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Amit Kumar

हवा से आँख लड़ाने  आसमां की  सैर  करो 
हौसलों की उड़ान  भी  पंखों के  बगैर  करो 
साहस मन में भरो आगे बढ़ने की चाहत रखो 
ना किसी से दोस्ती रखो ना किसी से बैर करो 

-अमित "अनभिज्ञ" एक मूलतः विचार

एक मूलतः विचार

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Anekanth Bahubali

बरखा

पीने को पानी लायी थी, फसलों की जान बचाई थी,
अब पीठ दिखाकर क्यों चली गई तू बरखा?
किसान के दिल को घायल कर कहाँ चली गई तू बरखा?

नदियां अब सो गई हैं, हँसते थे फूल अब मुरझा गए हैं,
तपते हुए तालाब का पानी भी अब आईने की तरह ताक रहा है,
अब देर न कर उसे चूम ले बरखा,
अब देर न कर तू झूम ले बरखा। यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका अनुवाद है।
बरखा #rain #yqbaba #yqdidi

यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका अनुवाद है। बरखा #rain #yqbaba #yqdidi

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Anekanth B

बरखा

पीने को पानी लायी थी, फसलों की जान बचाई थी,
अब पीठ दिखाकर क्यों चली गई तू बरखा?
किसान के दिल को घायल कर कहाँ चली गई तू बरखा?

नदियां अब सो गई हैं, हँसते थे फूल अब मुरझा गए हैं,
तपते हुए तालाब का पानी भी अब आईने की तरह ताक रहा है,
अब देर न कर उसे चूम ले बरखा,
अब देर न कर तू झूम ले बरखा। यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका अनुवाद है।
बरखा #rain #yqbaba #yqdidi

यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका अनुवाद है। बरखा #rain #yqbaba #yqdidi

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Anekanth B

कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ

हाथ पकड़कर तूने ही मुझे चलना सिखाया,
दही चावल खिलाते खिलाते चंदा मामा को दिखाया,
आंसू भरी आंखों को पोंछा तो तेरा चेहरा नज़र आया,
कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ,
अब कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ।

पापा की पिटाई भी तूने खाई,
घर छोड़कर भागा तो बुलाने आई,
माइका छोड़ आई थी तू अब मुझे यतीम बना गई
कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ,
अब कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ।

पढ़ा लिखाकर सज्जन मानुस बना गई,
शादी कराई, बच्चों की लोरियाँ गा गई,
अब चुपचाप सी खामोश होकर तू कहाँ चल दी बोल ना माँ,
मैं भी साथ चलूं क्या बोल ना माँ।
 माँ
यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका यह हिंदी अनुवाद है। #Mother #Mom #YQDidi #Hindi #YQBaba

माँ यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका यह हिंदी अनुवाद है। #Mother #Mom #yqdidi #Hindi #yqbaba

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Anekanth Bahubali

कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ

हाथ पकड़कर तूने ही मुझे चलना सिखाया,
दही चावल खिलाते खिलाते चंदा मामा को दिखाया,
आंसू भरी आंखों को पोंछा तो तेरा चेहरा नज़र आया,
कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ,
अब कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ।

पापा की पिटाई भी तूने खाई,
घर छोड़कर भागा तो बुलाने आई,
माइका छोड़ आई थी तू अब मुझे यतीम बना गई
कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ,
अब कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ।

पढ़ा लिखाकर सज्जन मानुस बना गई,
शादी कराई, बच्चों की लोरियाँ गा गई,
अब चुपचाप सी खामोश होकर तू कहाँ चल दी बोल ना माँ,
मैं भी साथ चलूं क्या बोल ना माँ।
 माँ
यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका यह हिंदी अनुवाद है। #Mother #Mom #YQDidi #Hindi #YQBaba

माँ यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका यह हिंदी अनुवाद है। #Mother #Mom #yqdidi #Hindi #yqbaba

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Anekanth Bahubali

अर्धकथानक

उनतीस साल गुज़र गए, अब बस उन तीस सालों का ख़याल है,
नौकरी तो चल रही है, बस बीवी बच्चों का सवाल है,
उनतीस सालों में सब उतार चढ़ाव देख लिए मगर,
कुछ भी हासिल न कर पाने का मन में मलाल है,
उनतीस साल गुज़र गए, अब बस उन तीस सालों का ख़याल है।

