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Das Ghayal
#RIPRohitSardana इस मुस्कुराहट के पीछे गमों का पहाड़ है, एकांकी तो अपना यार है। ©Das Ghayal #एकांकी #तन्हाई
payal kuwar
एक ख्वाब सजाने की सपनों की पैमानों की उड़ जाने की नील गगन में हौसलों की उड़ान दूर गगन में भड़ने की कोई साथ नहीं है तो क्या हुआ पाएेंगे मंजिल देर हीं सही पर जाऐंगे ऊंची दूर कहीं लौट कर भी आऐंगे साथ खुशियों की बहार लाऐंगे कोई खुश नहीं तो क्या करें क्या जीने का ना हम राह चुनें....?? मरना इतना आसान कहाँ चल रहे सफर में दूर तलक है ख्वाबों की राह जहाँ......... ©payal kuwar # सपनों की आजादी #
Raje
घर ( पिंजरे ) में कैद पंछी , उड़ने के लिए उतना ही बेताब होता है। जिस तरह एक माचिश की तिलि में, न जाने कितने ज्वालामुखी को, खामोशी से छुपा के रखता है । ©Raje बेताबी आजादी की
RauliMishra
हर काम करने को आजाद है हम न रखते कोई भी गम हिम्मत भर लो अपने अंदर न समझो कि किसी से कम है हम।। आजादी की शान
प्रतिहार
ये क्या दे रहे हो भाई, मुझे रास नहीं आई! 73सालो कि आजादी, हमें तो नहीं मिल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? बांधा गया है देखो ना हमें सवर्ण के बेड़ियों में! खाना शेरों का छिन छिन, बांटा जाता है भेड़ियो में! ये हांथों की बेड़ियाँ मेरी आज भी ना खुल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? तु खुश रह कि तुझे आजादी मिली आज थी, गोरो से! कैसी आजादी? गदहे भी जब जीत रहे हैं घोड़ो से! तुझसे ज्यादा काबिल होकर नौकरी नहीं मिल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? मुगलों से हम हि उलझे, अरबों को हमने मारा था! विर शिवाजी हम ही थे, राणा प्रताप हमारा था! सबसे पहले, हमने हि,आजादी कि बिगुल बजाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? पहला शहिद मंगल पांडे, या वृद्ध कुंवर कि बात करो! आजाद हिंद तक पैसो को, किसने पहुंचाया याद करो! हमने जन्मा वीरांगना, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? छोड़ो खुशियों के दिन में अपने, दर्द को कितना खुर्दु मैं! हम ना होते भाई साब! पढते लिखते तुम उर्दू में! घुमो, नाचो, गाओ बोलो वन्दे मातरम् भाई! हां मगर, आजादी की बधाई हमें रास न आई!! लेखक-- पवन प्रतिहार आजादी की बधाई
jaydip baraiya 777
नफरत बुरी है, न पालो इसे दिलो में खालिश है निकालो इसे न मेरा,न तेरा ,न इसका , न उसका ये सबका वतन है सम्भालों इसे यारो ©jaydip baraiya 777 आजादी की शायरी
harshita palecha
"एक गुहार" क्योंकि मै भी एक बेटी हूँ... चलो आज फिर से इंसाफ की गुहार लगाते हैं आसिफ तो गई अब प्रियंका के लिए मोमबत्ती जलाते हैं चलो आज फिर से उस चौराहे पर जाम लगाते हैं स्टेटस पर हम आज प्रियंका का फोटो लगाते हैं फिर चंद दिनों में प्रियंका भुला दी जाएगी फिर कोई नई दामिनी सड़क पर नजर आएगी फिर उसको तन्हा देख तुम में हैवानियत जग जाएगी फिर उस परी की इज्जत उस चौराहे पर लूट ली जाएगी अब बेटियों को नहीं बेटो को बांध के रखना होगा उनके घर में भी एक बहन है उनको यह समझाना होगा बहुत हुआ अब सीता के लिए लंका जला दी जाएगी द्रोपति की इज्जत के खातिर महाभारत कर दी जाएगी. . . गुहार आजादी की. . .