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Mihir Choudhary

तुमने तो हँस के पूछा था  बोलो न कितना प्रेम है 

बोलो कैसे मैं बतलाता
बोलो ना कैसे समझता 

जब अहसास समंदर होता है 
तो शब्द नही फिर मिलते हैं 

उन बेहिसाब से चाहत को कैसे कैसे मैं  बतलाता 
बोलो न कैसे  दिखलाता बोलो न कैसे  समझता 

 तब भी हिसाब का कच्चा था
अब भी हिसाब का कच्चा हूँ

 जो था वो ना मेरे बस का था
अब तो जो हालात हुए उनसे तो मैं अब बेबस हूं

अब अंदर -अंदर सब जलता है
लावा जैसा सा कुछ पलता है

धीमे धीमे  कुछ रिसता है
कुछ टूट-टूट के पीसता है

नस-नस मैं जैसे कुछ खौलता है
धड़कन बिजली सा दौड़ता  है

अब बेहिसाब ये यादे है 
बस बेहिसाब ये चाहत है 

बोलो क्या वो प्रेम ही था 
बोलो न क्या ये प्रेम ही है

मिहिर... बिरहा

बिरहा

5 Love

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Rajesh rajak

सखियां करती फागुन की बातें,
ये सखी,कैसे कटें ये तन्हा रातें,
आ गया बसंत,दुख भए अनंत,
दिन तो बीता प्रियतम की बाट जोहते,
कैसे बीतें बैरन रातें,
यार मिले कोई तलबगार,कसक मिटे मन की,
राग मल्हार फगुआ गाए,प्रीत मिले न यौवन की,
मन मतंग,करता है तंग,फीका सा लागे मोहे लाल रंग,
हे कंत,कर बिरह का अंत,पुलक उठे मोरा अंग अंग,, फागुन का बिरह,

फागुन का बिरह,

32 Love

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Bheem Bheemshankar

बिरह मेरे यार का

बिरह मेरे यार का #हॉरर

27 Views

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Vandana

तुम जो दूर गए मुझसे,,
मुद्दतों बीत गए मुझे मुस्कुराए,,,
एक उदासी से छाई रहती है मुख में,,
लफ्जों में कैद हो गई है अब खामोशी,,,
ऐसा ना है की प्यास है जिस्म की,,
यह तो एक रूह की कसक है,,,,
ना जिंदगी में कोई वजह है,
बेवजह सी हो गई है मेरी अब दुनियाँ,,
साथ जब तुम थे ना कोई गम था
ना कुछ कम था,,,
तुम्हारी मौजूदगी ही मेरे जीने का सहारा था
अब जो बिछड़न का दर्द है, 
वो आंसू बन छलकते है, मेरे आंखों से,,,,
करवटें बदलती हूं वीरान रातों में,,
तन्हा अकेले ही खुद से लड़ती हूं,,
जज्बातों के बहाव में बह जाती हूं,,
हाँ, मैं उस पल बहुत कमजोर पड़ जाती हूं,
माना जब तुम पास थे पूरा
हक समझती थी,,
नाजायज ख्वाहिशें और भरपूर कोसती थी, 
तुम्हें अपना खुदा समझ मनमर्जियां 
खूब चलाती थी,,,
नादान अल्हड़पन में बहुत तुम्हें सताती थी,, 
आज वह शरारतें उदास निराश बैठी है,,,  विरहा वेदना बिछड़न का दर्द,,,,

विरहा वेदना बिछड़न का दर्द,,,,

0 Love

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Anuj Ray

" बिरहा की रातें"

न धुंआ न कहीं ,आग जला करती है,
बिरहा की रातें यूं ही ,खामोश जला करती हैं

जलता है बदन आग की लपटों में,दो बूंद 
की उम्मीद लिये, बेबसी हाथ मला करती है।

फागुन का महीना हो, या घनी सावनी रातें, 
पिया मिलन की आस में, यूं ही ख़ला करती हैं।

