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Prakash Aditya
सवेरा सवेरा हो गया, शरीर में फुर्ती का संचार हो गया । ना जाने कब से सुस्ती हीं छाई थी।। ##सवेरा ###प्रातःकाल की बेला
RAVINANDAN Tiwari
#Pehlealfaaz प्रातः काल की सैर रहीत रहे खैरभैर तनमन व शीतल करे पैर व्याधि दूर करे औषध बगैर # प्रातःकाल की सैर कच्ची सड़क
vinay vishwasi
वे सहर में ही चल दिये शहर के लिए। संग रखे वे भोजन दोपहर के लिए। दिन भर तलाशे मिला न कोई काम, लेकर खाली ही हाथ चले घर के लिए। #विश्वासी आज के दिहाड़ी मजदूरों के हालात पर चार लाइनें। (सहर=प्रातःकाल)
जिंदगी का जादू
छाया से दूर हुआ तो आंचल का मूल्य मैं जाना जब तपी ये दिल की धरती बादल का मूल्य मैं जाना वो छाया वो बदली बस एक जगह मिलती है सब मिलता दूर शहर में बस मां ही नहीं मिलती है पावस रजनी में जुगनू भट्ट के जैसे जंगल में पूछे राम जी वोन से कैसे हैं सब महल में वन में ना कोई दुख है पुण्य ज्योति जलती है देव मुनि सब मिलते बस मां ही नहीं मिलती है @गौतम माँ पर कविता