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Mithun kumar

इटारसी #Goodevening #विचार

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यहाँ हर रोज लगती है ऐतवार सी,
बडी खुबसुरत जगह है इटारसी!

सच पुछो तो दोस्तों जी नहीं लगता,
जान चुके है अब मतलब बिहार की!

पहचान की नुमाइश को,कुछ इस कदर से कम किया.
जहाँ लिखा था मैं, वहाँ भी मैंने हम किया !

करते सम्मान भाव सत्कार से, प्रेम हर द्वार से.
ये गुर तो mp को,सिखनी होगी बिहार से !

यहाँ हर रोज लगती है ऐतवार सी,
बडी खुबसुरत शहर है इटारसी !!

©Mithun kumar इटारसी 
#Goodevening

Sachin Dube

#dost हम बनारसी है गुरु महादेव का छाया #जानकारी

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सचिन कुमार दुबे अयोध्या जन्म भूमि

©Sachin Dube #dost हम बनारसी है गुरु महादेव का छाया

Sweetu Singh

!!हम बनारसी है साहब!!
!!''इज्जत दोगे तो "!!
!!इज्जत मिलेंगी😎!!
!!वरना बदतमीजी में तो!!
हमने पी.एच.डी. हासिल की है #बनारसी...

Shailesh raj upadhyay

बनारसी

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हम बनारसी😎 है और साला जब हम बनारस की गलियों में नहीं उलझे तो तेरे प्यार😘 में क्या उलझेगे
#####हर हर महादेव##### बनारसी

Ek villain

#कवि बनारसी दास का दर्पण की तरह बेबस आत्मचरित्र #Hope #Society

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कवि बनारस दास का आत्म चरित्र का नाटक को हिंदी भाषा की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जाता है हिंदी में यह प्रचलित रहा है कि एक दौर में बादशाहों के जीवन चरित्र लेखन की प्रथा तो थी मगर प्रजा के लिए अपना आत्म चरित्र लिखना एक अनोखी घटना थी यह भी माना जाता है कि बनारस रात के 3:00 मुगल बादशाह अकबर जहांगीर और शाहजहां का राज्य काल देखा जाए इस दौरान कवि का आत्म चरित्र लिखना और उससे साफ है कि कोली समाज में मान्यता दिलवाना असंभव की तरह बढ़ता जा रहा था इस अर्थ में बनारस दास का अर्ध नाग कथानक किसी भी भारतीय भाषा में लिखा गया पहला प्रमाणिक आत्मचरित्र माना जाता था विद्वान ज्ञान चंद्र जैन ने उसकी इस चरित्र को और बाद में उनकी अनेक कृतियों को आधार बनाकर कभी बनारसी दास की आत्मकथा जैसी संस्कृति का प्राण ने किया यह भी जानना योग्य था कि आज दिनांक तक को एक पहली बार हिंदी जगत में मान्यता दिलवाने के पीछे एक गुमनाम हिंदी सेवी स्वामी नाथूराम प्रेमी ने पहल की थी कि जो ग्रंथ रचनाकार कार्यालय मुंबई से संबंधित है उनके भी अनुरोध पर अर्धना तक प्रकाशित किया गया आजादी के हीरक जयंती वह ऐसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक आत्म चरित्र को पुनर पाठ की तरह देखना आधुनिक ग्रंथ भाषा का विकास का अध्ययन करने के साथ-साथ मुगल काल में शासक वर्ग का प्रचार वर्ग के बीच आपसी संवाद को भी देखना जैसा है यह भी उल्लेखनीय है कि कभी होने के साथ बनारसीदास एक व्यापारी भी थे जिनके परिवार में 3 पीढ़ियों से व्यापार जीविकोपार्जन का साधन था इसलिए आज मैं सहित सामाजिक सेवा कर्म में लिप्त एक आम इंसान की जिंदगी की गाथा का रोचक दस्तावेज आकृति जिस पर शुभम से ज्ञान चंद्र जैन टिप्पणियों पर हम आशा करते हैं

©Ek villain #कवि बनारसी दास का दर्पण की तरह बेबस आत्मचरित्र

#Hope

Raone

बनारसी प्रेम #कविता

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बनारसी प्रेम 

गुलाब सूखा हो चाहे ताज़ा, 

तुम्हें हरवक्त बनारस याद दिलायेगा ।

क्षणभर के लिए हीं सही,

पर आँखों को ज़रूर नम कर जायेगा ।।

जब-जब बन्द करोगे तुम अपनी आँखें,

ज़ेहन में बस इक हीं खयाल मंडरायेगा ।

काश की लौट आता फ़िर से बनारस का पल,

और दिल फ़िर से बनारसिया बन यूँ हीं पगलायेगा ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी बनारसी प्रेम
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