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Divyanshu Pathak
हम भारतीय विकास की बड़ी क़ीमत चुका रहे है ! आबादी की बेलगाम बढ़ोतरी अनियंत्रित अनियोजित औद्योगिकी करण ने कई शहरों को पर्यावरणीय नर्क का रूप दे दिया है ! तमाम नगर भी इसी राह पे चल रहे हैं! देश के '88' में से '75' जॉन बुरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं ! पवित्र नदियों का पानी पीने तो क्या नहाने लायक भी नहीं रह गया ! Panchhi🐣: सुनो....💕👴 यारा👰💕 क्या हम प्यार इश्क़ मोहब्बत बिरह में उलझ कर भावी जीवन की सम्भावनाओ को भी दम घोंट कर तबाह कर लेंगे ! Panchhi🐣: :आप
Divyanshu Pathak
21वीं सदी के इन 20 वर्षों में दुनिया के बाकी 142 देश शानदार प्रगति कर रहे हैं जिनमें - चीन ब्राजील रूस इंडोनेशिया तुर्की केन्या दक्षिण अफ्रीका के साथ हमारा भारत भी शामिल है । इस विकास की हमारे देश ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। आबादी की बेलगाम बढ़ोतरी और अनियंत्रित अनियोजित औद्योगिकीकरण ने कई शहरों को पर्यावरणीय नर्क बना डाला और तमाम नगर इसी राह पर चल रहे हैं। देश के 88 में से 75 जॉन बुरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं और पवित्र नदियों का पानी नहाने लायक भी नहीं बचा है। 💕🙏#नमस्कार 💕🙏 : बढ़ती जनसंख्या के दबाव और अंधाधुंध तरीके से औद्योगिकीकरण व शहरीकरण की मार झेल रहे हमारे देश में इन समस्याओं से निपटने के नाम
Sunita Naik
मला वाटलं नव्हत, आयुष्यात तुझ्यासारखा कोणी येईल. केलेल्या चांगल्या कामाचे पारितोषिक आहे तू. मी फुलावानी दररोज बहरते, त्याला कारण तू दिलेल्या प्रेमाचे खत आहे. तुझ्या समजून घेण्याने, माझ्या विस्वासावर विश्र्वास ठेवण्याने, माझा आत्मविश्वास वाढतो. तुझ्या अफाट प्रेमाने माणूसकी आणि प्रामाणिकपणा अजून वाढतो. गेली पाच वर्षे आपल्या माणसांचा दुरावा, त्याने आलेल्या तुझ्या मनात दुखत लाटाचे चटके, तु आम्हाला कधी लागू दिले नाही. आज तुझ्या यशाचे शिखर उभे आहे, त्याचे श्रेय फक्त तुलाच. आमचे भविष्य उज्ज्वल करण्यामागे, आणि स्वत:चे करिअर घडवण्यामागे, तुझी माणूसकी आणि तुझा संघर्ष आहे. भारी
JD
एक नदी बरसात के पानी से खारी हो गई..!! फ़िर समन्दर को उस नदी से यारी हो गई..!! कि थी जिसने परवरिश गैरों के बर्तन मांज कर..!! आज वो ही मां कई बेटों पे भारी हो गई..!! ***** #भारी
Urvashi Kapoor
टूटू पढ़ती थी घटाएं जिनकी आंखें देखकर.... वो, तरसते हैं भरी बरसात मे पानी के लिए.... ©Urvashi Kapoor #भारी बरसात....
sai mahapatra
घर से बाहर मत निकल बाहर कड़ा पहरा है थोड़ा सब्र रख अच्छे दिन आने वाला है आज से हमने बे मतलब मुस्कुराना बंद कर दिया है नहीं तो इए दुनिया पागल समझने लगता हमको मेरी बात मानो तो तुम भी कल से ईयू बे मतलब के टेहेलना कर दो बंद नहीं तो इए दुनिया चौकीदार समझने लगेगी तुमको आजकल बहत डराने लगे हो तुम हमको अब बहत हुआ अब छोड़ दो इए बचपना नहीं तो हद से गुजर जाना किसे कहते एक दिन दिखा देंगे हम तुमको एक आम आदमी का होता है सिर्फ़ उसके काम से और बढ़ती मंहगाई से बास्ता इस देश की सियासत और देश की अर्थव्यवस्था से उसका नहीं होता है दूर दूर से कोई रिश्ता आजकल हम समझ ने लगे है नियत तुम्हारी अब बहत हुआ अब सुधर जाओ नहीं तो इस बार पड़ेगा तुमको बहत भारी कवि_sai Mahapatra पड़ेगा भारी