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ranjit Kumar rathour
एनकाउंटर आज एक अपराधी का एनकाउंटर कर दिया गया अच्छा हुआ वो मार दिया गया जैसा उसने किया वैसा ही उसके साथ भी हुआ आज कल इसके चर्चे खूब है लेकिन सवाल वही है क्या न्याय यही है क्या अब सारे फैसले ऑन द स्पॉट होंगे अगर ऐसा है तो कानून की जरुरत क्या है चुन चुन कर मार दो सालों को फिर इस मुल्क को किसी की जरुरत क्या हैं बस ठाय ठाय ठाय कहानी खत्म सच मुच् देश बदल रहा है। हमे एनकाउंटर और बुलडोजर का नमन ©ranjit Kumar rathour एनकाउंटर #पोएट्री मंथ
Lalveer sharma
देख रहे थे नन्हें-मुन्ने,पापा आते होंगे घर । पर क्या पता था उन्ह नन्हों को,अब हो गए वो बेघर।। @इनकाउंटर@
नामदेव पाटील
🔴हैद्राबाद एन्काऊंटर...!! पदोपदी असे नराधम भेटले जीवानीशी त्यांना ठेचले प्रत्येकवेळी द्यावे असे प्रत्युत्तर अपराध्यांचे प्राण गेले तर बेहत्तर खाकी वर्दीला ही कल्पना सुचली चांगल्या कृत्याबद्दल नियतीलासुद्धा हसली ©नामदेवपाटील ✍ हैद्राबाद एन्काऊंटर ....!!
poetry by heart
मुझे कोई एक बात बता दो रेप पीड़िता के घर वालो ने कोई गुनाह किया की वो 6-7 साल तक कोर्ट के चक्कर लगाए ,,,,वकीलों के आगे पीछे घूमे,,,एक तो उन्होंने अपनी बेटी को खोया है,,,,उपर से हमारा देश का लचीला कानून जो मुजरिमों की जेल में परवरिश करे,,,,,क्या ये सही है,,,,,,कम से कम जो एनकाउंटर हुआ उससे उनके घर वालो को बेटी तो नहीं मिलेगी किन्तु कोर्ट कचहरी के चक्कर तो नी लगाने पड़ेंगे,,,,,और जो आवाज उठा रहे है की जांच हो एनकाउंटर की तो उनसे एक प्रश्न क्या तुम्हारी ओकात है कि निर्भया के परिवार वालों को अब इंसाफ दिला दो,,,,इस बार पुलिस नहीं जनता को ठोकना चाहिए ऐसी घिनौनी हरकत करने वालों को,,,,,,बहन निर्भया के केस को साल लग गए क्यों ख़तम नहीं हुआ क्यों फांसी नहीं दी,,,,,अब क्या पूछना बाकी रह गया,,,,जनता के सामने भी प्रश्न लाओ की आखिर ऐसा क्या पूछते हो,,,,,,,,अरे तुम्हारे ऐसे लचिले कानून के कारण शहीद फोजी तक दुखी होता है कि क्यों शहीद हुए,,,जिस तिरंगे की लाज के लिए अपनी जान गवाई उसी तिरंगे के लोग अपनी बेटियो तक को महफूज नि रख पा रहे। जय हिन्द,,,,,,कोई पार्टी से नहीं सिर्फ़ दिलसे हिन्दुस्तानी अपनी राय जरूर दे हैदराबाद एनकाउंटर पर कि सही था या गलत
prakash
क्या हुवा जो दौड़ नहीं सकता, मैं गुठने घसीटकर हर रास्ता पार कर लूंगा,, किस-किस शक्ल मे तू इम्तिहान लेगा मेरा, मैं भी कई शक्ल इख़्तियार कर लूंगा,, मुझे पता है मुसीबत तू किसी भी वक़्त आ जायेगा, चल कुछ पल बैठकर मैं भी तेरा इन्तेजार कर लूंगा,, हाँ पर कट चुके है मेरे, मैं आसमां छूने की हालत मे नहीं तो क्या, मैं नाम से परिंदा हुँ इतना काफ़ी है,, बेबस हुँ तो क्या, मैं जिन्दा हुँ इतना काफ़ी है.... मैं जिन्दा हुँ (2)