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Neeraj Upadhyay 9548637485
Bhakti Kathayen
Bhakti Kathayen
Divya Joshi
किशोर राम शिव धनुष कठोर कैसे जुड़े सिय संग प्रीत की डोर सहज भाव शिव सम्मुख कर जोड़ राम मुस्काए शिव धनुष को तोड़ हरष हरष देव पुष्प बरसाएँ आओ सखी स्वयंवर में मंगल गाएँ ©Divya Joshi श्री राम-सीता विवाह किशोर राम शिव धनुष कठोर कैसे जुड़े सिय संग प्रीत की डोर सहज भाव शिव सम्मुख कर जोड़ राम मुस्काए शिव धनुष को तोड़
VD GK STUDY
Shaarang Deepak
Shaarang Deepak
Mo. Asiph
अम्बर से तारे लाने वाले ॥ ख्वाबो का चमन सजाने वाले ॥ दिल की बात बताने वाले ॥ रूप देख हरषाने वाले ॥ अपना पता बता के जाना ॥ लौट के फिर न आने वाले ॥ ✍️✍️ मतलबी #We_are_all_broken अम्बर से तारे लाने वाले ॥ ख्वाबो का चमन सजाने वाले ॥ दिल की बात बताने वाले ॥ रूप देख हरषाने वाले ॥ अपना पता बता के जाना ॥
Neha Pathak
जय जय गिरिराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी॥ जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनी दुति गाता॥ देवी पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥ मोर मनोरथ जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबही के॥ कीन्हेऊं प्रगट न कारन तेहिं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं॥ बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मुरति मुसुकानि॥ सादर सियं प्रसादु सर धरेऊ। बोली गौरी हरषु हियं भरेऊ॥ सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥ नारद बचन सदा सूचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा!! मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो। करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥ एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।
PARBHASH KMUAR
रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्। पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।। भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्। रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।। सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं। आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।। इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्। मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।। मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों। करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।। एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली। तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।। जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।। Prabhash Kumar ©parbhashrajbcnegmailcomm रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्। पट्पीत मानहु