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New मजलूमों Quotes, Status, Photo, Video

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Ayush kumar gautam

खुदा के उन बंदो के लिये जो मजलूम हैं

 जालिम तुमसे तो हम बरजख में मिलेंगे
दोजख तो पहले ही तय कर दी है हमने तेरे वास्ते
मुनकर-नकीर तो बस रसम अदायगी ही करेंगे

बरजख-मौत के बाद और कयामत के बीच का वक्त
मुनकर और नकीर- दो खौफनाक दिखने वाले फरिस्ते जो जमीन फाड़कर आयेंगे कयामत से ठीक पहले कब्र पर रूह से सवालात करने को मजलूमों के लिये

मजलूमों के लिये

36 Love

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Gurinder Singh

 # मजलूमों की बात कर 
https://poetrylandmark.blogspot.com/?m=1

# मजलूमों की बात कर https://poetrylandmark.blogspot.com/?m=1

5 Love

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Anwar Hussain Anu Bhagalpuri

मजलूमों को जब -जब तुम सताओगे, 
 एक आंधी आएगी ,तुम बच ना पाओगे !

-- अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #चीनीbusकरोना
मजलूमों को जब -जब तुम सताओगे, 
 एक आंधी आएगी ,तुम बच ना पाओगे !

-- अनवर हुसैन अणु भागलपुरी

#चीनीbusकरोना मजलूमों को जब -जब तुम सताओगे, एक आंधी आएगी ,तुम बच ना पाओगे ! -- अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #अनुभव

4 Love

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S N Gurjar

"जनाब आपने कौम के #मजलूमों के लिए क्या किया❓"
#रहनुमा-

"क्या कुछ नहीं #किया #मैनें...
मैंने #दुआ पर दुआ की 😂😂😂

"जनाब आपने कौम के #मजलूमों के लिए क्या किया❓" #रहनुमा- "क्या कुछ नहीं #किया #मैनें... मैंने #दुआ पर दुआ की 😂😂😂 #Comedy

12,496 Views

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MG Rana U.P12 Wala

Very sad voice ..I stand with palestine 
मजलूमों का दर्द😭😭
#VerySad #myvoice #Palestine #IStandWithPalestine #sadnazm  prashu pandey Gaurav

Very sad voice ..I stand with palestine मजलूमों का दर्द😭😭 #VerySad #myvoice #Palestine #IStandWithPalestine #sadnazm prashu pandey Gaurav #समाज

137 Views

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Humayoun Naqsh

आजकल मजलूमों पर जुल्म यूं कुछ इस तरह ढाते हैं,
आधी रोटी डाल कर दुनिया वालों को दिखाते हैं। #Struggle आजकल मजलूमों पर जुल्म कुछ यूं इस तरह ढाते हैं,
आधी रोटी डाल कर दुनिया वालों को दिखाते हैं।
 Eisha Mahimastan  indira Azad ताहिर তা

#Struggle आजकल मजलूमों पर जुल्म कुछ यूं इस तरह ढाते हैं, आधी रोटी डाल कर दुनिया वालों को दिखाते हैं। Eisha Mahimastan indira Azad ताहिर তা

33 Love

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Ek Manzil

 तेरा फैसला अब इस मिट्टी को अफ़सोस दिलाता है 
तेरी ख़ुद गर्जी भी इस मिट्टी को अफ़सोस दिलाती है
किया खता थी उन मजलूमों की 
जो उनको अब अपने घर

तेरा फैसला अब इस मिट्टी को अफ़सोस दिलाता है तेरी ख़ुद गर्जी भी इस मिट्टी को अफ़सोस दिलाती है किया खता थी उन मजलूमों की जो उनको अब अपने घर #kashmir #शायरी #Faisla #nojotophoto #Mazloom #ubaidhaider

3 Love

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Mohammad Arif (WordsOfArif)

हालत बद से बद्तर अब होने वाली है 
गरीब मजलूमों की यहां मौत होने वाली है

जब भी कोई आफ़त और बला आती है
मजदूर बेसहारों पर कयामत होने वाली है

जो अमीर है वो यहां कुछ ज्यादा खुश है
हर बार गरीबों की ऐसे कैसे मदद होने वाली है

जो अपने घरों में बहुत खुश हो ये जान लो
गरीबों की आह तुम पर मुस्नत होने वाली है

तुम्हें अपने आप पर गुरुर है इस जमीन पर
अब देखो आसमानों पर उनकी बात होने वाली है

गरीब मजलूमों की आह अगर लग गई तो
आरिफ बस क़यामत ही क़यामत होने वाली है हालत बद से बद्तर अब होने वाली है 
गरीब मजलूमों की यहां मौत होने वाली है

