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Das Ghayal
#RIPRohitSardana इस मुस्कुराहट के पीछे गमों का पहाड़ है, एकांकी तो अपना यार है। ©Das Ghayal #एकांकी #तन्हाई
रतनेश पाठक_ Protest Writer
जीवन अकेला मरण अकेला अकेला ये संसार है तेरा मोह भी मिथ्या माया मिथ्या मिथ्या जग परिवार है तेरा अब छोड़ के सारे बंधन को और त्याग के सारी ममता को एकांकी को ग्रहण करो और खुद में ही विचरण करो बैठो सोचो और ज़रा फिर खुद में ही तो मनन करो कर के चिंतन खुद में ही अहंकार का नाश करो और करो उजाला उस लौ को विश्वास का जिसमे वास भी हो फिर जग ही क्यों ना वैरी हो पर खुद में ये विश्वास रखो सत्य वही है एक अकेला बाकी सब मिथ्यों का रैला एकांकी में वास करो और जीवन का आभास करो ।। 👆 मेरी कलम कुछ कहती है👆 😊 रतनेश पाठक 😊 #Nojoto #nojotohindi #poem #एकांकी
Vrishali G
जीवनाच्या नाटकात सहभाग सगळ्यांचा असतो पण आपली भुमिका नाही वठली तर सारा तमाशा होऊन जातो नाटक
Arora PR
स्वप्नलोको के प्रलोबन मुझे कभी सममोहित नहीं कर सकते क्योकि मैं हर स्वप्न कोबन्द आँखों का नाटक ही समझता हूँ ©Arora PR नाटक
अज़नबी किताब
नाटक.. रंगमंच... कलाकार... कला... दर्शक.. कुछ ऐसा हुआ, में रंगमंच पे खड़ी थी, और मेरी कला मेरा हाथ थामे | दर्शक मेरी कला से मुझे पहचानते थे.. क्या खूब कला थी, खुदा की देख हुआ करती थी | एक बार बोली बात, में जमी को ख़त्म हो ने पर भी निभाती थी, कला थी.. वचन निभाने की, नाटक बन गयी.. रंगमंच पे उस खुदा के, में आज एक कटपुतली बन गयी... वचन निभाती नहीं, ऐसा सुना है मेने, दर्शकों से | क्या कहु, कला खो गयी, पर ये कला उनके लिए कायम है, जो सही में आज भी वचन को समझते है | कला खुदा की देन होती है, खुदा भी ख़ुश होते होंगे मेरे वचन ना निभाने से.. -अज़नबी किताब नाटक..
Babli BhatiBaisla
झूठे और ओछे मक्कार महात्मा को कोई नहीं पूछता काले पड़ गए मैले मनको को कोई नहीं पूजता आर्यो की धरती पर शास्त्रों का ऊंचा स्थान है भारत मां के शास्त्रियों की विश्व में अलग पहचान है लाल बहादुर शास्त्री हो या धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री दोनों ने साबित कर दिखाया गरीबी नहीं पिछाड़ती महानता में पिछड़ जाते हैं धनाढ्य भी नीयत से बहुत मूर्ख लगते हैं भूख हड़ताल का नाटक करते हष्ट-पुष्ट काटा है लम्बा सफ़र आंखें मूंद कर अनपढ बहुत थे पढ़ कर समझ गए सभी जयचंद और शकुनि कौन थे बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla नाटक