स्कूल की यादें और कॉलेज के किस्से कमाल हैं,
याणा के जंगल, कुल्लू मनाली के कैम्प फायर की धमाल है,
आइजॉल की पहाड़ियां नीली और बेंगलूरु के ट्रैफिक सिग्नल अब भी लाल हैं,
उनतीस साल गुज़र गए, अब बस उन तीस सालों का ख़याल है। अर्धकथानक (Half A Tale) 
यह शीर्षक मूलतः जैन कवि पंडित बनारसी दास की जीवनी का शीर्षक है। #birthday #yqbaba #yqdidi

अर्धकथानक (Half A Tale) यह शीर्षक मूलतः जैन कवि पंडित बनारसी दास की जीवनी का शीर्षक है। #BirthDay #yqbaba #yqdidi

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Anekanth B

अर्धकथानक

उनतीस साल गुज़र गए, अब बस उन तीस सालों का ख़याल है,
नौकरी तो चल रही है, बस बीवी बच्चों का सवाल है,
उनतीस सालों में सब उतार चढ़ाव देख लिए मगर,
कुछ भी हासिल न कर पाने का मन में मलाल है,
उनतीस साल गुज़र गए, अब बस उन तीस सालों का ख़याल है।

स्कूल की यादें और कॉलेज के किस्से कमाल हैं,
याणा के जंगल, कुल्लू मनाली के कैम्प फायर की धमाल है,
आइजॉल की पहाड़ियां नीली और बेंगलूरु के ट्रैफिक सिग्नल अब भी लाल हैं,
उनतीस साल गुज़र गए, अब बस उन तीस सालों का ख़याल है। अर्धकथानक (Half A Tale) 
यह शीर्षक मूलतः जैन कवि पंडित बनारसी दास की जीवनी का शीर्षक है। #birthday #yqbaba #yqdidi

अर्धकथानक (Half A Tale) यह शीर्षक मूलतः जैन कवि पंडित बनारसी दास की जीवनी का शीर्षक है। #BirthDay #yqbaba #yqdidi

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vishnu prabhakar singh

खुशबू का पीछा करते
चिनगारी बन जाती है
एक पतंगा का  जूनून
हवा का रुख है करता
वेग में खूब है फहरता
अकस्मात हवा मुड़ती
चिंगारीआग बन जाती
फहरना तेज हो जाता
अशक्त पतंगे का जोर
खुशबू की मूल चाहत
भूल का आभाष देती
वीरान हो जाता पतंगा
फूल छोड़,खुशबू पीछे मूलता अनिवार्य है।

ख़ुशबू का पीछा करते 
वीराने तक आ पहुँचे
#ख़ुशबू #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #विप्

मूलता अनिवार्य है। ख़ुशबू का पीछा करते वीराने तक आ पहुँचे #ख़ुशबू #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi विप् #विप्रणु

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ƒяεε ƒ¡яε łσvεя

“

जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता!
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा,
द्राविड़-उत्कल-बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभाशीष मागे
गाहे तव जय गाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता!
जय हे! जय हे! जय हे!
जय जय जय जय हे!

”

वाक्य-दर-वाक्य अर्थसंपादित करें

जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता!
जनगणमन:जनगण के मन/सारे लोगों के मन; अधिनायक:शासक; जय हे:की जय हो; भारतभाग्यविधाता:भारत के भाग्य-विधाता(भाग्य निर्धारक) अर्थात् भगवान
जन गण के मनों के उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्यविधाता हैं!


पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग
पंजाब:पंजाब/पंजाब के लोग; सिन्धु:सिन्ध/सिन्धु नदी/सिन्धु के किनारे बसे लोग; गुजरात:गुजरात व उसके लोग; मराठा:महाराष्ट्र/मराठी लोग; द्राविड़:दक्षिण भारत/द्राविड़ी लोग; उत्कल:उडीशा/उड़िया लोग; बंग:बंगाल/बंगाली लोग
विन्ध्य:विन्ध्यांचल पर्वत; हिमाचल:हिमालय/हिमाचल पर्वत श्रिंखला; यमुना गंगा:दोनों नदियाँ व गंगा-यमुना दोआब; उच्छल-जलधि-तरंग:मनमोहक/हृदयजाग्रुतकारी-समुद्री-तरंग या मनजागृतकारी तरंगें
उनका नाम सुनते ही पंजाब सिन्ध गुजरात और मराठा, द्राविड़ उत्कल व बंगाल
एवं विन्ध्या हिमाचल व यमुना और गंगा पे बसे लोगों के हृदयों में मनजागृतकारी तरंगें भर उठती हैं