जब भी कोई आफ़त और बला आती है
मजदूर बेसहारों पर कयामत होने वाली है

हालत बद से बद्तर अब होने वाली है गरीब मजलूमों की यहां मौत होने वाली है जब भी कोई आफ़त और बला आती है मजदूर बेसहारों पर कयामत होने वाली है #Life #Love #Hindi #writer #Shayari #urdu #Arif #Life_experience

18 Love

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Sumit Upadhyay

अगर आपको डर लगता है सच लिखने से। अगर आपकी कलम किसी निजी स्वार्थ या भय के साये में चलती है। अगर आप केवल मक्कारों की वाहवाही लूटने के लिए लिखते हैं । अगर आपको किसानों की मौत, बच्चियों की लुटती इज़्ज़त मजलूमों पर जुल्म दिखाई तो देते है मगर महसूस नही होते। अगर आपकी स्याही हिन्दू या मुसलमान देखकर लिखती है। अगर आप घटिया हैं तो छोड़ दीजिए लिखना ।
ज़मीर जिंदा न हो तो मुर्दा शब्दों की लाशें मत बिछाइये। अगर आपको डर लगता है सच लिखने से। अगर आपकी कलम किसी निजी स्वार्थ या भय के साये में चलती है। अगर आप केवल मक्कारों की वाहवाही लूटने के लिए लिखत

अगर आपको डर लगता है सच लिखने से। अगर आपकी कलम किसी निजी स्वार्थ या भय के साये में चलती है। अगर आप केवल मक्कारों की वाहवाही लूटने के लिए लिखत #Quotes #girls #Rape #writers

29 Love

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Ganesh Singh Jadaun

आवारा हूं, बंजारा हूं
किसी के दिल का तारा हूं

दिल का बजता इकतारा हूं
 अपने ही दिल से हारा हूं

जो सुबह तलक भी तन्हा था,
मैं  वही शाम का तारा हूं

जिनको कुदरत का सहारा है
उन मजलूमों का यारा हूं

दुश्मन की आंख का हूं कांटा
यारों की आंख का तारा हूं

इक नज़र प्यार से जो देखे
मैं उसी नजर का मारा हूं

लडने का है जज्बा 'सिंह' में
कहता है जग आवारा हूं

           _______©® गणेश 'सिंह' जादौन #आवारा हूं, बंजारा हूं
किसी के दिल का तारा हूं

दिल का बजता इकतारा हूं
 अपने ही दिल से हारा हूं

जो सुबह तलक भी तन्हा था,
मैं  वही शाम का ता

#आवारा हूं, बंजारा हूं किसी के दिल का तारा हूं दिल का बजता इकतारा हूं अपने ही दिल से हारा हूं जो सुबह तलक भी तन्हा था, मैं वही शाम का ता

8 Love

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Mohammad Arif (WordsOfArif)

जुगनूओं का सहारा कब तक लोगे
कभी तो आफताब से आंख मिलाओ

ऐसे छुपकर कब तक रहोगे तुम
कभी तो मजलूमों से नजरें मिलाओ

ऐसे बातों में उलझाओगे कब तक
कभी तो अपने अवाम से हाथ मिलाओ

हर बात पर सियासत करना ठीक नहीं
ये सब छोड़ दो लोगों से दिल मिलाओ

वादें जो किए हो कभी तो निभाओ
भाषण से लोगों में केवल नफ़रत मिलाओ

तुम्हें दुःख दर्द नहीं होता है आरिफ
हाथ शायद ऊंचे लोगों से तुम मिलाओ जुगनूओं का सहारा कब तक लोगे
कभी तो आफताब से आंख मिलाओ

ऐसे छुपकर कब तक रहोगे तुम
कभी तो मजलूमों से नजरें मिलाओ

ऐसे बातों में उलझाओगे कब तक

जुगनूओं का सहारा कब तक लोगे कभी तो आफताब से आंख मिलाओ ऐसे छुपकर कब तक रहोगे तुम कभी तो मजलूमों से नजरें मिलाओ ऐसे बातों में उलझाओगे कब तक #Quotes #Love #Hindi #writer #Shayari #शायरी #urdu #Arif

16 Love

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Anmol Dubey (nikky)

नहीं जिसमें दरबारी राग  मैं ऐसा इक साज हूँ।          
मैं नक्कारखाने में तूती की आवाज हूं!

