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Moinudeen

इज्तिमा

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सुन्नी इज्तिमा 

अल्लाह के ज़िक्र की बरकतें 

आज बतारीख़ 26-10-2019 बरोज़ सनीचर बाद नमाज़े इशा फैज़ाने मदार जामा मस्जिद फक़ीरा खैङा में ।
शिरकत फरमाकर सवाबे दारैन हासिल करें इज्तिमा

Manmohan Dheer

इज्तिमा

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ये कैसा इज्तिमा मोल लिया है हुक़ूमत के शहर ने
तब्दील किले में कर दिया उसे अवाम के असर ने
.
  इज्तिमा

Vikas Kumar Chourasia

तब्लीगी जमात....

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सोच रहा था देश सारी रात
आखिर क्या है, ये तब्लीगी जमात...?

बस यही समझाने के खातिर 
कुछ ने थूक दिया
कुछ नंगे हो गये
अश्लील गाने, दारू-बीड़ी 
साले पल भर में भिखमंगे हो गये 

क्या गली में बैठे लुच्चे थे तुम
जो जाहिल हरकत कर बैठे

अगर ज्ञान सही था "उस मरकज का"
तो औकात क्यों दिखा बैठे

अब देखना है इस क़ुसूर का
पश्चाताप कौन करेगा...?
अल्लाह को जो बदनाम किया है
भला वो भी कैसे माफ करेगा।। तब्लीगी जमात....

Sanjay Tiwari

#तब्लीगी ज़मात

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न अपने जान की फिक्र
न दूसरों के जान की
हम तब्लीगी ज़मात हैं
बाकी आदतें हैवान की
आप जहां भी हों सरकार को
 सूचित करें गर मानवता
ज़िंदा है #तब्लीगी ज़मात

Moinudeen

सुन्नी इज्तिमा

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सुन्नी इज्तिमा 

अल्लाह के ज़िक्र की बरकतें ।

आज बतारीख़ 26-10-2019 बरोज़ सनीचर बाद नमाज़े इशा फैज़ाने मदार जामा मस्जिद फक़ीरा खैङा ।

शिरकत फरमाकर सवाबे दारैन हासिल करें । सुन्नी इज्तिमा

Nisheeth pandey

◆शीर्षक- पीड़ित अखबार◆ __________ घर के किसी एकांत शांत कोने में , अखबार ले कर बैठ गया #poem #AlfaazAapke #SpeakOutLoud #MoralStories #Chandrabalam

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◆शीर्षक- पीड़ित अखबार◆

__________
घर के किसी एकांत 
शांत 
कोने में ,
अखबार ले कर
 बैठ गया 
आज अखबार की 
रंगरूप 
पर नज़रें टिकी ,
मन ने कहा 
देखो निशीथ
पूरे देश दुनिया का खबर तुम्हारे घर तक
 पहुंचाने वाला
अखवार के पन्ने देखो 
मटमैला सा
 खुद सहारे की भीख मांगता सा 
पीलिया का बीमार सा 
पीलापन लिये
 कितना बीमार सा लगता है ....
मटमैला सा पीलापन पीड़ित सा अखबार... 

अख़बार में 
कल का घटनाक्रम
 आज काली श्याही में घुल गई ,

प्रथम पन्ने पर चेतावनी ,
कोरोना के कब्जे में देशवासी,

मानवता की विचित्र सार,
बुद्धिजीवीयो के बोलबच्चन हज़ार,
फिर भी मानसिक रूप से
बीमार...

बूढ़े माँ-बाप 
अपने ही घर से बेघर,
3साल 6 साल की मासूम बच्ची का बलात्कार....
पन्ने पलटते हैं अब,
एक मौलवी का एलान ,
अपराध का संरक्षण ही
 सबसे बड़ा मजहब की दुहाई
 देश को डराने धमकाने का बोल बचन..

थोड़ी ठंडी थोड़ी गर्म चाय की चुस्की के साथ 
पन्ने पलटते रहे..

विदेशी घुसपैठ,
 रोहिंग्या का विभिन्न जगहों पर कब्जा ,
खाने पर बढ़ता वैट,
रोज धराशायी होते जेट,

अभी आधा अखबार ही पलटा था..
सारा देश भ्रस्टाचार में ,
पानी मे चीनी की तरह घुल रहा था,

कोयला भी काला धन 
उगल रहा था...
देशद्रोही देश के खिलाफ
 आग उगल रहा था , प्रधानमंत्री को अपशब्द बोल रहा था ....

सडको पर
 मौत बाँटते तब्लीगी ,
 फल सब्जी वाले और रईसजादे...
आधे गैर मुल्क वाले
 तो आधे अपने देश वाले..

क्रिकेट के शोर,
 फुटबॉल के उभरते गोल,
अभिनेताओ के बदलते रोल..
बच्चे नशे में धुत ....

 मंगल और चांद पर 
जिंदगी तलासते वैज्ञानीक,
धरती पर सुखता  पानी..
आज के अखबार के पन्नों का 
ताज़े थे खबरें पर
 समझ में आ गया था 
क्यों पीली पड़ चुकी थी पन्ने ..
मेरे चेहरे पर बदलते तेवर थे ,
 मन व्याकुल
 हो रहा था अब ...
क्या बताऊँ 
हमने पढ़ ली क्या अखबार  .....
अब जल रहा 
सारा शहर
 है आखों में ......

🤔निशीथ🤔

©Nisheeth pandey ◆शीर्षक- पीड़ित अखबार◆

__________
घर के किसी एकांत 
शांत 
कोने में ,
अखबार ले कर
 बैठ गया

Niwas

कोरोना आपदाकाल, मानवता और सरकार कोरोना के इस दुर्भिक्ष रूपी दौर में भी बहुतों की इंसानियत ज़िंदा है। हर राज्य में बहुत सारे लोग, जिनका व्याप

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#कोरोना, आपदाकाल,मानवता और सरकार
 कोरोना आपदाकाल, मानवता और सरकार
कोरोना के इस दुर्भिक्ष रूपी दौर में भी बहुतों की इंसानियत ज़िंदा है। हर राज्य में बहुत सारे लोग, जिनका व्याप
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