तव शुभ नामे जागे, तव शुभाशीष मागे
गाहे तव जय गाथा
तव:आपके/तुम्हारे; शुभ:पवित्र; नामे:नाम पे(भारतवर्ष); जागे:जागते हैं; आशिष:आशीर्वाद; मागे:मांगते हैं
गाहे:गाते हैं; तव:आपकी ही/तेरी ही; जयगाथा:वजयगाथा(विजयों की कहानियां)
सब तेरे पवित्र नाम पर जाग उठने हैं, सब तेरी पवित्र आशीर्वाद पाने की अभिलाशा रखते हैं
और सब तेरे ही जयगाथाओं का गान करते हैं


जन गण मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
जनगणमंगलदायक:जनगण के मंगल-दाता/जनगण को सौभाग्य दालाने वाले; जय हे:की जय हो; भारतभाग्यविधाता:भारत के भाग्य विधाता
जय हे जय हे:विजय हो, विजय हो; जय जय जय जय हे:सदा सर्वदा विजय हो
जनगण के मंगल दायक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता
विजय हो विजय हो विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो 

संक्षिप्त संस्करणसंपादित करें

उपरोक्‍त राष्‍ट्र गान का पूर्ण संस्‍करण है और इसकी कुल अवधि लगभग 52 सेकंड है।
राष्‍ट्र गान की पहली और अंतिम पंक्तियों के साथ एक संक्षिप्‍त संस्‍करण भी कुछ विशिष्‍ट अवसरों पर बजाया जाता है। इसे इस प्रकार पढ़ा जाता है:
“
जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता। 
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे। 
”
संक्षिप्‍त संस्‍करण को चलाने की अवधि लगभग 20 सेकंड है। जिन अवसरों पर इसका पूर्ण संस्‍करण या संक्षिप्‍त संस्‍करण चलाया जाए, उनकी जानकारी इन अनुदेशों में उपयुक्‍त स्‍थानों पर दी गई है।

©shashank rai जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान है जो मूलतः बंगाली में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था। भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम्‌ है।

#

जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान है जो मूलतः बंगाली में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था। भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम्‌ है। # #Lights #समाज

5 Love

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Sarfaraj idrishi

मुद्दा 132 मौतों का

 'झूलतो पुल'
 पर हादसा है किसकी भूल
 मोरबी घटना पर दुखपूर्ण

©Sarfaraj idrishi मुद्दा 132 मौतों का 'झूलतो पुल'
 पर हादसा है किसकी भूल

 मोरबी घटना पर दुखपूर्ण

#BrokenBridge  –Varsha Shukla बाबा ब्राऊनबियर्ड khubsurat D

मुद्दा 132 मौतों का 'झूलतो पुल' पर हादसा है किसकी भूल मोरबी घटना पर दुखपूर्ण #BrokenBridge –Varsha Shukla बाबा ब्राऊनबियर्ड khubsurat D #Life

15 Love

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Tarun Vij भारतीय

#OpenPoetry किरदार जो
किसी शांत पानी सा
गहरा घना। एक #हाइकु हर रोज।
हाइकु जापानी कविता का एक प्रकार है जिसमें लघु कविताएं लिखी जाती है जो कि मूलतः 575 के रूप में होती है। 
जिसमे अक्षर 5, 7,

एक #हाइकु हर रोज। हाइकु जापानी कविता का एक प्रकार है जिसमें लघु कविताएं लिखी जाती है जो कि मूलतः 575 के रूप में होती है। जिसमे अक्षर 5, 7, #Poetry #shortpoem #hindiwriters #lekhak #hindikavita #OpenPoetry #hiku #hikoo

7 Love

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N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey}
🍏 वे ही पुरुष भगवान श्री कृष्ण 
की भक्ति में लीन अपनी बुद्धि को
 आत्मनिष्ठ करके परब्रह्म की उपासना करते हैं। विद्या (ज्ञान) के ही प्रभाव से ब्रह्मरूपी वन का स्वरूप समझ में आता है। इस बात को जानने वाले मुनष्य इस वन में प्रवेश करने के उद्देश्य से शम (मनोनिग्रह) की ही प्रशंसा करते हैं, जिससे बुद्धि स्थिर होती है।

©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey}
🍏 वे ही पुरुष भगवान श्री कृष्ण 
की भक्ति में लीन अपनी बुद्धि को
 आत्मनिष्ठ करके परब्रह्म की उपासना करते हैं। विद्या

{Bolo Ji Radhey Radhey} 🍏 वे ही पुरुष भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन अपनी बुद्धि को आत्मनिष्ठ करके परब्रह्म की उपासना करते हैं। विद्या #selflove #विचार

