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सुधा भारद्वाज"निराकृति"

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Archana pandey

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Manjari Shukla

मेरी नई पुस्तक "स्वयंसिद्धा:एक टुकड़ा धूप" के कुछ अंश आपके साथ साझा करूँगी आज शाम 5.30 मिनट पर...आप सभी की प्रतीक्षा रहेगी

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मेरी नई पुस्तक "स्वयंसिद्धा:एक टुकड़ा धूप" के कुछ अंश आपके साथ साझा करूँगी आज शाम 5.30 मिनट पर fb पर...आप सभी की प्रतीक्षा रहेगी मेरी नई पुस्तक "स्वयंसिद्धा:एक टुकड़ा धूप" के कुछ अंश आपके साथ साझा करूँगी आज शाम 5.30 मिनट पर...आप सभी की प्रतीक्षा रहेगी

Manjari Shukla

"स्वयंसिद्धा :एक टुकड़ा धूप" पुस्तक में मेरी वो कहानियां है जिनके पात्र हमेशा ही मुझसे कुछ कहते रहे है और जिनके बारें में मैं कभी खुलकर कह नह

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"स्वयंसिद्धा :एक टुकड़ा धूप" पुस्तक में मेरी वो कहानियां है जिनके पात्र हमेशा ही मुझसे कुछ कहते रहे है और जिनके बारें में मैं कभी खुलकर कह नहीं सकीI इन कहानियों के माध्यम से मैंने समाज के उन लोगों के बारें में कहने की कोशिश की है जो हमारे साथ होते हुए भी, हमारे आस पास होते हुए भी किसी से अपना दुःख बाँट नहीं पाते...आप ये किताब किंडल पर पढ़ सकते है "स्वयंसिद्धा :एक टुकड़ा धूप" पुस्तक में मेरी वो कहानियां है जिनके पात्र हमेशा ही मुझसे कुछ कहते रहे है और जिनके बारें में मैं कभी खुलकर कह नह

Manjari Shukla

Niru Singh is with Manjari Shukla.(Both books are on amazon) 9tSpogtndsorihed · सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार डॉ मंजरी शुक्ला जी की इन दोनों

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 Niru Singh is with Manjari Shukla.(Both books are on amazon)
9tSpogtndsorihed  · 
सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार डॉ मंजरी शुक्ला जी की  इन दोनों

Nisheeth pandey

*** कुछ मित्रों ने अभी से नव वर्ष की अग्रिम शुभकामना की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दिया है । इस परिप्रेक्ष्य मे राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह #poem #poetryunplugged #HappyNewYear2020 #kahanikaar #रामधारीसिंह_दिनकर

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कुछ मित्रों ने अभी से नव वर्ष की अग्रिम शुभकामना की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दिया है ।
इस परिप्रेक्ष्य मे  राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह " दिनकर " जी की कविता..

ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं
हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
चंद मास अभी इंतज़ार करो
निज मन में तनिक विचार करो
नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
उल्लास मंद है जन -मन का
आयी है अभी बहार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो
प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं   

~  रामधारीसिंह दिनकर

©Nisheeth pandey
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कुछ मित्रों ने अभी से नव वर्ष की अग्रिम शुभकामना की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दिया है ।
इस परिप्रेक्ष्य मे  राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह
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