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Akhilesh Srivastava
अब जब कभी.मुलाकात होगी , गगन मे नीली रात होगी । थक कर.आँचल.मे.सोयेंगे, अब जब कभी.मुलाकात होगी।। मुलाकात के दिन अहसास के दिन
Abdul Hakim
बिजली बन कर चमकती मेरे मन की आग। आहें मेरी बन गईं न्यारे-न्यारे राग।। सावन की भीगी है रात, सखी सुन री मेरी तू बात। है नैनों में आँसुओं की धार, जिया न लागे हमार #gif बरसात के दिन आये मुलाकत के दिन आये
Maninder Tanwar
बरसात के दिन आये, मुलाकात के दिन कब आयेंगे?????
Tr. Anand Kumar
वो पुराने दिन भी कितने सुहाने थे, ये बातें भी अभी ही याद आने थे...? उन दिनों में कितनी याद और कितने राज छुपे हैं, उन्हें याद कर इन आंखों को अभी ही रो जाने थे....? #पुराने दिन #स्कूल के दिन #याद
Anil Kumar
Happy Childrens Day बचपन की जिदंगी कितनी अच्छी होती थी रुठने पर किसी से बस, सिर्फ कट्टी होती थी मन में पाप नहीं था आत्मा कितनी सच्ची होती थी रहते थे सब एक साथ बस, सिर्फ रुह बट्टी होती थी!! -by AS.. बचपन के दिन
Eron (Neha Sharma)
दिन बचपन के ●●●●●●●● एक दौर था जब ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविजन का जमाना था। मोगली जैसे कार्टून्स को घर बैठे सबके साथ देखना था। उस समय लूना का प्रचार प्रसार भी बड़ा था। छोटे बच्चों के लिये जैसे शक्तिमान हीरो सबसे बड़ा था। पूरा परिवार बैठकर चंद्रकांता देखता था कुछ ऐसे रविवार का दिन बीतता था। छुट्टियों में नानी का घर बड़ा भाता था। गर्मियों की छुट्टियों में आम जरूर खाना था। खट्टी मीठी इमली के चटकारे भी बड़े लिये। चलाकर टायर गलियों में बड़े मजे किये। पिट्ठू फोड़ तब कई नामो से जाना जाता था। इक्कल दुक्कल लँगड़ी टांग खेलने का मजा ही अलग आता था। खो-खो, छुपा- छुपी, बहुत से खेल होते थे। खत्म करके जल्दी जल्दी पढ़ाई फिर दोस्तों संग खेलने निकलते थे। रात को आंगन में बिस्तर लगा सोते थे। बैठकर गगन तले चाँद संग तारे गिना करते थे। सर्दियों में गन्ने भी बड़े चूसे हमने माँ ने जब भी जलाया चूल्हा बैठकर एक साथ हाथ भी सेके सबने। माँ के बनाये स्वेटर की गर्माहट भी ज्यादा थी। उल्टे सीधे फंदे ले माँ कंधों पर लगा स्वेटर नापती थी सावन में जब बारिश कभी होती थी। तब दोस्तों की पूरी टोली खेलने को निकलती थी। घर आकर माँ प्यार से डांट से तोलिये से सर पोंछती थी। माँ डांटती तो दादी नानी प्यार से खट्टी मीठी गोली देती थी। बचपन पीछे छूट गया अब वह नया दौर जो आगया अब यह। बचपन के वो दिन आंखों में घूम जाते है। जब कभी पुराने दिन याद आते हैं। अब ना वो पहले सी मस्ती रही। ना ही पहले सी मौज मस्ती रही।-नेहा शर्मा दिन बचपन के
divya...
मेरे स्कूल की वो शरारत.. जिसमें हम बच्चे स्कूल की छुट्टी का पूरे दिन इंतजार करते थे... और छुट्टी होती तो... घर जाते समय रास्ते में.. खेलते कूदते मौज करते जाते थे... miss you school... yaad aaya kuch.. स्कूल के दिन...