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vishnu prabhakar singh

मुझमें भी एक जंगल है
जहाँ,इतना होने के उपरांत मूलतः घस रही है
मेरे धरती पुत्र होने की प्रवृति।
विचारों के जंगल से प्रकट हो चूका मैं
स्थापित लक्ष्य की ओर
उलझा हूँ,वीरान में
भेड़िया धँसान नहीं है,ऐसे जंगल में।
मुझमें घना जंगल है !
आओ घने जंगलवालों,
अनुशासित योग्यता के व्यवहार की बुद्धि रखने वालों
इतना होने के उपरांत मूलतः घस ही रही है !
अर्थात,वीरान में भी गुप्त रूप से कार्यरत है,
'कवि'।
 थोड़ा ज्यादा हो गया,,,नहीं यह पराकाष्ठा नहीं है !!

मुझमें भी एक जंगल है
जहाँ,इतना होने के उपरांत मूलतः घस रही है
मेरे धरती पुत्र होने की प्र

थोड़ा ज्यादा हो गया,,,नहीं यह पराकाष्ठा नहीं है !! मुझमें भी एक जंगल है जहाँ,इतना होने के उपरांत मूलतः घस रही है मेरे धरती पुत्र होने की प्र #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #विप्रणु

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अदनासा-

स्वयं के अस्तित्व हेतु  अपितु धरातल  ही चाहिए अतः 
संसार में  समस्त अस्तित्व को  स्वीकार कर लिया कर 
परंतु  प्रत्येक प्रश्न का  केवल एक उत्तर सरल है अंततः
संसार में समस्त का अस्तित्व स्थायी संभव ही नही है।

©अदनासा- #हिंदी #अस्तित्व #स्थायी #संभव #नही #धरातल #अंततः #Instagram #Facebook #अदनासा 
प्रस्तुत चित्र एवं चित्र पर शब्दों का चित्रण या वैचारिक काव्

#हिंदी #अस्तित्व #स्थायी #संभव #नही #धरातल #अंततः #Instagram #Facebook #अदनासा प्रस्तुत चित्र एवं चित्र पर शब्दों का चित्रण या वैचारिक काव्

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vishnu prabhakar singh

मिलजुल कर हल ढूंढते हैं
एकता में गौण बल ढूंढते हैं

समाज का समभाव ढूंढते हैं
सुरक्षा में प्रभाव ढूंढते हैं

परिवार का सीना ढूंढते हैं
प्यार में जीना ढूंढते हैं

पंचायत में विकास ढूंढते हैं
दीन का लबरेज आश ढूंढते हैं

महिला में रचना ढूंढते हैं
धीर-वीर का संरचना ढूंढते हैं

पुरूष में स्वाभिमान ढूंढते हैं
अस्तित्व का इंसान ढूंढते हैं

मिलजुल कर हल ढूंढते हैं
राष्ट्र का सम्बल ढूंढते हैं। हमारी मूलता सहयोग आश्रित!!



मिलजुल कर हल ढूंढते हैं
एकता में गौण बल ढूंढते हैं

समाज का समभाव ढूंढते हैं

हमारी मूलता सहयोग आश्रित!! मिलजुल कर हल ढूंढते हैं एकता में गौण बल ढूंढते हैं समाज का समभाव ढूंढते हैं #musings #yqdidi #YourQuoteAndMine #मिलजुलकर #miscellaneous #विप्रणु

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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

 दोस्तो "हिंदी दिवस"का नाम सुनता हुँ तो चेहरे पर एक खामोशी छा जाती है,,,,

ऊर्दु कलमकार" मुहोब्बत इकबाल "ने कहा है!


"हिंदी है हम"

आखिर क्य

दोस्तो "हिंदी दिवस"का नाम सुनता हुँ तो चेहरे पर एक खामोशी छा जाती है,,,, ऊर्दु कलमकार" मुहोब्बत इकबाल "ने कहा है! "हिंदी है हम" आखिर क्य

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vishnu prabhakar singh

सब छूट गया इस व्यापार में
विकास की गति यूँ तेज हुई
मानवता ही लुटा बाजार में

शक्ति सर चढ़ी इस संसार में
प्रबंध की मूलता यूँ व्यर्थ गई
जैसे विश्व शक्ति व्यभिचार में

राजनीति विफल है आचार में
भौतिकवाद एक आश है भाई
प्रारूप असंगत रहा विचार में

होड़ मची सुविधा की हजार में
पंचभूत धर्ममत में रहा हरजाई
प्रकृति गबन हो गई उपकार में

