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BANDHETIYA OFFICIAL
धराशायी सपनों के बीच, शय्या अपनी खड़ी है, आम बोलचाल में और क्या- खटिया अपनी खड़ी है, पउआ ढीला... पीने की पड़ी है... धराशायी हो बदन सही। ©BANDHETIYA OFFICIAL धराशायी ! #think
Sumit Kamboj
#Pehlealfaaz *"कज़ा के 'तीर' यूँ फेंके गए 'जुर्म' किसके है 'ना' देखे गए फिर भी 'उसकी' यादों के हैं 'गवाह' 'रास्ते' मे जितने भी 'ठेके' गए*" 'सार' याद #सार #शायरी कज़ा के तीर -मौत के तीर धराशायी करने वाले
Mayank Sharma
सुनो.. घायल करने के लिए यूँ नैनों से गोलियाँ चलाने की क्या जरूरत है आपकी तो मुस्कान ही काफी है, दिल छलनी करने के लिए... कसम से!! एक varrier ने ना जाने कितने warriors को धराशायी कर दिया 😍😂 #latepost #yqbaba #yqdidi #yopowrimo #ghayal #dil #viral
Shrikant Agrahari
हवाओँ का प्रवल वेग, कदाचित उसके स्वरूप का आँधियों में परिवर्तित होना, वृक्षों का ऐसे धराशायी होना मानो बिना प्राण के शरीर! फलों का जमीन पर टपटपाना, जैसे शरीर से अंगों का अलग होना! बिजली के खम्भो का उखड़ना, छप्पर का उड़ा ले जाना.....,, चारो तरफ अफरातफरी...... धूल धूसित वातावरण......... झाड़ियों की सरसराहट........ आँधियों की उदंडता का साक्षी है।। वही दूब का नन्हा स्वरुप,, आँधियों का उपहास कर रहा है।। ©श्री...✍🏻 "टपटपाना" शब्द का तात्पर्य पेड़ से फलों का टूट कर गिरने से उत्पन्न ध्वनि से है। विशालकाय वृक्ष को धराशायी कर देने वाली आँधी, नन्ही सी दूब के
अशेष_शून्य
..... सोलह शृंगार करने वाली "चंचल स्त्रियों" ने एक अतिरिक्त "अलंकार" "सहनशीलता" को बड़ी ही
Ajay Amitabh Suman
..................................... ©Ajay Amitabh Suman #नया_साल #बुरा_वक्त #बुरा_दौर #तन्हाई #एकाकीपन #Poem #Poetry #Kavita #New_year अनगिनत शक्तिशाली महान राष्ट्रों को धराशायी करते हुए ,मानव
Ajay Amitabh Suman
विगत साल भी बीत गया जग हारा अंतक जीत गया आमोद मोद मधुगीत गया, थे तन्हा तन्हा रात दिन वक्त शोकाकुल व्यतीत गया। कुछ राष्ट्र बड़े जो बनते थे दीनों पर तनकर रहते थे , उनकी मर्यादा अनुशासित वो अहमभाव अपनीत गया। खाली खाली सारी सड़कें थी सुनीं सुनी सब गलियां, जीवन की वीणा बजती ना वो राग मधुर संगीत गया। गत साल भरा था काँटों से मन शंकित शंकित रहता था, शोक संदेशे सुन सुन कर उर का सारा वो गीत गया। मदमाता सावन आया कब कब कोयल कूक सुनाती थी, विस्मृत बाग में फूलों के हिलने डुलने का रीत गया। निजनिलयों में रहकर जीना था डर का विषप्याला पीना, बढ़ती दुरी थी अपनों में वो अपनापन वो प्रीत गया। तन पर तो थोड़े चोट पड़े पर मन पर थे वो बड़े बड़े , अब तक चित्त पर जो हरे भरे देकर कैसा अतीत गया। पर बुरी बात की एक बात अच्छी सबको हीं लगती है, जो दौर बुरा ले विगत साल आया था अब वो बीत गया। बाधा आती हैं आयेंगी जग में जीवन कब रुकता है, नए आगत का स्वागत मन से ऊर्जा आशा संप्रीत नया। चित्त के पल्लव मुस्काएंगे उल्लास कुसुम छा जाएंगे, नव साल पुनः हम गायेंगे जीवन का न्यारा गीत नया। ©Ajay Amitabh Suman #Poem #Poetry #Kavita #New_year #Sadness #Lonliness अनगिनत शक्तिशाली महान राष्ट्रों को धराशायी करते हुए ,मानव के स्वछंदिता, संप्रभुता एवं
Pravin Kumar Prajapati
चुनावां री हलचल बामण ने बांसुरी मिलगी बोतल मिलगी जाटां ने। भोळी जनता सोच रही है कुर्सी किण के हाथां में। कई कमल की डंडी पकड़ी कई पकड़यो हाथ। ब
Poonam Singh
India quotes फिल्में समाज का आईना होती हैं, वो सिर्फ मनोरंजन का जरिया नही होती, समाज में चेहरों के पिछे छिपा राष्ट्र विरोध, उजागर होता है अक्सर, तब जनता ही जवाब देना जानती है, और उन चेहरों के पिछे छुपा नकली चेहरा, धराशायी हो जाता है, छपाक से, राष्ट्र सर्वप्रथम 🇮🇳 राष्ट्रहित सर्वप्रथम 🇮🇳 राष्ट्रवाद सर्वप्रथम 🇮🇳 फिल्में समाज का आईना होती हैं, वो सिर्फ मनोरंजन का जरिया नही होती, समाज में चेहरों के पिछे छिपा राष्ट्र विरोध, उजागर होता है अक्सर, तब
Ajay Amitabh Suman