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VIIKAS KUMAR
Sbl कालमेघ सिरप का उपयोग अपच, पेट फूलना, कब्ज में किया जाता है, यकृत और गैस्ट्रिक शिकायतों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करता है। संरचना: Androgarphis Paniculata Q, Chelidonium Majus Q, Carica Papaya Q, Myrica Cerifera 3x, Hydrocotyle Asiatica Q, Hygrophila spinosa Q, अनुशंसित खुराक: बच्चे: 5-10 बूँदें, दिन में तीन बार। साइड इफेक्ट: कोई साइड इफेक्ट ज्ञात नहीं है। सावधानियां: 1. खाने/पीने/अन्य दवाओं और निर्धारित होम्योपैथिक दवा के बीच आधे घंटे का अंतर रखें। 2. होम्योपैथिक दवा लेते समय आपके मुंह में प्याज, लहसुन, कपूर, कॉफी, हींग जैसी तेज गंध नहीं आनी चाहिए। 3. मेन्थॉल, पुदीना, कपूर, आवश्यक तेल, लिप बाम, डीप हीट लाइनमेंट्स, कफ लोजेंज, च्यूइंग गम, सुगंधित टूथपेस्ट, रासायनिक धुएं, इत्र आदि जैसी तेज गंधों से दूर होम्योपैथिक उपचारों को स्टोर करें। ©VIKAS KUMAR Sbl कालमेघ सिरप
Amit
White दिल लगाने वाले आशिक सूरत के पिछे मत भागो सूरत के अफसाने तो हमेशा बर्बाद करते है। भागना है तो किसी के सादगी के पिछे भागो सिर्फ सिरत के नजराने हीं आबाद करते हैं।। ©Amit सिरत
sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
यॆ आसमान इस हद तलक ज़मीन पर गिरा है... ये उफ़क़ तेरे दुपट्टॆ का आख़िरी सिरा है..। फिर अगर कोई महाभारत हो त’अज्जुब न हो... तेरा अभिमन्यु अब भी चक्रव्यूह मॆं घिरा है..। और रोज कोई इत्तिफ़ाक़न तुम्हॆं छू जाए... मैं ही नहीं फ़क़त मेरा लम्स भी सर-फिरा है..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 सिरा
Dinesh Sharma Dinesh
आदिदेव तेरी शरण, आया हूं मैं आज । योगाधिप गजनान तुम, एकदंत गणराज ।। ✍️ दिनेश शर्मा दिनेश ©Dinesh Sharma Dinesh आदिदेव तेरी शरण ... #Poetry #poem #Hindi
Pratap Singh
लिखूं क्यों मिटाने के लिए, बोलूं क्या जमाने के लिए। हरदम घुमड़ती रहती है तू, बस मुझे घुमाने के लिए।। #सिरफ तुम
Being Pacific
आईना पोछनेसे कुछ नहीं होता साहब, इन्सान सुरतसे नहीं, सिरतसे पहचाना जाता है। ये वक्त वक्त की ही बात है, समझ ले पाटील, आजकल कद देखकर, गलतियों को नापा जाता है। Mirror #सिरत
Pooja Singh Rajput 🎓
त्रैतायुग में धर्म के तीन पैर थे। इस युग में पाप की मात्रा 25% और पुण्य की मात्रा 75% थी। द्वापर में धर्म के दो पैर ही रहे। इस युग में पाप की मात्रा 50% और पुण्य की मात्रा 50% थी। कलिकाल में धर्म के पैरों का कोई नामोनिशान नहीं है। इस युग में पाप की मात्रा 75% और पुण्य की मात्रा 25% ही रह गए है। -pooja singh rajput✍🍁 #वैदिककाल#भगवान#आनादीकाल#आदिकाल#कर्म#निशाचर#युग