पक्ष-विपक्ष एक हुए सरकार में
नीति संविधान की पैरोकार हुई
इतनी ही जुगत लगी उद्धार में

आज एक पेशेवर है कतार में
न्यायसँगत्ता नैतिकता हवा हुई
जंगल राज है आज प्रचार में

लौकिक विषमता है तकरार में
संक्रमित बौद्धिकता है हावी हुई
जैविक शस्त्र के आविष्कार में

आज तरकश रीता है अहंकार में
दिगंत में हाहाकार है पूर्ण खोयी
कल्कि ही अशेष अब अवतार में। सतयुग आने वाला है!
☺️
#विप्रणु #yqdidi #yqbaba #musings #life 

सब छूट गया इस व्यापार में
विकास की गति यूँ तेज हुई
मानवता ही लुटा बाजार में

सतयुग आने वाला है! ☺️ #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #musings life सब छूट गया इस व्यापार में विकास की गति यूँ तेज हुई मानवता ही लुटा बाजार में

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vishnu prabhakar singh

'बस इतनी सी नागरिकता'

भाई दिमाग वालों का जमाना है
तुम नौ जवानों को तो सिर्फ जोश है
जोश में हो..श रहता..है ¿
जोश में बेहोश रहने वालों
दुनियाँ नींद में नहीं बदलेगी
आँख खोलो,सूझने के लिए नहीं
सुधरने के लिये
भेड़ियाधसान!
सब डॉक्टर,इंजिनियरे बन जाओ
बाप कमाया है,तुम बेवकूफ बन जाओ
पैसा कमाओ खूब उड़ाओ
मूवी में राष्ट्र गाण पर खड़े हो जाओ
राजनीति को दलगत देखो विचारधारा भूल जाओ
कर दे रहे हो,कान क्यूँ पकाओ
सौ फीसदी सही,सबका जिम्मा नाजुक कंधों पर कैसे
इसलिए अपना अपना जिम्मा उठाओ
आओ संविधान बचाओ,मूलता पर आवाज उठाओ
हाँ!क्या करोगे 9 से 9 के गिफ्ट में
वही जो एक कवि करता है शिफ्ट में
🙏 अनुशासन देश को महान बनाता है
(बहुत पुराना उक्ति है😎)
#cinemagraph #विप्रणु #yqdidi  #inspiration #miscellaneous #kumarrameshrahi 
#सत्यम_शिव

अनुशासन देश को महान बनाता है (बहुत पुराना उक्ति है😎) #cinemagraph #विप्रणु #yqdidi #Inspiration #miscellaneous #kumarrameshrahi सत्यम_शिव #सत्यम_शिवम_सुंदरम #वादविवाद

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vishnu prabhakar singh

क्यूँ कर विचार बनते व बिगड़ते हैं
क्यूँ कर मानव आहत हो सावधानी बरतता है
क्यूँ क्रोध आता है
क्यूँ प्रेम होता है
जीवन पर्यंत अनेक भाव से साक्षात्कार या नियति
या
केवल आश्रित जीवन चरित्र
क्षण हैं तो घटनायें होंगी
घटनायें घटेंगी तो अनुभव होगा
अनुभव बेहतर विचार बनेगा
विचार बनेंगे और बिगड़ेंगे
स्थिरता के अस्तित्व का क्या
स्थिरता जड़ता है
तो वृक्ष क्यूँ स्थिर
धार्मिक पुस्तकें क्यूँ स्थिर
इतिहास क्यूँ स्थिर
विनाश क्यूँ स्थिर
विकास का क्या
यह कैसा मूल मंत्र
जो दिवस एक में आहत किये बिना नहीं छोड़ता
क्यूँ मूलता को जंगल राज कह कर सम्बोधित करते हो
सुरक्षा के दृष्टिकोण से
व्यवस्था की सुरक्षा 
क्यूँ क्या व्यवस्था स्थिर है
या
स्थिरता का अस्तिव नहीं।
मानव एक विचित्र प्राणी मात्र है
पूरा खेल है
'प्रकृति'
पथ पर रहो यदि जीवन बितानी है
ऊंच नीच की निश्चलता लिये
विकल्प नहीं है...विकासशील है... मौज नहीं है
कथित सजगता ने उसे खा लिया है!

#विप्रणु #yqdidi #yqbaba #musings #life 
क्यूँ कर विचार बनते व बिगड़ते हैं
क्यूँ कर मानव आहत हो सा

मौज नहीं है कथित सजगता ने उसे खा लिया है! #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #musings life क्यूँ कर विचार बनते व बिगड़ते हैं क्यूँ कर मानव आहत हो सा

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