नाजुक बहुत पंख मेरे फिर भी करता परवाज हूँ।
मैं नक्कारखाने में तूती की आवाज हूं! 

अन्जाम भला खुदा जाने, मैं तो सिर्फ आगाज हूँ ।
मैं नक्कारखाने में तूती की आवाज हूं! 

खुदा भी जिसको सुन पिघल जाये मैं वो मजलूमों की आवाज हूँ।
मैं नक्कारखाने में तूती की आवाज हूं! 

तथाकथित मुहाफिजों को नापसन्द जो मैं वो जुदागाना अन्दाज हूँ।
मैं नक्कारखाने में तूती की आवाज हूं!

©अनमोल दुबे नहीं जिसमें दरबारी राग  मैं ऐसा इक साज हूँ।
मैं नक्कारखाने में तूती की आवाज हूं!

नाजुक बहुत पंख मेरे फिर भी करता परवाज हूँ।
मैं नक्कारखाने

नहीं जिसमें दरबारी राग  मैं ऐसा इक साज हूँ। मैं नक्कारखाने में तूती की आवाज हूं! नाजुक बहुत पंख मेरे फिर भी करता परवाज हूँ। मैं नक्कारखाने

11 Love

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Anil Kumar

अक्सर कह देते हैं कि , वो खुद मुकम्मल हैं ।
हमने हर रोज़ उन्हें , बदलते नकाब देखा है ।।

दौर-ए-हमाम , खिड़की से उन्होंने झांक लिया ।
ज़मीर कहने लगया कि , हमने माहताब देखा है ।।

इश्क़ का गुरूर ये कि , हम हुश्न को टक्कर देंगे ।
ऐसे अलफाजों का , हमने खानाखराब देखा है ।।

चढ़के छाती ख्वाब की , मजलूमों को इमदाद देता ।
रात को जागने वाला , ख़ुदा-बंदा-नबाब देखा है ।।

इंसानियत की खातिर , वे खुद ही फ़ना हो जाएं , 
शख्सियत उनकी और ,'जय' वो हिजाब देखा है ।।

©Anil Kumar
  अक्सर कह देते हैं कि , वो खुद मुकम्मल हैं ।
हमने हर रोज़ उन्हें , बदलते नकाब देखा है ।।

दौर-ए-हमाम , खिड़की से उन्होंने झांक लिया ।
ज़मीर कहने

अक्सर कह देते हैं कि , वो खुद मुकम्मल हैं । हमने हर रोज़ उन्हें , बदलते नकाब देखा है ।। दौर-ए-हमाम , खिड़की से उन्होंने झांक लिया । ज़मीर कहने #शायरी

85 Views

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Naveen

वो कैलाश के वासी, वो मन से अभिलाषी,
जटा में जिसके गंगा, गले से वो सार्पधारी । 

तांडव वो करते है, मजलूमों के दुख हरते है,
देवों में देव है,

वो कैलाश के वासी, वो मन से अभिलाषी, जटा में जिसके गंगा, गले से वो सार्पधारी । तांडव वो करते है, मजलूमों के दुख हरते है, देवों में देव है, #Thoughts

554 Views

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Zoga Bhagsariya

हर कबीले से निकला है ,बशर तेरी खिलाफत में ,
अब जो होगा ,देखा जाएगा ,कैसा खोफ़ ,शहादत में ,

सामने आ ,नज़र मिला , हम  रिज्क दानों से ,
आदमियत जगा , आजा  मजलूमों की  अयादत में ,

ये लश्कर तो इक रोज़ आना ही था , ए बादशाह ,
अरे सलत्नतें  लुट  जाती  हैं ,  हमसे  अदावत में ,

ये सारा मसला ,तेरे आमालों से पैदा हुआ है ,
जैसा करे है ,वैसा भरे है ,ले आ इमां इस कहावत में ,

घिर गया  है  तुं अब  ,अहल "ए" ज़मीं  से , जोगा"
सुपुर्द"ए"ख़ाक तो होगा ही ,चाहे हो , तूं जियारत में ।।

