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ashvini lata
arrey.oh.chachu
Is Yug Mein Shri Ram Aur Hanuman Kee Jaisey Jodi Ho Toh Chaaplusi Kehtey Hai Rama-O-Rama Kya Gazab Hai श्री राम की छवि ऐसी की सब कोई मोहित हो जाये🙏🙏 सबके दिलों में बसने वाले राम ।। अयोध्या की भूमि पूजन से गूंज रहा सारा संसार , बनने वाली हैं श
PustakRatna
गंगा तट मेरी जन्मस्थली, राजपथ भ्रमण है स्वप्न मेरा। माटी में हूं मैं पली - बढ़ी, देश - सेवा है कर्तव्य मेरा।। है प्रेम मेरा - इस मिट्टी से, उस खेती से और बेटी से...! है धर्म मेरा,ये कर्म मेरा.... होना है उऋण इस धरती से।। तन - धन का मोह नहीं मुझको न्यौछावर हर एक कतरा है। "ये देश मेरा है शान मेरी" प्राथमिक भाव यही पहला है।। भारत माता की बेटी हूं, मेरे लहू में देश बहता है। मेरे मस्तिष्क में सदैव तीन रंग का 'तिरंगा' ही लहरता है।। यहां कदम - कदम पे धर्म, संस्कृति और वेश बदल जाते हैं। यहां हरेक सनातन वीर शिवा जी के वंशज कहलाते हैं।। होली,दीवाली, ईद, लोहड़ी, क्रिसमस की है झड़ी लगी। हर त्यौहारों के संदेशों में, देश की है एकता छिपी ।। विरासतों का पावन - घर है, गंगा - यमुना का संगम है। मेरे भारत की अमर - अमिट छवि, सप्तरंगों - सा विहंगम है।। है गौरवमय - इतिहास हमारा, "विश्वबन्धुत्व" का दिया है नारा। "वसुधैव कुटुंबकम्" - के जैसा संदेश हमने दिया है प्यारा।। - सत्या मिश्रा ©PustakRatna गंगा तट मेरी जन्मस्थली, राजपथ भ्रमण है स्वप्न मेरा। माटी में हूं मैं पली - बढ़ी, देश - सेवा है कर्तव्य मेरा।। है प्रेम मेरा - इस मिट्टी से,
रजनीश "स्वच्छंद"
नयी सभ्यता।। चलो फिर से जंगलों, पहाड़ों, सबको आज़ाद करते हैं। लुढ़कने दो पत्थरों को, टकराने दो पत्थरों को, निकलने दो चिंगारी, एक आग लगने दो, एक नयी सभ्यता संस्कृति, फिर से आबाद करते हैं। चलो फिर से जंगलों, पहाड़ों, सबको आज़ाद करते हैं। बहने दो नदियों को, अविरल, निर्बाध। मत रोको, बहने दो बिन बांध। काट डालने दो किनारों को, बहा ले जाने दो चट्टानों को। बंनाने दो एक मैदान, नए युग की जन्मस्थली का निर्माण। फिर से हड़प्पा, फिर से मोहनजोदड़ो, फिर से बहने दो सिंधु को। होने दो विस्तार, नवपल्लवों का विकास, फिर विस्तरित होने दो बिंदु को। चलो एक ये पुण्य-कार्य, सब मिल निर्विवाद करते हैं। चलो फिर से जंगलों, पहाड़ों, सबको आज़ाद करते हैं। बह जाने दो मेरा तेरा के भाव को, बह जाने दो पूर्ण-आभाव को। शीतलता पुनरावृति में है, खण्डित हो जाने दो ठहराव को। एक नई संस्कृति की आहट, पड़ने दो कानों में। जो भी काटी फसल अब तक, पड़े रहने दो खलिहानों में। मनुजता से पशुता की यात्रा, कर ली है पूरी हमने। है समय पुनरुत्थान का, चलो फिर से गढ़ने सपने। चलो परमात्म शून्य में, लघुतम अति सूक्ष्म, फिर से मिलने दो परमाणुओं को, आरम्भ एक अनन्त का। एक तात्विक निर्माण, एक सात्विक निर्माण, निर्मित होने दो धातुओं अधातुओं को, विस्तार एक समरस पंथ का। समा शून्य में पुनः, एक गर्जना, एक नाद करते हैं। चलो फिर से जंगलों, पहाड़ों, सबको आज़ाद करते हैं। ©रजनीश "स्वछंद" नयी सभ्यता।। चलो फिर से जंगलों, पहाड़ों, सबको आज़ाद करते हैं। लुढ़कने दो पत्थरों को, टकराने दो पत्थरों को, निकलने दो चिंगारी, एक आग लगने दो,
SK NIGAM
हम बिहार हैं ©SK NIGAM #बिहार *हम बिहार हैं* भक्त प्रहलाद की जन्म भूमि हम महादानी कर्ण की कर्म भूमि हम, हम वो भूमि हैं जहां सूर्य ने स्वयं पधारे
Insprational Qoute
""अनेकता में एकता ऐसी विविधता से भरी भारतीय संस्कृति है, वास्तुकला का सुमेलन और गीतों का गुंजन तो वाणी में प्रीति है,"" सम्पूर्ण निबंध अनुशीर्षक में पढ़े। निबंध:- भारतीय संस्कृति ********************** ""अनेकता में एकता ऐसी विविधता से भरी भारतीय संस्कृति है, वास्तुकला का सुमेलन और गीतों क
Anamika Nautiyal
वो झोपड़ी... ऊँची नीची पहाड़ियाँ जो हर मौसम में अडिग रहती हैं मानो प्रकृति ने इन्हें प्रहरी के रूप में तैनात किया हो ।कोई हरी तो कोई सफेद चादर ओढ़े हु
Anamika Nautiyal
चीन की प्रगति और उसका भविष्य........ सोवियत संघ के पतन के बाद पेंटागन के एक उच्चाधिकारी ने कहा था कि अब हमारे स्तर का कोई शत्रु दुनिया मे न