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Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 📖🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिंदगी कई बार ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा कर देती है की जहाँ कई बार ना तो जी ही पाते हैं और ना ही मर पाते हैं ,केवल एक जिन्दा लाश बन कर रह जाते हैं ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आज के कलयुग में अधिकांशतः झूठ की पूजा होती है और सच को अपनी सच्चाई साबित करने के लिए सफाई देनी पड़ती है ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हकीकत में आसमान में उड़ने के ख्वाब तो परिंदे देखते हैं क्यूंकि इंसानी नस्ल तो एक दुसरे को नीचे दिखाने और गिराने मात्र में लगी है ..., आखिर में एक ही बात समझ आई की हम चाहें जैसे भी हों पर लोगों को हम उनकी सोच के अनुरूप ही लगते हैं ...! बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...! 🌹सुप्रभात🙏 स्वरचित एवं स्वमौलिक "🔱विकास शर्मा'शिवाया '"🔱 जयपुर-राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' इंसानी नस्ल
Ajay tondwal
इश्क़ की आखिरी नस्ल है हम... अगली पीढ़ियों को.. सिर्फ जिस्मों की जरूरत होंगी !!!!! *अजय* आखिरी नस्ल !!
Parasram Arora
इस ज़ुल्म क़े साथ साथ एक और ज़ुल्म भी हो रहा हैँ मनचाही नस्ल की बजाय अनचाही नस्ल का पैदा होते जाना इस बढ़ती जा रही अनचाही नस्ल का कहीं भी किसी कोभी फ़िक्र नज़र नहीं आती न रब को न लोगो को......... अनचाही नस्ल ( imroj)
Sunil Kumar Maurya Bekhud
इंसान हो या शेर Iनिसाने पर पर खड़ा हूँ भूख किसी की भी हो सूली पर चढ़ा हूँ जब रही है साँस दौड़ लगाया हूँ तीर् लगते ही घायल गिर पड़ा हूँ ए रब किसी का क्या बिगाड़ा मैंने हरदम जमाने की निगाहों में गड़ा हूँ s ©Sunil Kumar Maurya Bekhud पशु
Negi Girl Kammu
Village Life यूं ही नहीं परवान चढ़ा यह पशु प्रेम। मैंने बचपन से देखा है, अपनी दादी को । जो सुबह उठते ही मुंह धोने से पहले चारा देती हैं हमारी गाय को। घर के आंगन में बधे पशु जाने कैसे मेरी दादी की आहट को सुन लेते है। दरवाजे खुलने की आवाज न जाने वह कैसे पहचान लेते हैं। वो भी समझ जाते हैं कि काली घनी अंधेरी रात अब जा चुकी है। सुबह का सूरज बस उगने वाला ही है । जैसे ही दादी घास की गठरी को उनके आगे फैकती है। वह भी झट से उठकर दादी के हाथों को चाटते हैं । अपनी लंबी सी जीव निकाल के कभी दादी की धोती पर तो कभी दादी के बालों को चाटने लगते हैं । शायद वह भी दादी को प्यार करते हैं। घास के बदले में पशु दादी को ढेर सारा प्यार देते हैं। अपने सुबह के चारे को देख पशु खुशी से झूम उठते हैं। चारा खाने के बाद पशु अब कुछ पानी पीना चाहते हैं। और वह लंबी सी जीभ को निकाल के अपने मुंह के दाएं बाएं फेरते है । मेरी दादी साक्षर नहीं है, उसने कभी भी पशुओं के लिए कोई अलग सी पुस्तक नहीं पढ़ी, लेकिन वह उनकी भाषा को जानती है। दादी समझ जाती है ,कि उसे अब प्यास लगी है । और फिर क्या दादी झट से एक बाल्टी भर के पानी ले आती है। और रख देती है गौशाला में पशुओं के आगे। सभी झट से पानी को पीने लगते हैं । वह बहुत देर तक बाल्टी में सर डुबो के चुस्कियां लेते है। यूं ही नहीं परवान चढ़ा यह पशु प्रेम। यूं ही नहीं परवान चढ़ा यह पशु प्रेम।। ©Negi Girl Kammu पशु प्रेम।