जोगा भागसरिया ।।

ZOGA BHAGSARIYA RAJASTHANI
KAFIR ZOGA GULAM

©ZOGA BHAGSARIYA RAJASTHANI_KAFIR ZOGA GULAM हर कबीले से निकला है ,बशर तेरी खिलाफत में ,
अब जो होगा ,देखा जाएगा ,कैसा खोफ़ ,शहादत में ,

सामने आ ,नज़र मिला , हम  रिज्क दानों से ,
आदमियत

हर कबीले से निकला है ,बशर तेरी खिलाफत में , अब जो होगा ,देखा जाएगा ,कैसा खोफ़ ,शहादत में , सामने आ ,नज़र मिला , हम रिज्क दानों से , आदमियत

10 Love

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Naveen

वो कैलाश के वासी, वो मन से अभिलाषी,
जटा में जिसके गंगा, गले से वो सार्पधारी । 

तांडव वो करते है, मजलूमों के दुख हरते है,
देवों में देव है,

वो कैलाश के वासी, वो मन से अभिलाषी, जटा में जिसके गंगा, गले से वो सार्पधारी । तांडव वो करते है, मजलूमों के दुख हरते है, देवों में देव है, #NaveenChauhan #QuoteContest #naveen_diariess

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Sachin Ken

वो अकेला सरदार था 
फिर भी असरदार था।

डायरों की  फ़ौज  ने उसको  घेर  लिया 
पग में  मारी ठोकर  ज़मी पर  ढेर किया
ऊधम के वंशजों ने की है सदा ही सब की
सेवा,  उसपर दो पल में  पानी  फेर  दिया

वो अंजाम से बेदार था
फिर भी असरदार था

चोर देश के लेकर पूँजी लन्दन में बस जाते है
वर्दीवाले मजलूमों पर वर्दी का रोब दिखाते है
बहन बेटियों की इज़्ज़त नित दिन लूटी जाती,
निर्दोषों की जान ले लेते,उनको रोक ना पाते हैं

वो कौनसा गुनहगार था?
फिर भी असरदार था
वो अकेला सरदार था।

✍️ Sachin Kumar Ken वो अकेला सरदार था 
फिर भी असरदार था।

डायरों की  फ़ौज  ने उसको  घेर  लिया 
पग में  मारी ठोकर  ज़मी पर  ढेर किया
ऊधम के वंशजों ने की है सदा ही

वो अकेला सरदार था फिर भी असरदार था। डायरों की फ़ौज ने उसको घेर लिया पग में मारी ठोकर ज़मी पर ढेर किया ऊधम के वंशजों ने की है सदा ही #समझ #nojotohindi

4 Love

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Kumar.vikash18

रावण जिन्दा है मर गया रावण जो जीता था त्रेता में सताता था मजलूमों को वह रहता था लंका में , हाहाकार मचा दिया धरती पर मजलूमों का खून पिया तब र

रावण जिन्दा है मर गया रावण जो जीता था त्रेता में सताता था मजलूमों को वह रहता था लंका में , हाहाकार मचा दिया धरती पर मजलूमों का खून पिया तब र

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Bhavesh Thakur

एक संकट स्वयं पर..

©Bhavesh Thakur "Rudra" एक संकट स्वयं पर

ये कैसा संकट आया है?
क्यूँ अंधियारा सा छाया है?
क्या देख रहा है तू ईश्वर?
कैसी ये तेरी माया है?

कुछ महत्वाकांक्षी लोग सोच

एक संकट स्वयं पर ये कैसा संकट आया है? क्यूँ अंधियारा सा छाया है? क्या देख रहा है तू ईश्वर? कैसी ये तेरी माया है? कुछ महत्वाकांक्षी लोग सोच #alone #कविता #difficulties

17 Love

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Mohammad Arif (WordsOfArif)

आंखें मूंद लेने से हालत ठीक थोड़े होती है
भाषण देने से यहां पर राशन थोड़े मिलती है

अभी गनीमत है मदद करो साहब गरीबों की 
ऐसे कहने से मजलूमों के पेट भर थोड़े जाती है

इलाज मुहब्बत से करो नफ़रत से नहीं यहां
ऐसे जातिवाद करने से प्यार थोड़े मिलती है

तुम अपने होने पर गुरुर बहुत था मगर देखो
लोगों से नफ़रत करने से इज्ज़त थोड़े मिलती है

इस दुःख भरी दुनिया में लोगों पर हंसने से
ये दुनिया अब तुम्हें इंसान थोड़े समझती है

