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Viku

#कहानियाँ📙 #l प्रेरक कहानियां

कहानियाँ📙 #L प्रेरक कहानियां

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plumber Mangilal Singharia

प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँ

प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँ

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Santosh Kumar

 तीन सच्चे मित्र है. बूढ़ी पत्नी  पुराना कुत्ता और पास का धन । मनुष्य के तीन सद्गुण है .  आशा  विश्वास और दान ।

©Santosh Kumar
  प्रेरक कहानियां

प्रेरक कहानियां #विचार

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RK GURJAR

प्रेरक कहानियां

प्रेरक कहानियां

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RIDHI SIDHI SANSHKRITI

#प्रेरक कहानियां

प्रेरक कहानियां

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Akhil Raj YADAV

दिल आमिर था पर मुकद्दर गरीब था
कुछ पाकर खोना और कुछ खोकर पाना तो अपना नसीब था
लेकिन ए खुदा बिन तेरे इजाजत का कुछ ना कर सका घर चलता रहा और समंदर भी करीब था

©Akhil Raj YADAV
  प्रेरक कहानियां

प्रेरक कहानियां

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Krishana Kumar

प्रेरक कहानियां

प्रेरक कहानियां

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beautiful lines

सबसे बड़ा गुरु ठोकर है 
खाते जाओगे
सीखते जाओगे

©B S kashyap प्रेरक कहानियां

प्रेरक कहानियां

7 Love

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Omprakash Op

उज्जलो मे तो मील ही
 जायेगा कोई न कोई।
तलाश उसकी करो जो 
अंधेरों मे भी साथ दे।

©Omprakash Op प्रेरक कहानियां 

#walkingalone

प्रेरक कहानियां #walkingalone

11 Love

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AASHISH CHOURSIYA

*आज कआ प्रेरक प्रसंग*
📔📔📔📔📔📔📔📔

       *अंहकार की सजा*


एक बहुत ही घना जंगल  🌳🌴🌲था। उस जंगल में एक आम 🍋 और एक पीपल 🍃 का भी पेड़ था। एक बार मधुमक्‍खी 🐝का झुण्‍ड उस जंगल में रहने आया, लेकिन उन मधुमक्‍खी के झुण्‍ड  🐝को रहने के लिए एक घना पेड़ 🌳 चाहिए था। 

रानी 👑 मधुमक्‍खी 🐝 की नजर एक पीपल के पेड़ पर पड़ी तो रानी मधुमक्‍खी ने पीपल के पेड़ से कहा, हे पीपल भाई, क्‍या में आपके इस घने पेड़ की एक शाखा पर अपने परिवार का छत्‍ता बना लु ❓

पीपल को कोई परेशान करे यह पीपल को पसंद नही  😠था। अंहकार के कारण पीपल ने रानी मधुमक्‍खी से गुस्‍से में 😡 कहा, हटो यहाँ से, जाकर कहीं और अपना छत्‍ता बनालो। मुझे परेशान मत करो।😤

पीपल की बात सुन कर पास ही खडे आम 🍋 के पेड़ ने कहा, पीपल भाई बना लेने दो छत्‍ता। ये तुम्‍हारी शाखाओं में सुरक्षित रहेंगी। 💫☀️

पीपल ने आम से कहा, तुम अपना काम करो, इतनी ही चिन्‍ता है तो तुम ही अपनी शाखा पर छत्‍ता बनाने के लिए क्‍यों नही कह देते ❓

इस बात से आम के पेड़ ने मधुमक्‍खी 🐝रानी से कहा, हे रानी मक्‍खी, अगर तुम चाहो तो तुम मेरी शाखा पर अपना छत्‍ता बना लो।

इस पर रानी मधुमक्‍खी ने आम के पेड़ का आभार व्‍यक्‍त किया और अपना छत्‍ता आम के पेड़ पर बना लिया।

समय बीतता गया और कुछ दिनो बाद जंगल में कुछ लकडहारे  आए उन लोग को आम का पेड़ दिखाई दिया और वे आपस में बात करने लगे कि इस आम  🍋के पेड़ को काट कर लकड़िया ले  लिया जाये।

वे लोग अपने औजार 🛠🪓 लेकर आम 🍋 के पेड़ को काटने चले तभी एक व्‍यक्ति ने ऊपर की और देखा तो उसने दूसरे से कहा, नहीं, इसे मत काटो। ❌ इस पेड़ पर तो मधुमक्‍खी का छत्‍ता है, कहीं ये उड गई तो हमारा बचना मुश्किल हो जायेगा।😱

उसी समय एक आदमी ने कहा क्‍यों न हम लोग ये पीपल का पेड़ ही काट लिया जाए इसमें हमें ज्‍यादा लकड़िया भी मिल जायेगी और हमें कोई खतरा भी नहीं होगा।

वे लोग मिल कर पीपल के पेड़ को काटने लगे। पीपल का पेड़ दर्द के कारण जोर-जोर से चिल्‍लाने लगा, 😩😫🥺😣😱😥 बचाओ-बचाओ-बचाओ….

