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राजेश गुप्ता'बादल'
मुझको शैतानी पर डांट कर खुद ही देती रो, मां भी एक कुम्भकार है संस्कार डालती जो। मुझको शैतानी पर डांट कर खुद ही देती रो, मां भी एक कुम्भकार है संस्कार डालती जो।
Anchal Tiwari
ईश्वरः पाषाणे लभ्यते किन्तु मानवः मनुष्ये न लभ्यते। वयं ईश्वरं वदामः यत् भवता निर्मिते जगति भवतः किमपि किमर्थं न प्राप्नुमः।परन्तु किं वयं स्वयमेव तेषां सदृशाः भवितुम् अर्हति। पत्थर में ईश्वर मिल सकता है लेकिन मनुष्य में मनुष्य नहीं मिलता । हम ईश्वर से कहते हैं कि आप की बनाई इस दुनिया मे कोई आप सा क्यों नही मिलता, परंतु क्या हम खुद उनके जैसा बन पाते हैं। हर हर महादेव ❤️ ©Anchal Tiwari ईश्वरः पाषाणे लभ्यते किन्तु मानवः मनुष्ये न लभ्यते। वयं ईश्वरं वदामः यत् भवता निर्मिते जगति भवतः किमपि किमर्थं न प्राप्नुमः।परन्तु किं वयं स
Kavi Rahul Kumbhkar
मैंने चिड़िया लिखा गुड़िया लिखा लिक्खा ख़ुशबू- प्रश्न ये आया था कि बेटी के पर्याय लिखो । - राहुल कुम्भकार मैंने चिड़िया लिखा गुड़िया लिखा लिक्खा ख़ुशबू- प्रश्न ये आया था कि बेटी के पर्याय लिखो । - राहुल कुम्भकार आप सभी को बेटी दिवस की हार्दिक शुभकाम