©Anuj Ray #बिरहा की रातें

#बिरहा की रातें

12 Love

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-vinita vinay panchal

#NaseebApna 
#अल्फाज 
#बिरहा
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वो SabnamKhatoon

कहना और पूछना तो बहुत है ए जिंदगी बस बया करने
का तरीका और अल्फाज ढूंढती हूं

©वो
SabnamKhatoon
  जिंदगी बिहा करने का तरीका

जिंदगी बिहा करने का तरीका #ज़िन्दगी

66 Views

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तृप्ति

कल सारी रात बैठ कर ..
मैंने उसे एक खत लिखा..
दिल में जो था वो लफ्ज़ लफ्ज़ लिखा...
वो अनकहा मेरा हर अल्फ़ाज़  लिखा..
शिकवा बेचैनी उलफत कश्मकश लिखा ..
उस से ना मिल पाने का दर्द लिखा... 
अरसे से जो किए जाने वाला  इंतज़ार लिखा ..
बस रह गया तो सिर्फ  और सिर्फ उसका पता ..
जो बरसों से मुझे नहीं पता ...
बस वो ही ना लिखा ..
बाकी सब लिखा..
मैंने  उसे एक खत लिखा..

...तृप्ति #बिरहन
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Shekhar Chandra Mitra

विरहा

विरहा

33 Views

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Omprakash Bhati

आपकी सूरत मेरे दिल में ऐसी बस गई है जिससे छोटे से देखाजे  में भैंस फेस  गई

©Omprakash Bhati जिंदगी का किस्मत लेखक ओमप्रकाश भाटी

#Winter

जिंदगी का किस्मत लेखक ओमप्रकाश भाटी #Winter #ज़िन्दगी

12 Love

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Sarvesh Yadav

★ सदियों का संताप : ओमप्रकाश वाल्मीकि★

★ सदियों का संताप : ओमप्रकाश वाल्मीकि★

39 Views

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Sarvesh Yadav

★कुँआ ठाकुर का : ओमप्रकाश वाल्मीकि★

★कुँआ ठाकुर का : ओमप्रकाश वाल्मीकि★ #poem

278 Views

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CHANDRA MAULI PACHRANGIA

महान साहित्यकार डॉ. ओमप्रकाश पचरंगिया का परिचय

महान साहित्यकार डॉ. ओमप्रकाश पचरंगिया का परिचय

71 Views

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PRASAD

चूल्‍हा मिट्टी का
मिट्टी तालाब की
तालाब ठाकुर का ।

भूख रोटी की
रोटी बाजरे की
बाजरा खेत का
खेत ठाकुर का ।

बैल ठाकुर का
हल ठाकुर का
हल की मूठ पर हथेली अपनी
फ़सल ठाकुर की ।

कुआँ ठाकुर का
पानी ठाकुर का
खेत-खलिहान ठाकुर के
गली-मुहल्‍ले ठाकुर के
फिर अपना क्‍या ?
गाँव ?
शहर ?
देश ?

©PRASAD #BehtiHawaa ठाकुर का कुआँ ।। ओमप्रकाश वाल्मीकि की

#BehtiHawaa ठाकुर का कुआँ ।। ओमप्रकाश वाल्मीकि की #कविता

12 Love

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Nahar Singh Rawat

  #बिरसा मुंडा

117 Views

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Asutosh Behera 17

सोचा था क्या, क्या हो गया
क्षणभर में सब कुछ खो गया।
सब कुछ था जीवन में मेरे,
जीवन ही मेरा खो गया।
नियति ने ऐसा क्या किया,
मेरे प्रेम में ऐसी विरह ला दिया??
चाहा था क्या पाया है क्या,
सब कुछ ही मेरा खो गया। #बिरह
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Shriram Birla