आम  🍋को पीपल की चिल्‍लाने की आवाज आई, तो उसने देखा कि कुछ लोग मिल कर उसे काट रहे हैं।

आम के पेड़ ने मधुमक्‍खी से कहा, हमें पीपल के प्राण बचाने चाहिए….. आम के पेड़ ने मधुमक्‍खी से पीपल के पेड़ के प्राण बचाने का आग्रह किया तो मधुमक्‍खी ने उन लोगो पर हमला कर दिया, और वे लोग अपनी जान बचा कर जंगल से भाग गए।

पीपल 🍃🌳 के पेड़ ने मधुमक्‍खीयो  🐝को धन्‍यवाद दिया और अपने आचरण के लिए क्षमा मांगी।😔

तब मधुमक्‍खीयो 🐝 ने कहा, धन्‍यवाद हमें नहीं, आम के पेड़ को दो जिन्‍होने आपकी जान बचाई है, क्‍योंकि हमें तो इन्‍होंने कहा था कि अगर कोई बुरा करता है तो इसका मतलब यह नही है कि हम भी वैसा ही करे।

अब पीपल को अपने किये पर पछतावा 😭🥺😩😢 हो रहा था और उसका अंहकार भी टूट चुका था।  पीपल के पेड़ को उसके अंहकार की सजा भी मिल चुकी थी।

 *शिक्षा:- हमे कभी अंहकार नही करना चाहिए। जितना हो सके, लोगो के काम ही आना चाहिए, जिससे वक्‍त पड़ने पर तुम भी किसी से मदद मांग सको। जब हम किसी की मदद करेंगे तब ही कोई हमारी भी मदद करेगा।

©AASHISH CHOURSIYA प्रेरक कहानियां

#friends

प्रेरक कहानियां #friends

1 Love

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Omprakash Op

मै आज मां से  बात करना  अभी शुरू ही किया था 
 और सिर्फ इतना ही बोला था 
हैलो माई
उसने जवाब दिया 
खुश रहा.....
मै बड़ा सोच मे पड़ गया
अभी, मै प्रणाम भी नही किया 
और उसने आशीर्वाद दे दिया।
तब मुझे लगा की इस
दुनिया मे सिर्फ 
मां 
है,जो बिना शर्त के
 आपको सब  कुछ देने के लिए 
जीवन पर्यन्त आपके 
पीछे पड़ी रहती है।

©Omprakash Op #प्रेरक कहानियां


#oldage

प्रेरक कहानियां oldage

7 Love

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Omprakash Op

आज मै अपना घर जाना चा रहा था।
लेकिन नही जाऊंगा .....
नही जाने का मेरे पास कोई ठोस कारण भी नही है।
अपना शहर,अपना गांव,अपना घर किसको पसंद नही है।
 दुनिया के लोगो को होता होगा पसंद ...
लेकिन मुझे  तो नही है
आखिर पसंद क्यो आए?
आज तक मै अपने घर,अपने परिवार के हालात को बदलने में नाकाम रहा।
आज भी उस मिट्टी के घर मे एक मां जब बारिश होती है तो
जागते हुए पूरी रात बिताती है।
अपनी मां की बातो से बड़ा दंग रहता हूं।
वो  सोचती है,बाहर पढ़ने के लिए गया है तो ,
उसको बड़ा दिक्कत होती होगी।
एक या दो दिन पर किसी न किसी से फोन लगवाकर 
पूछ   ही लेती है,  हॉस्टल क खाना ठीक लागत बा की नही।
मां तो मां होती है। हमारी हो या किसी और की।
मुझे ज्यादा ख्वाइश नही है ।
बस उसका बुढ़ापा इससे बेहतर हो।

