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जिंदगी का जादू
छाया से दूर हुआ तो आंचल का मूल्य मैं जाना जब तपी ये दिल की धरती बादल का मूल्य मैं जाना वो छाया वो बदली बस एक जगह मिलती है सब मिलता दूर शहर में बस मां ही नहीं मिलती है पावस रजनी में जुगनू भट्ट के जैसे जंगल में पूछे राम जी वोन से कैसे हैं सब महल में वन में ना कोई दुख है पुण्य ज्योति जलती है देव मुनि सब मिलते बस मां ही नहीं मिलती है @गौतम माँ पर कविता
writer shashi dwivedi
बंज़र धरती है खिल उठी हो गया उजाला। जग सारा चमक उठी ये धरती मौसम है आज बसंती ।। बंज़र धरती खिल उठी बारिश की बूदे जब पड़ी बीजों में अंकुर आ गये । खेतों में हल छा गये मन मे उमंग भर ले मेघा आज बरस ले ।। ये धरती ये गगन झूम गये। ये झरनों के कलकलाहट बिजलियों की कि चमकाहट अम्बर में पंछियों के गीत गूँज गये।। बंज़र धरती है खिल उठी बारिश की बूदे जब पड़ी -Shashi Dwivedi धरती माँ
Future Novelist
धरती माँ तेरे कंधे पर चढ़ा हुआ बोझ हमे उतरवाना है !! तुझसे बने तुझ पर ही रहे और तुझ ही में समाना है !! और कोई तोहफा तेरे लिए छोटा पड़ेगा !! तेरे चरणों मे मुझे सर अपना चढ़ाना है !! धरती माँ
मोहम्मद मुमताज़ हसन
माँ जैसी- धरती जीवन में हरा भरा रंग भरती करती उपकार बहुत मानव पर,जीव जंतुओं पर और उन समस्त प्राणियों पर- जिन्होंने माँ मानकर पूजा उसे कष्ट न पहुँचाया उसे हृदय को शीतलता प्रदान किया सदैव धरती है तो हरियाली है, प्रकृति की छटा निराली है मानव चाहे जितना रौंदता रहे ,छलनी करता रहे सीना धरती का वह सह लेती है सब बहुत सहनशील है धरती कोई कष्ट नहीं होता क्या उसे होता है परंतु-भूलकर वह अपनी पीड़ाएं सारी/ चिंता करती है सिर्फ़ और सिर्फ समस्त प्राणियों की, जीव जंतुओं की और मानव की भी!! ( मोहम्मद मुमताज़ हसन ) #धरती #कविता
Adi_writes04
आजकल खुद से परे हो जाने कहाँ भटकते है ऐसा लगता है कि जैसे भीड़ मे हम खो गये हैं जैसे अपने आप को ही जगह जगह हम ढूंढते है । याद आता है वो आँगन प्यार बसता था जहाँ पर सामने छोटी सी बगिया झूमना फूलों का हंसकर राग भोपाली मे माँ का परमेश को प्रातःजगाना । बिजलियां जब चमकती थी या गरजती थीं घटाएँ दौड़कर डरती सहमती मा के आँचल मे सिमटती उस स्पर्श की उष्मा मेरे मन प्राण फौलादी बनाती। ठोकरे लगने से जब भी चोट खातीऔर तडपती पीठ सहला कुछ न कहती मौन संदेशा ये देती डर न तू तूफा से लड जा कदम चूमेगी सफलता। जाने कहाँ जा रही थी किन विचारों मे थी खोई सामने बिजली सी चमकी तू बडी है भाग्यशाली माँग ले जो जी मे आए आज दे दूँ जो तू माँगे। आज फिर मै खो गई हूं रुक गई थक हारकर हूँ। बख्श दे मुझको तू फिर से माँ के आँचल की वो साया जिसके तले विश्राम करने तू है जनमता बार बार । #RaysOfHope माँ पर कविता #Nojoto