नफ़रत का बोलबाला  चारों तरफ फैला है
आरिफ प्यार करने से इज्ज़त कम थोड़े होती है आंखें मूंद लेने से हालत ठीक थोड़े होती है
भाषण देने से यहां पर राशन थोड़े मिलती है

अभी गनीमत है मदद करो साहब गरीबों की 
ऐसे कहने से मजलूमों

आंखें मूंद लेने से हालत ठीक थोड़े होती है भाषण देने से यहां पर राशन थोड़े मिलती है अभी गनीमत है मदद करो साहब गरीबों की ऐसे कहने से मजलूमों #Quotes #Life #Love #Hindi #writer #Shayari #nojotohindi #urdu #Arif #Life_experience

22 Love

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Prakhar Kushwaha 'Dear'

कितना ज़हर घुला है अब दुनिया की बाज़ारों में,
अस्मत तक बिकती है अब खुलकर के अख़बारों में।

ढंग रहा ना बातों का, अब ना वो शिष्टाचार रहा,
इज्ज़त लुटती नारी की अब खुलकर के दरबारों में।

रिश्ते-नाते छूट गए, बस खेल रहा अब पैसों का,
मानव का ही ख़ून लगा है मानव की करतारों में।

अपना कहकर करें छलावा साख़ मिटाई यारी की,
कूटिनीति ही हावी है अब श्रद्धा की सरकारों में।

'पंचों' से पूछो स्वाभिमान और मर्यादा क्या होती थी?
अब सबकी औक़ात समाई ख़तरनाक हथियारों में।

परवाह किसीको रही नहीं निसदिन पिसते मजलूमों की,
बस शहंशाह बनते हैं सब अपने-अपने किरदारों में। मज़लूम- अत्याचार से पीड़ित।

कितना ज़हर घुला है अब दुनिया की बाज़ारों में,
अस्मत तक बिकती है अब खुलकर के अख़बारों में।

ढंग रहा ना बातों का, अब न

मज़लूम- अत्याचार से पीड़ित। कितना ज़हर घुला है अब दुनिया की बाज़ारों में, अस्मत तक बिकती है अब खुलकर के अख़बारों में। ढंग रहा ना बातों का, अब न #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqhindi #yqlife #yqpeople #yqgaribi #yqinsaniyat

0 Love

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Mohammad Arif (WordsOfArif)

मुहब्बत है तो कुछ दिन इन्तजार करो
एक काम करो तुम अपने घर में ही रहो

ज़िन्दगी रही तो मुलाकातें बहुत होगी तुमसे
कुछ तो करो अपने परिवार का ख्याल करो

मुलाकातों का सिलसिला फिर शुरू होगा
अब तुम अपने अगल बगल का इंतजाम करो

गरीबों की मदद सब मिलकर करो जहां भी हो
टाइम से उनके खाने का सामान मुहैया करो

इस समय लूटों मत तुम दुकानदार हो अगर
समाज में गरीबों का कुछ हिस्सा भला करो

कमाकर इस मुस्किल खड़ी में क्या करोगे
बड़े लोग हो तो जरा मजलूमों का ख्याल करो

बहुत बूरी बिमारी है बच कर रहो जरा सब
आरिफ बच्चों के साथ बुजुर्गो का ख्याल करो मुहब्बत है तो कुछ दिन इन्तजार करो
एक काम करो तुम अपने घर में ही रहो

ज़िन्दगी रही तो मुलाकातें बहुत होगी तुमसे
कुछ तो करो अपने परिवार का ख्य

मुहब्बत है तो कुछ दिन इन्तजार करो एक काम करो तुम अपने घर में ही रहो ज़िन्दगी रही तो मुलाकातें बहुत होगी तुमसे कुछ तो करो अपने परिवार का ख्य #Hindi #Shayari #urdu #ghar #Karo #Khyal #intezaam #Arif #Life_experience

26 Love

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Mohammad Arif (WordsOfArif)

नफ़रत की चिंगारी चारों तरफ कोहराम मचाया है
कुछ अच्छे इंसान है मुल्क में जो धमाल मचाया है

सियासत का बोलबाला ग़लत तरीके से हो रहा है
एक दूसरे से लिपट कर इंसान यहां कमाल मचाया है

सुख दुःख एक दूसरे का बांट लो मिलकर सब यहां
यही धरती पर स्वर्ग है जो यहां इंसान बवाल मचाया है