©Omprakash Op #प्रेरक कहानियां 

#adventure

प्रेरक कहानियां adventure

7 Love

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iakhilesh_tiwari

मिट्टी का मटका और परिवार की क़ीमत !
सिर्फ बनाने वाले को ही पता होती है, तोड़ने वाले को नहीं

©iakhilesh_tiwari
  #walkalone : प्रेरक कहानियां

#walkalone : प्रेरक कहानियां #समाज

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Pooja

orange string love light एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक छोटा सा लड़का नाम रामू रहता था। रामू बहुत ही खुशमिजाज और मस्तिकर था। वह हमेशा अपने गाँव के बच्चों के साथ खेलता और मस्ती करता था। 

एक दिन गाँव में एक मेला लगा। रामू ने अपने दोस्तों के साथ मेले में जाने का फैसला किया। मेले में उन्हें बहुत सारे रोचक खिलौने और मिठाईयाँ देखने को मिले। लेकिन सबसे ज्यादा उन्हें रोलरकोस्टर पसंद आया। रामू और उसके दोस्त ने रोलरकोस्टर पर बार-बार सवारी की और मजा लिया।

मेले के बाद, रामू ने अपने दोस्तों के साथ घर लौटने का निर्णय लिया। लेकिन जब वे घर पहुंचे, तो रामू ने अपनी बोर्डी और रिंग को खो दिया था। वह बहुत दुखी हो गया।

फिर रात को, रामू ने एक सपना देखा कि उसकी बोर्डी और रिंग उसे एक खुशी की ओर इशारा कर रही हैं। रामू ने सपना देखकर उन्हें ढूंढने का निर्णय लिया।

अगले दिन, रामू ने अपने दोस्तों के साथ मेले की जगह पर चला गया और वहाँ उसने अपनी बोर्डी और रिंग को पाया। रामू ने समझा कि सपना सच हो गया था। उसने अपने सपने के शुभ संकेत का धन्यवाद किया और खुशी-खुशी अपने गाँव के लिए लौट गया।

यहीं कहानी का अंत है, कि भलाई का संकेत कहीं भी हो सकता है, बस हमें उसे समझने की क्षमता होनी चाहिए।

©Dharam Pal # प्रेरक कहानियाँ

# प्रेरक कहानियाँ

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Kamal dabiya

*🎊आखिर सुख किसको है🎊*

बहुत ही रोचक और हृदय मै ज्ञान उत्पन्न करने वाली कहानी सभी पढ़े और अपने परिवार मै किसी एक को चर्चा करे इस कहानी का
          
     एक भिखारी किसी किसान के घर भीख माँगने गया। किसान की स्त्री घर में थी, उसने चने की रोटी बना रखी थी।किसान जब घर आया,उसने अपने बच्चों का मुख चूमा,स्त्री ने उनके हाथ पैर धुलाये,उसके बाद वह रोटी खाने बैठ गया।स्त्री ने एक मुट्ठी चना भिखारी को डाल दिया,भिखारी चना लेकर चल दिया।

    रास्ते में भिखारी सोचने लगा:- “हमारा भी कोई जीवन है? दिन भर कुत्ते की तरह माँगते फिरते हैं। फिर स्वयं बनाना पड़ता है। इस किसान को देखो कैसा सुन्दर घर है। घर में स्त्री हैं, बच्चे हैं, अपने आप अन्न पैदा करता है। बच्चों के साथ प्रेम से भोजन करता है। वास्तव में सुखी तो यह किसान है।

        इधर वह किसान रोटी खाते-खाते अपनी स्त्री से कहने लगा:-“नीला बैल बहुत बुड्ढा हो गया है,अब वह किसी तरह काम नहीं देता, यदि कही से कुछ रुपयों का इन्तजाम हो जाये,तो इस साल का काम चले। साधोराम महाजन के पास जाऊँगा,वह ब्याज पर दे देगा।”भोजन करके वह साधोराम महाजन के पास गया।बहुत देर चिरौरी बिनती करने पर 1रु.सैकड़ा सूद पर साधों ने रुपये देना स्वीकार किया। एक लोहे की तिजोरी में से साधोराम ने एक थैली निकाली।और गिनकर रुपये किसान को दे दिये।

         रुपये लेकर किसान अपने घर को चला,वह रास्ते में सोचने लगा-”हम भी कोई आदमी हैं, घर में 5 रु.भी नकद नहीं।कितनी चिरौरी विनती करने पर उसने रुपये दिये है।साधो कितना धनी है,उस पर सैकड़ों रुपये है“वास्तव में सुखी तो यह साधो राम ही है।साधोराम छोटी सी दुकान करता था,वह एक बड़ी दुकान से कपड़े ले आता था।और उसे बेचता था।