 श्रीराम बिरला

श्रीराम बिरला #nojotophoto

2 Love

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Ankur Mishra

पल पल मर रहा हूँ
पल पल जल रहा हूँ
आग है विरहा की 
उस आग में चल रहा हूँ
एक खुमारी है इश्क़ की 
एक नशा है महबूब की निगाहों का
मैं मयखाने का पता भूल गया हूँ
तेरी निगाहों से जो पि रहा हूँ
एक खलिश है तेरी यादों की
एक मुक्मल है दर्द तेरा
मेरी आंखें देंखें ना कुछ और
तेरा ही चेहरा जो दिखे हर ओर

©Ankur Mishra #विरहा

#Woman
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Padmaxi pranjal

बेहद प्यार की शायद ये सजा है
सामने है तु पर दूरीया दरमियाँ है।

©Padmaxi pranjal बिरहाई रैना

बिरहाई रैना #પ્રેમ

8 Love

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R K Meena

अपने हक और अधिकारों के लिए हमेशा लड़ते रहे।

© R K Meena बिरसा मुंडा

बिरसा मुंडा #समाज

7 Love

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Abhishek Singh

बिरह तय,, 

आज मेरा है, कल आपका भी होगा। बिरह,,,,।।।।।

बिरह,,,,।।।।। #विचार

5 Love

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CK JOHNY

बिरह अगन में जले अंग तन में अगन लगाये। 
जन्म जन्म की मैं प्यासी मेरी प्यास कौन बुझाये, 
गम के कढ़वे घूँट पीऊँ अश्कों का खारा पानी, 
प्रेम का मधुर शीतल जल सखी कौन पिलाये।
दूर बसो किस देश पिया कैसे तुम तक आऊँ
नगर तेरे की डगर न जानू कैसे तुझ तक आये। 
पिया हमारे आओ अब इस बेसुध की सुध लो 
तुम न सुनो अर्जी हमारी तो तो किसे जा सुनायें। 
गुरू के देश जाओ तुम प्यारी वे भेदी इस मार्ग के 
अमृत नाम-पान कर जन्मों की प्यास बुझ जाए। 
पल पल छिन छिन कर सुमिरन भजन वंदगी
नाम जहाज में असवार कर तोहि तेरे देश पहुँचाए।


 बिरह

बिरह

0 Love

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AC RAKESH DEWADE

जय बिरसा

जय बिरसा #विचार

125 Views

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Vikas Singh Parihar

#बिरह
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Om Prakash

ओमप्रकाश

ओमप्रकाश #सस्पेंस

144 Views

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Meenakshi Sharma

शायरी

 प्रकाश

मेरी जिंदगी में भी,
इक दिन  तूफान आया था,
गमों की अंधेरी रात के बाद‌ ,
खुशियों का प्रकाश आया था। 


Meenakshi Sharma प्रकाश का आना

प्रकाश का आना #शायरी

13 Love

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जिंदगी में अकेले रहना सिखो लोग कभी साथ नहीं देते है

© ओमप्रकाश

ओमप्रकाश #जानकारी

7 Love

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Narendra Sonkar

प्रकाश का समुद्र
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सूर्य को निगल गया हो ग्रहण
चंद्रमा भी अंधेरों की भेंट चढ़ गया हो जब
काली घोर घटाएं छाई हो आसमान में
कहीं कोई सुराख ना हो रौशनी का
दूर दूर तलक नजर न आये कहीं कोई नक्षत्र-तारा
समूचा संसार कोप भवन का पर्याय लग रहा हो जब
अंधेरा ही प्रकाश का समानार्थी समझा जा रहा हो तब 
भ्रमवश नही पूरे विश्वास के साथ 
यदि मान बैठे जुगनू 
स्वयं को 
प्रकाश का समुद्र
तो गलत नही है

गलत नही है इसलिए
क्योंकि वह ऐसे वक्त में स्वयं को अजेय 
और परवरदिगार साबित किया है
जब बड़े-बड़े सिकंदर व धुरंधर 
जकड़े हुए थे दुश्मन के शिकंजे में।
••••
नरेन्द्र सोनकर 'कुमार सोनकरन' प्रयागराज 🙏

©Narendra Sonkar प्रकाश का समुद्र

प्रकाश का समुद्र #कविता

11 Love

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