कह दो अपने आप से सब मिलजुल कर रहेंगे यहां
क्यूं अपने चारों तरफ बड़ों लोगों से सवाल मचाया है

दुखों का पहाड़ कम क्यूं नहीं होता है लोगों पर से
रेजा रेजा दर्दो ग़म का मुझ पर अब जमाल मचाया है

कैसे गरीब मजलूमों को देखकर आंखें बंद कर लूं
आरिफ अन्दर तक दुखों का पहाड़ ज़लाल मचाया है नफ़रत की चिंगारी चारों तरफ कोहराम मचाया है
कुछ अच्छे इंसान है मुल्क में जो धमाल मचाया है

सियासत का बोलबाला ग़लत तरीके से हो रहा है
एक दूसरे

नफ़रत की चिंगारी चारों तरफ कोहराम मचाया है कुछ अच्छे इंसान है मुल्क में जो धमाल मचाया है सियासत का बोलबाला ग़लत तरीके से हो रहा है एक दूसरे

18 Love

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Mohammad Arif (WordsOfArif)

हालत देखकर अब मुझे जाने क्यूं डर लगता है
ये कैसी व्यवस्था है जो गरीबों को डर लगता है

कहने को तो बहुत कुछ है हमारे पास मगर
जाने क्यूं गरीबों को देने में अब सरम लगता है

क्या हालत बना डाला है तुमने अपना देखो
हिन्दू मुस्लिम करने में अब भी अच्छा लगता है

जो बीत रही है इस वक्त गरीब मजलूमों पर
चल रहे है सड़क पर गरीब डर मौत का लगता है

क्या कहूं अब भी उलझा रक्खा है कुछ लोगों ने
कुछ लोगों को बस फोटो का अब शौक लगता है

बिमारी से बच भी गए तो क्या होगा क्या पता
आरिफ भूख से मरने के लिए अब डर लगता है हालत देखकर अब मुझे जाने क्यूं डर लगता है
ये कैसी व्यवस्था है जो गरीबों को डर लगता है

कहने को तो बहुत कुछ है हमारे पास मगर
जाने क्यूं गरीबों

हालत देखकर अब मुझे जाने क्यूं डर लगता है ये कैसी व्यवस्था है जो गरीबों को डर लगता है कहने को तो बहुत कुछ है हमारे पास मगर जाने क्यूं गरीबों

25 Love

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Mohammad Arif (WordsOfArif)

हर रोज आंखें बंद करके सोता हूं
सुबह जब आंखें खुलती है मैं बहुत रोता हूं

हर दिन कुछ ना कुछ ग़लत होता है
हालत गरीब की देख के आंख मिलाने से डरता हूं

कैसी सरकार है अपनी हाथ पर हाथ धरे रहती है
मजलूमों और बेबसों को देख के हर दिन मैं मरता हूं

कहने को कुछ भी नहीं है शब्द मेरे पास
हर शाम आंखें बंद करके ख्वाबों में भी भागता हूं

डर लगता है कहने से जातिवाद का बंधन है
मैं अपने मुल्क में प्यार-व-इमान से सबसे मिलता हूं

तेरे दर पे सवाली खड़ा है तू फैसला कर दे
आरिफ हाथें उठा के अपने मौला से बेबसी कहता हूं हर रोज आंखें बंद करके सोता हूं
सुबह जब आंखें खुलती है मैं बहुत रोता हूं

हर दिन कुछ ना कुछ ग़लत होता है
हालत गरीब की देख के आंख मिलाने से डर

हर रोज आंखें बंद करके सोता हूं सुबह जब आंखें खुलती है मैं बहुत रोता हूं हर दिन कुछ ना कुछ ग़लत होता है हालत गरीब की देख के आंख मिलाने से डर #Love #Quote #thought #Hindi #writer #Shayari #urdu #Arif

