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singer narendra charan jaisalmer
तारीफ़ अपने आपकी ख़ुद ही करना फिज़ूल है...! ! ! खुश्बू तो ख़ुद बताएगी की कौनसा फूल है....!! #VIP #Allrounder #naru💝 #हरफनमौला
Barkha B.H.U
शीर्षक - एक मुद्दत से बैठा हूं लेकिन उस पर कोई कविता बनती नहीं एक मुद्दत से बैठा हूं लेकिन उस पर कोई कविता बनती नहीं ना जाने कैसी लड़की है जो मेरे कलम के सांचे में ढलती नहीं चांद को देखा तो सोचा उसकी तुलना इससे कर दूं लेकिन याद आया कि उसकी सुंदरता चांद की तरह घटती बढ़ती नहीं एक मुद्दत से..... बहुत आभा है उसमें लेकिन वह आग की तरह कभी जलती नहीं तपन में शीतल मंद बयार है लेकिन मेरे दरख़्तों से कभी गुजरती नहीं दुनिया में रहकर उसे दुनिया की दुनियादारी खूब समझ आती है समझती है सब ,बस दुनिया के हिसाब से चलती नहीं एक मुद्दत से ....... इस रंगीन दुनिया में रहकर भी वह अपना रंग बदलती नहीं उसकी आंखें बड़ी चंचल है लेकिन हर किसी के आगे बरसती नहीं जब भी मिलती है हंसकर गले लग जाती है हां यह वही लड़की है जो हर किसी के गले लगती नहीं एक मुद्दत से ..... गुलाब की पंखुड़ियों सी हूनर रखती है लेकिन पंखुड़ियों सी टूट कर बिखरती नहीं वह महफिल की रंगत बढ़ा देती है जो हंसा कर सभी को खुद हसती नहीं बड़ी अलौकिक नायिका है दिव्या जो रफ्ता रफ्ता दिलों में उतर जाती है हाथ कलम लिया सोचा कविता लिखूं पर मेरे कविता में जाने क्यों वह उतरती नहीं एक मुद्दत से...... ©Barkha B.H.U #हरफनमौला लड़की #बनारसी_इश्क़ #बनारस #Sunrise
Nisha Thakur
ये इश्क भी बडी अजीब चीज है ना सोने देता , ना जागने देता अब ऐ जिदंगी सब तुझ पे ही छोडा है । जरा उसे भी बता दे मेरा होना किया है और मेरा ना होना किया है..... होना ना होना...
Narrenn Raaz
दो बातें हैं होने में और ना होने में, जो साथ है वो हो गया, जो साथ नहीं रहा ,वो हो नही पाया। ©Narrenn Raaz होना न होना# खोना
सिद्धार्थ गौतम
मैंने पहली बार पतंग उड़ाई उड़ना शुरू करने में इतना तनाव देखा मैंने पतंग के चेहरे पर, और हर बार दिशा बदलने के प्रयास में कितना बोझ उसने अपने कंधे पे ढोया, जिस ओर भी झुकी मोड़ने को। हवा से जंग है, जब भी उसके विपरीत होना हो, आसान नही है। मेरे हाथ से बंधी कितना असहज मालूम पड़ती थी। और एक झटके में सारा द्वन्द गिर गया, छोड़ दी गई डोर, पतंग का सारा तनाव समाप्त, कितना प्रसन्न मुख लिए वो हवा के साथ एक हो गई। अब जहाँ वो ले जाये, जिधर भी मोड़ दे, उठाये या गिराए, कोई आसक्ति ना तो आकाश से ना ही धरा से। जैसे कोई इच्छा ही ना रही हो। मैं आँखों की सीमा से बंधा कुछ दूर तक ही उसे देख पाया लेकिन इस सच को तत्व से जान गया, ऐसा लग रहा था पतंग मुझ को जी कर दिखा रही है। और जीवन का सारा रहस्य खुल गया, वैसे तो दिन ढल रहा था और मेरे जीवन का सूर्य प्रखर पर आ गया। धन्यवाद उस ऊर्जा को सकार होकर मुझमे बह गई। ©RobiinN पानी भी मत होना कुछ होना तो हवा होना।
Chitransh Vivek Bhatnagar
कहाँ गये वो दिन जब तु बिना 'Good Night' बोले सोती नही और अब तुझे फर्क नही पड्ता मेरे होने और ना होने का.... मेरा होना और ना होना....