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जगदीश कैंथला

उपसर्ग,प्रत्यय #बात

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Ganesh Din Pal

सद्भावना

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🌹🌹🌹सद्भावना के साथ दिल के द्वार और घर के द्वार हमेशा खोले रखें, इससे आपको हमेशा ताजगी मिलती रहेगी । बंद दरवाजे किसी भी तरह से सफल जीवन के लिए उपयोगी सिद्ध नहीं हो सकते।🌹🌹🌹
-जी डी पाल 🌹हिंदी शिक्षक🌹

©Ganesh Din Pal सद्भावना

TEJPAL

सद्भावना #Thoughts

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ankit saraswat

बहुत खेल लिए हूतूतू अब सब त्यौहार बनाऐंगे, 
तुम बनाना दीपों की दिवाली हम शीर ईद की खायेंगे।। 

#अंकित सारस्वत# #सद्भावना

जगदीश कैंथला

उपसर्ग व प्रत्यय #बात

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M.K.Arya...वज़ा

क्यो दिल लगाने में लगा है…

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Sd rawat123

बैगन में स्टॉप लगा हुआ है.. #कॉमेडी

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ALPANA BHARTI

कोई ख़्वाबों में आने लगा है

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कोई ख़्वाबों में आने लगा है,
हमको अपना बनाने लगा है।
प्यार का एक दरिया बहाकर,
वो रगों में समाने लगा है।
इस तरह हम फ़ना हो रहे हैं,
जैसे मिट्टी में पानी की बूँदें।
नींद रूठी हुई है हमारी,
रात इक पल भी पलकें न मूँदें।
वो मुहब्बत के सब रंग लेके
इक रंगोली सजाने लगा है।
क्या बताऊँ कि क्या कश्मकश है,
कोई उलझन सताने लगी है।
साज़ उल्फत का बजने लगा है,
ज़िन्दगी गुनगुनाने लगी है।
देख के इक नया अक्स मुझमें,
आईना मुस्कुराने लगा है।
जब से उसको बसाया है दिल में
धड़कनें कुछ बहकने लगीं हैं।
उससे थोड़ी सी ख़ुशबू चुराकर,
सर्द साँसें महकने लगीं हैं।
वो तिलिस्मी निग़ाहों का जादू,
इस तरह हमपे छाने लगा है।
इश्क़ के पत्थरों को सजाकर,
इक घरौंदा बनाना है बाक़ी।
लील जाए न इसको समंदर,
हर लहर से बचाना है बाक़ी।
हर तरफ बस वही है; मेरा दिल;
खुद मुझे भूल जाने लगा है। कोई ख़्वाबों में आने लगा है

Vickram

जिंदगी में लगा ही रहता है,,, #शायरी

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Prashant Mishra

वो भूलने में लगा हुआ है

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मैं उसकी यादों में रो रहा हूँ, वो भूलने में लगा हुआ है
मग़र ये हिचकी बता रही है बिछड़के भी ना ज़ुदा हुआ है

हमारी छोटी सी ज़िंदगी में, कई दफ़ा ऐसे मोड़ आये
कभी कोई हो गया खफ़ा तो, कभी कोई बेवफ़ा हुआ है

हमारी जितनी उमर है उससे ज़ियादा धोखे हमें मिले हैं
कई दफ़ा टूटा दिल हमारा तो जाके ये तज़र्बा हुआ है

किसी दिशा में पसारो पाँव या आजमा लो कोई भी दाँव
मग़र मिलेगा वही के जितना तुम्हारे हक़ में लिखा हुआ है

जिसे था माँगा वो मिल न पाया,मिला है जो वो मेरा नहीं है
मैं क्या बताऊँ के आजकल ये मेरे मुकद्दर को क्या हुआ है

बग़ैर उसके है खाली-खाली, हमारे दिल का हर एक कोना
मैं खोखला हो गया हूँ लेकिन वो मुझमें पूरा भरा हुआ है

--प्रशान्त मिश्रा  वो भूलने में लगा हुआ है
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