18 Love

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हरीश वर्मा हरी बेचैन

स्वतंत्रता का संदेश सुनकर..
राजे रजवाड़े जमींदार..
वैभवशाली चौकीदार..
गुण्डे और बदमाश!!
सहम गये चौक गये!
जनतंत्र का पहला वार!
लागू हुआ संविधान!
ध्वस्त हुआ जमींदार!
बैकों का हुआ राष्ट्रीय करण!
बदल रहा था संसार!
बने सरकारी संस्था अनेक!
जनता जिसमें थी आधार!
देख भविष्य की गड़बड़झाला!
रजवाड़ों ने राह निकाला!!
जाति धरम के दल बनाये!
खाकी कुर्ता पहन कर आये!
नफरत के बीजों को बो कर!
जनमानस को छल से भटकाये!
चन्दा और धन्दा को पकड़े!
कारपोरेट को गले से लगाये!
जनतंत्र का ले कर नाम!
रूप बदल कर फिर वो आये!
रोजगार और गरीबी लाचारी!
दिल से इनको कभी न भाये!
ले कर झुनझुना दे कर झुनझुना!
मजलूमों को है बहलाये!
हरी आज फिर गांधी सुभाष की..
चन्द्रशेखर आजाद की जरूरत है!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हरीश वर्मा हरी बेचैन
8840812718 स्वतंत्रता का संदेश सुनकर..
राजे रजवाड़े जमींदार..
वैभवशाली चौकीदार..
गुण्डे और बदमाश!!
सहम गये चौक गये!
जनतंत्र का पहला वार!
लागू हुआ संविध

स्वतंत्रता का संदेश सुनकर.. राजे रजवाड़े जमींदार.. वैभवशाली चौकीदार.. गुण्डे और बदमाश!! सहम गये चौक गये! जनतंत्र का पहला वार! लागू हुआ संविध

3 Love

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Mohammad Arif (WordsOfArif)

अंधी बहरी हो गई है सरकार
अब कौन सुने गरीबों की फरियाद 
की जनता अब चीख रही है

सच को छुपाने में लगी है सरकार
ग़लत का करती है खूब प्रचार
की जनता अब चीख रही है

जिसे देखो कहते अच्छा है सरकार
सच बोले तो करती है गिरफ्तार
की जनता अब चीख रही है

अब तो गलत को बढ़ावा देती है सरकार
बलात्कार करने वालों को करती है नमस्कार
की जनता अब चीख रही है

गरीब मजलूमों की सुनती नहीं है सरकार
अमीरों की करती है तरफदार
की जनता अब चीख रही है

जब देखो नाम बदलने में लगी है सरकार
कोई करती नहीं है अच्छा काम
की जनता अब चीख रही है

अब तो दर्शन देने में लगी है सरकार
कोटेदार भी करते है सबको परेशान
की जनता अब चीख रही है अंधी बहरी हो गई है सरकार
अब कौन सुने गरीबों की फरियाद 
की जनता अब चीख रही है

सच को छुपाने में लगी है सरकार
ग़लत का करती है खूब प्रचार
की जन

अंधी बहरी हो गई है सरकार अब कौन सुने गरीबों की फरियाद की जनता अब चीख रही है सच को छुपाने में लगी है सरकार ग़लत का करती है खूब प्रचार की जन #Quotes #Politics #Hindi #writer #Shayari #शायरी #urdu #Arif

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

सरकशो का बेकसों पे हो रहा तशदुदे इंतकाम हरदम,
रकीबों की साजिशों से रहा है,अपनों पे इल्जाम हरदम//१

बातिल की महफिल में जो करते है,हां में हां हरदम,वो
खुद हैं ख़तावार,और लगाए तहज़ीब पे इल्ज़ाम हरदम//२

अदालते अदू में गुर्गों ने दी है गवाही हरदम,के
माफियों ने लगाए,मजलूमों पे संगीन इल्ज़ाम हरदम//३

बदस्तूर बदगुमानी उनकी रहती है जारी,किसको 
लगाए लगाम,और किसको दे इल्जाम हरदम//५

*इशरर्तों ने तो उनकी जीस्ते संवार डाली,होता है,
हौंसला ए मसर्रत में *अदीब पे कोहराम हरदम//५

तोहमतें तशददूद में जीना नही मुनासिब,अब"शमा"
को लगता नहीं है अच्छा,मजहब पर इंतकाम हरदम//६
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #ballet सरकशो का*बेकसों पे हो रहा तशदुदे इंतकाम हरदम,रकीबों की साजिशों से रहा है,अपनों पे इल्जाम हरदम//१*असहाय

बातिल की महफिल में जो करते ह

#ballet सरकशो का*बेकसों पे हो रहा तशदुदे इंतकाम हरदम,रकीबों की साजिशों से रहा है,अपनों पे इल्जाम हरदम//१*असहाय बातिल की महफिल में जो करते ह #Trending #writersofindia #poetsofindia #explorepage #poetrycorner #viralpage #shamawritesBebaak #2023Recap

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