शौहर के गुमराह नैनो पे पैनी नजर रखना.... रिश्तों में दोहरेपन झेलती हुए,बावर्ची खाने में खुदको मसरूफ कर लेना,तो कभी पुराने नोट्स के पन्ने पलटने_लिखने में, खुदको तरन्नुम में गुनगुना लेना,कभी खुद पर तवज्जो से निहारकर निखार लेना,इस मानिंद खुदको खुद में तलाशती, अपने ही घर में खामोशी इख्तियार कर लेना,दर हकीकत ये औरतें बहुत नादान होती है,बाहर से शालीन,और अंतर्मन में गमगीन होती है... सच में उम्र रसीदा औरतें कितनी नादान होती है... Blog By....✍️ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Nightsउम्र रसीदा औरते भी नादान होती है,वो अक्सर ये जानते हुए भी प्रेम में पड़ जाती है कि,इस उम्र में ठगी जाएंगी,बिसराई जाएंगी....?? मगर फि
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
बासी कढ़ी में भी आता है,अक्सर उबाल यारो, हैरा न हो पड़ोसी भी होता है*दलाल यारो//१ "फर्ज निभाते निभाते कर दी कुर्बान अपनी*तमाम *मसर्रत, सिवाय इसके क्या है*हलाल यारो/२/ *कर्तव्य,*पूरा*खुशी*शुद्ध जमाने के*रंजो अलम,है सीने में,फर्ज का बोझ है *शानो पे, अब खुदी का क्या है*मलाल यारो//३ *दुख*कंधे*पछतावा कितना*दिलफरेब है,अपने जख्मी दिल को कुरेदना, खुदी में खो जाना यही तो हैं*बवाल यारो//४ *दिल का धोखा*हंगामा उठाए फिरते है,दिल पे बोझ हमदर्द सांसों का, हमने*चंद रोजा जिंदगी में कब,किया है कमाल यारो//५ *कुछ दिन तमाम उम्र इक*तालीम याफ्ता नौजवान बेरोजगार बैठा रहा,मानिंदे अपाहिज, अब*जईफी में की उसको*मुहय्या रोजगार की है मशाल यारो//६ *विद्वान*बुढ़ापा*उपलब्ध कितना*रंजीदा है देश का किसान*कहतसाली से, कि देखकर फावड़ा,फेक दिया है कुदाल यारो//७ *गमगीन*अकाल जिस्म निचोड़कर,जिगर सोख उस लिया*सीतमगर ने अब तक चश्म में न आया है*जलाल यारो//८ *जल्लाद*आंख*गुस्सा यारो कढ़ी और दलाल सब एक फितरतन है,शमा देखो तो*हक से*बातिल ने किया है सवाल यारो//९ *सच*झूठ शमीम अख्तर/शमा writes ✍️ ©shama write बासी कढ़ी में भी आता है,अक्सर उबाल यारो,हैरा न हो पड़ोसी भी होता है*दलाल यारो//१ "फर्ज निभाते निभाते कर दी कुर्बान अपनी*तमाम *मसर्रत,सिवाय