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Divyanshu Pathak
महावीर ने कहा कि जीव भारी होता है प्रणतिपात से, हिंसा करने से। जीव भारी होता है हिंसा की स्मृति से। हिंसा की स्मृति ही वास्तविक हिंसा है। क्रियमाण हिंसा उतनी बड़ी नहीं है। हिंसा के संस्कार की स्मृति बड़ी हिंसा है। वही हमें भारी बनाती है। हमारी हिंसा उस स्मृति को और भारी बना देती है। यदि मन में हिंसा का संस्कार न हो और हिंसा का संस्कार स्मृति रूप में जाग्रत न हो तो वर्तमान की हिंसा संभव ही नहीं है। जो भी वर्तमान में हिंसा कर रहा है, उसके मन में हिंसा का संस्कार है। उस हिंसा के संस्कार की स्मृति जाग्रत हो रही है। अत: हिंसा का मूल वर्तमान घटना से ज्यादा हिंसा की स्मृति है। घटना तो परिणाम है। #महावीर_जयंती की सभी देश वासियों को शुभकामनाएं। #21_दिन_का_लॉक_डाउन के साथ आज हम सब corona से जूझ रहे है।एक उम्मीद है कि एक दिन इसे ख़त्म कर
Buddhi Prakash Jangid
नैवाकृतिः फलति नैव कुलं न शीलं विद्यापि नैव न च यत्नकृतापि सेवा भाग्यानि पूर्वतपसा खलु संचितानि काले फलन्ति पुरुषस्य यथैव वृक्षाः । ©Buddhi Prakash Jangid * नैवाकृतिः फलति नैव कुलं न शीलं * * विद्यापि नैव न च यत्नकृतापि सेवा * * भाग्यानि पूर्वतपसा खलु संचितानि * *काले फलन्ति पुरुषस्य यथैव वृक्
Dk Patil
Anamika Nautiyal
आलस है जीवन में ज़रूरी आलस के बिन जिंदगी अधूरी आलस है जिंदगी का अंग आलस के बिन जिंदगी में नहीं रंग (अधिक जानकारी के लिए कैप्शन में पढ़ें) तो देवियों और सज्जनों बिना किसी देरी के शुरुआत करते हैं आज की चर्चा। 🙏 (हाँ यदि आपको एक भी बात उचित लगे तो प्रोत्साहन के लिए तालियाँ भी बजा
Amar Anand
हनुमत जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं... रामभक्त हनुमान जी से सीखें जीवन प्रबंधन के दस प्रमुख सूत्र.., आज हमें हनुमान जी के पूजा से अधिक उनके चरित्रों को पूजकर आत्मसात करने की आवश्यकता है । जिनसे हम भारत को राष्ट्रवाद जैसी उच्चतम नैतिक मूल्यों के साथ कौशल युक्त भी बना सकते हैं । विशेष नीचे कैप्शन में.... आज हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभ कामनाए - राम भक्त ‘हनुमान’ जी से सीखें जीवन प्रबंधन के ये दस प्रमुख सूत्र!!!!!! हनुमान जी को कलियुग म