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Raushan

अकड़ नहीं है उसमे ,जरा भी नही! 
बहुत टूटी हुई सी मिली है मुझसे
कहती है बहुत हिम्मत है उसमें
पर छल से टूट जाती है वो हर बार
समझ नहीं आता की आखिर
ये छल क्या है! क्या कोई झूठ है?
जो यदा कदा बोला गया हो
या फिर किसी को दुःखी
न करने के लिए नहीं कहा गया कोई वाक्य
या ,क्या छल यह भी है 
सच को अपनी सुविधा अनुसार बताना
क्या चुप रहना भी छल मान लिया जाना चाहिए
क्यूं दुखी होता है यह किसी के सच न बोलने से
क्यों टूट जाता है कोई झुठ सुन लेने भर से
क्यों छली जाती रूह किसी के चुप भर रहने से।


 #छल 
#सच 
#झूठ 
#अकड़ 
#टूटना 
#यदाकदा 
#yqdidi 
#yqhindi

Anita Saini

#MothersDay #कविता #ज़िन्दगी #विचार #माँ #बात #मैं #हम #शायरी #समाज मस्तक पर स्नेह का सागर उड़ेल सुलाती है कभी मारती है तो कभी पुचकारती है मा

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Sunita D Prasad

तुम्हारी आँखों के एकाकीपन से अधिक मुझे आकर्षित करता है उनका यदाकदा अचंभित होना। हम उतना ही दिखे जितना हम कर पाए स्वयं को व्यक्त #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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तुम्हारी आँखों के एकाकीपन से अधिक 
मुझे आकर्षित करता है 
उनका यदाकदा 
अचंभित होना।

हम उतना ही दिखे
जितना हम कर पाए
स्वयं को व्यक्त 
अव्यक्त भीतर ही कहीं
अंध गुफा बनता गया।

व्यक्त करना 
एक ऐसी कला रही
जिसे  तुम्हारे संवादों से अधिक
मौन ने बखूबी निभाया
स्वर से अधिक 
तुम्हारे मुख की विश्रांति ने
मेरी शिराओं में कंपन उत्पन्न किया।

देखो, वहाँ दूर 
उतरती शाम की टूटती घाम 
बिखरने से अधिक
 सिमट रही है
और यहाँ मैं
तुम्हारे  चुंबन के मध्य
अधरों के ताप से
बरसाती नदी में
किसी  हरे वृक्षों की भाँति
टूटकर, बह निकली हूँ

मेरी देह पर उभरे स्वेद कण
उसी बरसाती नदी की विरासत हैं।।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐



 तुम्हारी आँखों के एकाकीपन से अधिक 
मुझे आकर्षित करता है 
उनका यदाकदा 
अचंभित होना।

हम उतना ही दिखे
जितना हम कर पाए
स्वयं को व्यक्त

Anita Saini

“पृथ्वी” एक चित्ताकर्षक,मोहक अप्सरा की भाँति है। जिसके ब्रह्मांड के ग्रह-उपग्रह व असँख्य तारे “प्रेमी” हैं! जो चक्कर लगाते रहते हैं इसके चा #yqbaba #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzpictureprompt #rzpicprompt4331

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“पृथ्वी”
एक चित्ताकर्षक,मोहक
अप्सरा की भाँति है।
जिसके ब्रह्मांड के ग्रह-उपग्रह
व असँख्य तारे “प्रेमी” हैं!  “पृथ्वी” एक चित्ताकर्षक,मोहक अप्सरा की भाँति है। 
जिसके ब्रह्मांड के ग्रह-उपग्रह व असँख्य तारे “प्रेमी” हैं!
जो चक्कर लगाते रहते हैं इसके चा

Anita Saini

कभी चलाती है कभी उछालती है कभी मारती है कभी पुचकारती है माँ! कभी अंग लगाती कभी फटकारती है कभी डाँटती है कभी दुलारती है माँ! यदाकदा ग्रहण क #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #मेरीमाँ #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #KKC927

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कभी चलाती है कभी उछालती है
कभी मारती है कभी पुचकारती है माँ!

कभी अंग लगाती कभी फटकारती है
कभी डाँटती है कभी दुलारती है माँ!

यदाकदा ग्रहण कह देती क्रोध में और
कभी सौ तरह से नज़र उतारती है माँ

ख़ुद फटा पहन कर भी ख़ुश रहती है
किन्तु मुझे राजकुमारी सा सजाती है माँ!

ख़ुद काँटों में जीवन बिता लेती है
मगर, मेरा पथ आँचल से बुहारती है माँ!

क्या कहूँ और मैं मेरी माँ के लिए...निःशब्द हूँ
वो सर्वस्व निछावर कर चुकी है मुझपे
सब सुख त्याग कर जीवन सँवारती है माँ!
 कभी चलाती है कभी उछालती है
कभी मारती है कभी पुचकारती है माँ!

कभी अंग लगाती कभी फटकारती है
कभी डाँटती है कभी दुलारती है माँ!

यदाकदा ग्रहण क

क्या मैं कहूं

दादा गुरु दादा गुरु दादा गुरू #पौराणिककथा

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