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Dr.Vinay kumar Verma
gudiya
बहुत कोशिशों के बाद भी सम्हालता नही है दिल रूठ गया है खुद से ही अब मानता नहीं ये दिल फरेबी है ये दुनियां क्यूँ , क्यूँ खेलती है ज़ज़्बातों से बात इश्क़ की नही ,फक़त इश्क़ ही नही है यहाँ बात यहाँ कुछ रिश्तों की ,क्यूँ रिश्ता अब बिकना जारी है ज़ज्बात जिसकी पूंजी थी , ये पूंजी अब गया है हील व्यापार अब चरम पर है, क्यूँ रिशेदार हुवा व्यापारी है ! बहुत कोशिशों के बाद भी ,अब सम्हालता नही है दिल रूठ गया है खुद से ही ,अब मानता नहीं ये दिल । ©gudiya बहुत कोशिशों के बाद भी सम्हालता नही है दिल रूठ गया है खुद से ही अब मानता नहीं ये दिल फरेबी है ये दुनियां क्यूँ , क्यूँ खेलती है ज़ज़्बातों से
Anant Jain
Read in Captions a beautiful poem व्यसन (कविता) :- करती है सेहत को खराब, इसलिए नहीं पीनी चाहिए शराब, बिगाड़ देता है जीवन की दशा, इसलिए नहीं करना चाहिए नशा, करना चाहिए जलपान,
Ankit Boss golden heart
एक प्राचीन मन्दिर में दो प्रेमियों का मिलन और प्रेम प्रसंग ये बात आज से लगभग डेढ़ वर्ष पुरानी है! जब पहली बार दो प्रेमियों की पहली मुलाकात हुई, शर्मीले स्वर में कुछ मिठास भरी बात हुई! लड़के ने कहा,"आपकी लम्बाई कितनी है?" लड़की ने कहा,"5.2 इंच......" फिर धीमे से स्वर में कहा, "ऊंची हील की सैंडल पहन कर ऊंची हो जाऊंगी" ये थोड़ा हास्यास्पद रहा मगर यादगार रहा। यूँ बने प्यार के लम्हें, अक्सर जीवन के आखिर तक यादगार रहते हैं।। ~~अंकित ©Ankit Boss golden heart एक प्राचीन मन्दिर में दो प्रेमियों का मिलन और प्रेम प्रसंग ये बात आज से लगभग डेढ़ वर्ष पुरानी है! जब पहली बार दो प्रेमियों की पहली मुलाकात
Sangeeta Rathore (Shayra)
जब उसने दी पहली उडान!! (अनुशीर्षक में पढ़े) ●●● -s_r_writes ✍ मेरे होंठो की मुस्कान को भेद कर तुम्हारी नज़र कैसे जा पहुंची सैंडल की पट्टियों में दबी मेरे पैर की सबसे छोटी उंगली तक? तुम्हारे टोकने से पह
सुधांशु गौतम
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
धरती के लाल कहो हमको ,मिट्टी के लाल कहो हमको । जिस मिट्टी ने पाला हमको , अब उसका लाल कहो हमको ।। घर को भी हमने त्याग दिया ,रिश्तों से प्यार निकाल दिया । जा बैठे उस माँ की गोदी , औ कहके लाल पुकार लिया ।। जिसको भी प्यारे प्राण नहीं , उसका हमें महाकाल कहो धरती के लाल कहो हमको , मिट्टी के लाल कहो हमको १ मैं भारत माँ का बेटा हूँ ,जब सिंह सा मैं दहाड़ गया सुनकर सरहद पर गरज यहीं ,दुश्मन भी देखो हील गया इस धरती के हर कोने का ,अब जलती हुई मसाल कहो धरती के लाल कहो हमको ,मिट्टी के लाल कहो हमको ।।२ अब है दम तो दिखाए यहां, जिसने भी माँ का दूध पिया है कसम मुझे इस मिट्टी की , सीना ना उसका चीर दिया । मैं सुत हूँ दुर्गा काली का , मुझको अब उसका लाल कहो । धरती के लाल कहो हमको ,मिट्टी के लाल कहो हमको ।।३ जिस मिट्टी ने पाला हमको , अब उसका लाल कहो हमको । धरती के लाल कहो हमको , मिट्टी के लाल कहो हमको ।। २६/०७/२०२२ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR धरती के लाल कहो हमको ,मिट्टी के लाल कहो हमको । जिस मिट्टी ने पाला हमको , अब उसका लाल कहो हमको ।। घर को भी हमने त्याग दिया ,रिश्तों से प्या
Learning Hub
आपण प्रत्येकाला काही ना काही तरी शिकायचं असतं, मग ती नवीन भाषा असेल किंवा कौशल्य, एखादा विषय असेल किंवा कला ! ती गोष्ट शिकायची इच्छा खूप असू
Pankaj Singh Chawla
पर्किंग वाला प्यार भाग - 3 (Read in कैप्शन) पर्किंग वाला प्यार 3 सुनो! ध्यान से सुनना आगे... अजब गजब मोड़ आएंगे दिल थाम के रखना... वो रात फिर उसके ख़यालों में बीती... रात भर फ़ोन चेक करत
Hrishabh Trivedi
DDLJ 2.0 Chapter 2: Cigarette For chapter1, click here👉 #hr_ddlj एक अंधेरे कमरे में सन्नाटा पसरा हुआ है कि तभी अचानक से एक आवाज़ सुनाई देती है जो कि इस बात का सूचक होती