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Usha Singh
Jo bhi kiya vo to kuchh kamane ki bat thi ! ab to kya se kya hu. duniya me aya tha kuchh achhe kam ke liy, par yha ate hi sab bhul gaya . kamai me sara jeevan nikla jab pahchan bani to meri umar hi kam pad gai jina tha mujhe or ye kise pata tha ki itni jaldi mere jivan ki sam ढली | jo bhi tha mey yha ke liy tha vaha parlok me mujhe kon janta h fir se suru hua safar mera yek yha ka safar tha, yek vaha ka safar fir pahchan bnauga , mey fir koi dusra nam lekar is duniya me auga. श्रद्धांजलि मेरी तरफ़ से राजु Shrivastava ko ©Usha Singh raju Shrivastava 🕉 सन्ति
'मनु' poetry -ek-khayaal
तुम शिवपुत्र हो तो ध्यान सहज सधेगा, अनुगामी होगा, तुम विरक्त हो ही जाओगे, कृष्ण की सन्तति हो तो प्रेम में पूर्णता पाओगे रंग, राग ऐश्वर्य तुम्हारी धरोहर होंगी। 'मनु' सन्तति
Biikrmjet Sing
जह महां उद्यान में मार्ग पावै तेओ साधु संग मिल जोत प्रगटावै।। तिन सन्तन की बांछों धूड़ नानक की हर लोचा पूर।। अर्थ:- जहां महा भूल-भुलैया में, महा अंधकार में निराकार प्रकाश को देखने का मार्ग मन को मिलता है ऐसे ही सच्चे साधु-खालसे के संग से (जिसने नेत्रों को एकदृष्ट करना सीख लिया है) मिल सर सर्वत्र रव रहा निराकार प्रकाश यानी जोत प्रगट हो जाती है।। ऐसे सन्त जनों के बचनों रूपी धूड़ को मेरा मन लोचता है और हे निराकार परमेश्वर! अपने नानक की यह प्रबल इच्छा को पूर्ण करो! ©Biikrmjet Sing #सन्त
Tara Chandra
रचना- १३: संत नहीं तन, मन होता है, ऐसा जीवन, धन होता है। काम, क्रोध, मद, लोभ लुप्त सब, पल- पल एक हवन होता है।। जल, भोजन और हवा जगत में, काया को करती पोषित है। इंसानियत ओढ़नी ले लो, सुंदर अंत कफ़न होता है।। मीरा बनी श्याम की जोगन, सूर भये वैरागी। तुलसी भजें राम धुन क्षण-क्षण, भक्त विजय, जब रण होता है।। धारो मन में शान्ति सागर, व्यभिचारण 'विक्षोभ' ना हो। सदाचार का स्रोत 'हृदय' जब, प्यासा पथिक तृप्त होता है।। सदा सुमंगल दायक जीवन, समरसता आधार बने। त्यागी और तपस्वी का हर, अंतर्द्वंद दमन होता है।। ©Tara Chandra #सन्त
शुभ'म
चलो अब कसम से इस दिल के अन्धरों में ! मोहब्बत का कुछ चिराग जलाते चलते हैं !! समा को रौशन करती दुआ की रोशनी जो ! अब खुद को खुदा की रोशनी से इश्क कराते चलतें हैं !! बिखरनें को है कुछ नही समा में सवरनें के अलावा ! अब अपनें संवरनें को उसके सब्रने से इजहार कराते चलतें हैं !! इक करार तो है ही अब शायद सन्धि भी हो जाए उससे ! चलो अब कुछ देर में खुद को अपनें महबूब से मिलातें चलतें हैं !! -Sp"रूपचन्द्र" ©Sp"रूपचन्द्र"✍ #सन्धि ,#इजहार #Sunrise
चन्देल साहिब
"सन्त कबीरदास जी" मोको कहाँ ढूंढें बन्दे मैं तो तेरे पास में मोको कहाँ ढूंढें बन्दे, मैं तो तेरे पास में । ना तीरथ में ना मूरत में, ना एकांत निवास में । ना मंदिर में, ना मस्जिद में, ना काबे कैलाश में ॥ ना मैं जप में, ना मैं तप में, ना मैं व्रत उपास में । ना मैं क्रिया क्रम में रहता, ना ही योग संन्यास में ॥ नहीं प्राण में नहीं पिंड में, ना ब्रह्माण्ड आकाश में । ना मैं त्रिकुटी भवर में, सब स्वांसो के स्वास में ॥ खोजी होए तुरत मिल जाऊं एक पल की ही तलाश में । कहे कबीर सुनो भाई साधो, मैं तो हूँ विशवास में ॥ "सन्त कबीरदास जी"
Er.Shivanand
संत शब्द से बना है संता, 🎅 सन्त कर्म सिखाया है।। संत शब्द से बना है संता 🎅, सन्त कर्म सिखाया है।। बिना भेद समभाव लाया, सत्य सनातन को बताया।। बच्चो की महफ़िल में अा कर, उनको अच्छाई का पाठ सिखाया, करो प्रेम आपस में सब से, दीन दुखियों के बनो सहाय।। संत शब्द से बना है संता, 🎅 सन्त कर्म सिखाया है।। ©JE.Shivanand सन्त = 🎅 संता