        दूसरे दिन साधोराम कपड़े लेने गया,वहाँ सेठ पृथ्वीचन्द की दुकान से कपड़ा लिया।वह वहाँ बैठा ही था,कि इतनी देर में कई तार आए कोई बम्बई का था।कोई कलकत्ते का, किसी में लिखा था 5 लाख मुनाफा हुआ,किसी में एक लाख का।साधो महाजन यह सब देखता रहा,कपड़ा लेकर वह चला आया।रास्ते में सोचने लगा“हम भी कोई आदमी हैं,सौ दो सौ जुड़ गये महाजन कहलाने लगे। पृथ्वीचन्द कैसे हैं,एक दिन में लाखों का फायदा “वास्तव में सुखी तो यह है,उधर पृथ्वीचन्द बैठा ही था, कि इतने ही में तार आया कि 5 लाख का घाटा हुआ। वह बड़ी चिन्ता में था,कि नौकर ने कहा:-आज लाट साहब की रायबहादुर सेठ के यहाँ दावत है। आपको जाना है,मोटर तैयार है।” पृथ्वीचन्द मोटर पर चढ़ कर रायबहादुर की कोठी पर चला गया।वहाँ सोने चाँदी की कुर्सियाँ पड़ी थी, रायबहादुर जी से कलक्टर-कमिश्नर हाथ मिला रहे थे। बड़े-बड़े सेठ खड़े थे।वहाँ पृथ्वी चन्द सेठ को कौन पूछता,वे भी एक कुर्सी पर जाकर बैठ गया।लाट साहब आये,राय बहादुर से हाथ मिलाया,उनके साथ चाय पी और चले गये।

       पृथ्वी चन्द अपनी मोटर में लौट रहें थे,रास्ते में सोचते आते है, हम भी कोई सेठ है 5 लाख के घाटे से ही घबड़ा गये।राय बहादुर का कैसा ठाठ है, लाट साहब उनसे हाथ मिलाते हैं।“वास्तव में सुखी तो ये ही है।”
         
    अब इधर लाट साहब के चले जाने पर रायबहदुर के सिर में दर्द हो गया,बड़े-बड़े डॉक्टर आये एक कमरे वे पड़े थे।कई तार घाटे के एक साथ आ गये थे।उनकी भी चिन्ता थी,कारोबार की भी बात याद आ गई। वे चिन्ता में पड़े थे,तभी खिड़की से उन्होंने झाँक कर नीचे देखा,एक भिखारी हाथ में एक डंडा लिये अपनी मस्ती में जा रहा था। राय बहदुर ने उसे देखा और बोले:-”वास्तव में तो सुखी यही है,इसे न तो घाटे की चिन्ता न मुनाफे की फिक्र, इसे लाट साहब को पार्टी भी नहीं देनी पड़ती सुखी तो यही है।”

        शिक्षा

   इस कहानी से हमें यह पता चलता है, कि हम एक दूसरे को सुखी समझते हैं।पर वास्तव में सुखी कौन है, इसे तो वही जानता है।जिसे आन्तरिक शान्ति है।जिसे आन्तरिक सुकून है, आप चाहे भिखारी हो चाहे करोड़पति हो। लेकिन आप के मन में जब तक शांति नहीं है तब तक आपको सुकून नहीं मि

©Kamal dabiya
  प्रेरण कहानियां

प्रेरण कहानियां #प्रेरक

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Vandana Singh

महापुरुषों की कहानी वंदना की जुबानी - आज के महापुरुष जगतगुरु शंकराचार्य
Part -1

#ChuskiKeSaath

महापुरुषों की कहानी वंदना की जुबानी - आज के महापुरुष जगतगुरु शंकराचार्य Part -1 #ChuskiKeSaath #समाज

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Gopi Kumar Prajapati

चिल की कहानी
एक चिल का जिवन लगभग 70 वर्ष होता है ,मगर 70 वर्ष जिने के लिए बहूत सर्घस करना पडता है!चिल की आंख उपर से ही अपना सिकार देख लेता है.उसके बाद वह अपने पैरो से सिकार को ले जाता है ओर अपनी चोच से उस सिकार को खा सके!मगर 30-40 वर्ष होते ही चिल का चोच लम्बा तथा पखं बडा व पैर का नाखून बडा हो जाता है जिसके कारन वह अपना सिकार नही कर पाता है.तब चिल 30 वर्ष ओर जिने के लिए वह अपना चोच को पत्थर मे पटकर तोडता है ओर तब उसे नए चोच आता है फिर पैर का नाखून तोडता है उसके बाद पखं को उखाडता है क्योकी नया हो जाता है इसके कारन वह 5 माह तक भूखा रहता है जब एक जानवर इतना कर सकता है तो मनुष्य क्यो? नही सर्घस कर सकता क्यो आत्महत्या करता है!

