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Musafeer K S Adhikari
Haaye Mai Marjaavaan जब तुमने आंखो में आंखे डाल के बोला, तुम तो जान हो मेरी। मेरा रिप्लाई- #हाई में में जावा
Madness
बारिश और महोबत दोनों ही यादगार होते हे, बारिश में जिस्म भीगता हैं, और महोबत मैं आँखे । बारिश और बारिश में जिस्म
Santosh pawara
पाणी आव्यू भिगहू चाला ढुल वाजाडे बाबू नाचहू चाला झाड़े लागाड हू पाणी रुक हू बोयडे उजाळी मा फिरहू चाला गावहू गाणा वाधुण पाणी चिडान घरोह वाचाड हू चाला जहाज बनाव हू नदिमा सुळहू कादवोन गोंदे खेलहू चाला - संतोष पावरा 7030522657 ढोल काव्यसंग्रहातील कविता पावरा बोली में कविता
Sushil Meshram
" बारिश में तुम........." हाय....! क्या सितम ढ़ाते हो तुम सजने संवरने का मुक़ाबला हो तो, आँखों में सिर्फ़ काज़ल लगाते हो तुम और सरेआम यु शहर में, अब तो क़त्ल होने लगे जब पहली बारिश में छत पे, जो भिगने आती हो तुम ! © सुशील मेश्राम " बारिश में तुम...."
Nimesh Shukla
बारिश कुछ याद आ रहा है ये बरसात देख कर।बहकी हुई हवा भी है बरसात देखकर।मुझे आती है अब हँसी याद कर कर के वो दिन, जब दिल दिया था तुमको कई बार देख कर।नमन यादों में बारिश
BlackShadow03
गिरती हुई इन बारिश के बूंदों को अपने हाथों में समेट लो जितना पानी तुम समेट पाए, उतना याद तुम हमें करते हो, जितना पानी तुम समेट ना पाई, उतना याद तुम्हे हम करते हैं। 💕💕💕😜😜😜 ©BlackShadow03 बारिश में यादें
Author Harsh Ranjan
कितनी खूबसूरती है एक योगी के योग में, कितनी मिठास है मंदिरों में चढ़े भोग में, कितना गहरा रंग है भगवा, किताबों में कौन सा नशा है, कलम कैसी दवा है? कैलाश से कन्या कुमारी, गोमुख से लेकर बंगाल की खाड़ी, मंगल ग्रह से महामारी, कलम से लेकर बल्ला, वंदे मातरम से राम लल्ला, कितना कुछ था करने को, कितना था जीने मरने को! वो उम्र जब रोटी थाली में ही दिखती है, मुझे आज भी सड़क पर गर्दन पकड़कर घसीटती है। लड़के-लड़कियों को जब तक पता नहीं होता कि रोटी थाली में पहुंचने के पहले क्या हुआ करती है, वो तब तक आगे बढ़ते हैं वरना वो अपने पिता या माता के पीछे चुपचाप खड़े हो जाते हैं। बारिश में 2
Author Harsh Ranjan
कितनी खूबसूरती है एक योगी के योग में, कितनी मिठास है मंदिरों में चढ़े भोग में, कितना गहरा रंग है भगवा, किताबों में कौन सा नशा है, कलम कैसी दवा है? कैलाश से कन्या कुमारी, गोमुख से लेकर बंगाल की खाड़ी, मंगल ग्रह से महामारी, कलम से लेकर बल्ला, वंदे मातरम से राम लल्ला, कितना कुछ था करने को, कितना था जीने मरने को! वो उम्र जब रोटी थाली में ही दिखती है, मुझे आज भी सड़क पर गर्दन पकड़कर घसीटती है। लड़के-लड़कियों को जब तक पता नहीं होता कि रोटी थाली में पहुंचने के पहले क्या हुआ करती है, वो तब तक आगे बढ़ते हैं वरना वो अपने पिता या माता के पीछे चुपचाप खड़े हो जाते हैं। बारिश में 2
Naman Gupta
बारिश में लोगो का, बहुत मन चलता है। किसी को चाय पकोड़े, तो किसी को भीगने का मन करता है।। बच्चों के लिए, एक नया खेल है बारिश। तो घर की औरतों, लड़कियों के लिए, एक सजा है बारिश।। बारिश हुई तो, कुछ स्वादिष्ट पकवान बनाती है। भीगे हुए कपड़ो को, अंदर ठीक से जमा के सुखाती है।। किसी को सर्दी हो जाए, तो इलाज़ कर डालती है। घर बार बार गंदा होने पर, सफाई के साथ डांट भी लगाती है।। फिर भी हसीं-खुशी दिल से, सारा काम करती है। न किसी से कभी शिकायत, न किसी से कोई फरियाद करती है।। हो सके तो कुछ काम, खुद भी कर दिया करो। उनको थोड़ा आराम देके, उनके दिल को सुकून दे दिया करो।। ©Naman Gupta #बारिश में औरत