©Gopi Kumar Prajpati प्रेरक कहानियाँ

#hills

प्रेरक कहानियाँ #hills

8 Love

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Dhurup Singh

#Help प्रेरक कहानियाँ

#Help प्रेरक कहानियाँ

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arvind kumar

0️⃣9️⃣❗0️⃣2️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣3️⃣

*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*

         *!! लोभ नर्क का द्वार है.. !!*
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एक बड़ा जमींदार था। उसके मन में आया कि अपनी कुछ जमीन गरीबों को बांटनी चाहिये। एक लोभी मनुष्य उसके पास पहुंचा और कहने लगा, “मुझे जमीन चाहिये।” जमींदार ने कहा, “ठीक बात है, सूर्योदय से चलना प्रारंभ करो। सूर्यास्त तक वहीं वापस लौटो। उस घेरे में जितनी भी जमीन आ जायगी, वह सब तुम्हारी होगी।”
   
प्रारंभ के स्थान पर निशान गाडकर वह आदमी चलने लगा। उसने सोचा कि बड़ा लम्बा घेरा लूंगा तब बहुत अधिक जमीन मिलेगी। वह दौड़ा बिना रुके, बिना विश्राम किये वह दौड़ता रहा। भोजन तो क्या उसने पानी तक नहीं पिया। अभी वह बिना मुड़े आगे ही बढ़ता जा रहा था। जब सूरज भगवान अस्ताचल की ओर झुके, तब वह घबराया। मैं तो बहुत दूर चला आया हूं, अब सूर्यास्त के पूर्व प्रारंभ के स्थान पर भला कैसे पहुंचूंगा ? वहां तक नहीं पहुंचूंगा तो घेरा अधूरा रह जायगा और मुझे कुछ भी नहीं मिलेगा। इस कल्पना मात्र से वह बहुत व्यथित हुआ और भूखा प्यासा होते हुए भी वह जी जान से दौड़ने लगा। वह हांफने लगा। उसके पैर लड़खड़ाने लगे। उधर सूर्यास्त हो रहा था, इधर इस आदमी के प्राण भी अस्त हो रहे थे। वह मूर्च्छित हुआ और शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त हुआ।
   
लोगों को जब पता चला तब वे वहां आ पहुंचे। उसे श्मशान में ले जाया गया। उसे गाड़ने के लिये केवल साढ़े तीन हाथ जगह पर्याप्त रही।

*शिक्षा:-*
हमें लालच नहीं करना चाहिए। जितना हमें प्राप्त है, उसी में संतुष्ट रहना चाहिए। लोभ-लालच के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए, इससे अनिष्ट ही होता है..!!
 
*सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।*
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️


[🍃🌾🌾

          *09 FEBRUARY 2023*

         🦋 *आज की प्रेरणा* 🦋
 
तीन चीजें एक बार चले जाने के बाद वापस नहीं आते -
        1. बीता हुआ समय
        2. बोला गया शब्द और
        3. खोया हुआ अवसर

*आज से हम* समय, शब्द और अवसर का सदुपयोग करें...

💧 *TODAY'S INSPIRATION* 💧

Three things you can't recover in life -
      1. Time, after it's wasted;
      2. Word, after it's said; and
      3. Opportunity, after it's missed.

*TODAY ONWARDS LET'S* use our time, words and opportunities wisely...

🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃

©arvind kumar
  आज का प्रेरक कहानियां

आज का प्रेरक कहानियां

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Shani kumar

बीता हुआ कल् तुम्हारे दिमाग् मे है..और् आने वाला कल् तुम्हारे हांथ मे है।।

©Shani kumar
  #Silence #प्रेरक #कहानियां #शार्ट

Silence प्रेरक कहानियां शार्ट

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Rohit thakur

"बादाम खाने से उतनी अक्ल नहीं आती,
जितनी धोखा खाने से आती है !!"
🌹🍁🌳🌲🍃🌿🌸🎋🍂🎍🍀

©Rohit thakur प्रेरक कहानियाँ 

#Roses

प्रेरक कहानियाँ #Roses

6 Love

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GR choudhary Osian

चल जिंदगी एक नही शुरुआत करते हैं, जो हमारे बिना खुश है उन्हें आजाद करते हैं..!

©GR choudhary Osian प्रेरक कहानियाँ

#YouNme

प्रेरक कहानियाँ #YouNme

6 Love

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अनुपम कोरी

प्रेरक कहानिया

#HeartfeltMessage

प्रेरक कहानिया #HeartfeltMessage

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Shani kumar

साथ् रहने क हुनर् ताले से सीखिये टूट जायेगा,मगर् अपनी चाबी नही बद्लेगा ।

©Shani m
  #ramleela #प्रेरक् कहानियां

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Shani kumar

#प्रेरक् #कहानियां #वीडियो
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Kamal dabiya

            *!! समाज की ताकत !!*
~~~~~~~

एक आदमी था, जो हमेशा अपने समाज में सक्रिय रहता था। उसको सभी जानते थे, बड़ा मान सम्मान मिलता था। अचानक किसी कारणवश वह निश्क्रिय रहने लगा, मिलना-जुलना बंद कर दिया और समाज से दूर हो गया।

कुछ सप्ताह पश्चात् एक बहुत ही ठंडी रात में उस समाज के मुखिया ने उससे मिलने का फैसला किया। मुखिया उस आदमी के घर गया और पाया कि आदमी घर पर अकेला ही था। एक बोरसी में जलती हुई लकड़ियों की लौ के सामने बैठा आराम से आग ताप रहा था। उस आदमी ने आगंतुक मुखिया का बड़ी खामोशी से स्वागत किया।

दोनों चुपचाप बैठे रहे। केवल आग की लपटों को ऊपर तक उठते हुए ही देखते रहे। कुछ देर के बाद मुखिया ने बिना कुछ बोले, उन अंगारों में से एक लकड़ी जिसमें लौ उठ रही थी (जल रही थी) उसे उठाकर किनारे पर रख दिया और फिर से शांत बैठ गया।

मेजबान हर चीज़ पर ध्यान दे रहा था। लंबे समय से अकेला होने के कारण मन ही मन आनंदित भी हो रहा था कि वह आज अपने समाज के मुखिया के साथ है। लेकिन उसने देखा कि अलग की हुए लकड़ी की आग की लौ धीरे धीरे कम हो रही है। कुछ देर में आग बिल्कुल बुझ गई। उसमें कोई ताप नहीं बचा। उस लकड़ी से आग की चमक जल्द ही बाहर निकल गई।

कुछ समय पूर्व जो उस लकड़ी में उज्ज्वल प्रकाश था और आग की तपन थी वह अब एक काले और मृत टुकड़े से ज्यादा कुछ शेष न था। 

इस बीच... दोनों मित्रों ने एक दूसरे का बहुत ही संक्षिप्त अभिवादन किया, कम से कम शब्द बोले। जाने से पहले मुखिया ने अलग की हुई बेकार लकड़ी को उठाया और फिर से आग के बीच में रख दिया। वह लकड़ी फिर से सुलग कर लौ बनकर जलने लगी, और चारों ओर रोशनी और ताप बिखेरने लगी।

जब आदमी, मुखिया को छोड़ने के लिए दरवाजे तक पहुंचा तो उसने मुखिया से कहा मेरे घर आकर मुलाकात करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आज आपने बिना कुछ बात किए ही एक सुंदर पाठ पढ़ाया है कि अकेले व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं होता, समाज का साथ मिलने पर ही वह चमकता है और रोशनी बिखेरता है। समाज से अलग होते ही वह लकड़ी की भाँति बुझ जाता है।

*शिक्षा:-*
मित्रों,समाज से ही हमारी पहचान बनती है।इसलिए समाज हमारे लिए सर्वोपरि होना चाहिए।समाज के प्रति हमारी निष्ठा और समर्पण किसी व्यक्ति के लिए नहीं,उससे जुड़े विचार के प्रति होनी चाहिए..!!
   *🙏🏻🙏🏽🙏जय जय श्री राधे*🙏🏿🙏🏾🙏🏼
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