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Anand Dadhich
अलसाई साँझ युद्ध के बाद ये अलसाई साँझ, लिपटी हुई है निराशा से, फटी हुई है हताशा से, घिरी है मारक विमानों से, डरी है घातक निशानों से, सनी है हांपती दीवारों से, डरी है कांपती मीनारों से, भरी है धूल के गुबारो से, धधकते हुए अंगारो से, कुबुद्धिजिवीयों के विचारों से। युद्ध के बाद इस अलसाई साँझ में, व्याप्त है देह के टुकड़े, ध्वस्त है नेह के मुखड़े, कौन परास्त हुआ, पता नहीं पर निसंदेह आज, कई सूरज उजड़े । साँझ अलसाई इसलिए भी है कि- अब भी कोई औजार बना रहा है, कोई गर्म बाजार बना रहा है, कौन समूल नष्ट होगा, पता नहीं पर मानव आज, गलत विचार बना रहा है । युद्ध के बाद अलासाई साँझ, प्रतिक्षा कर रही है... अपनी वो मोहक साँझ देखने को। कवि आनंद दाधीच,भारत ©Anand Dadhich #अलसाई_साँझ #युद्ध #war #poemsonwar #kaviananddadhich #poetananddadhich #SAD
Suman Rakesh Shah
...... इक प्यारी अलसाई सुबह...Good Morning Doston 🤗😍💛 #हिन्दी #लेखक #हिन्दी_काव्य_कोश #हिन्दीकविता #हिन्दीदिवस #सहित्य #yqdidi
Bharat Bhushan pathak
यहाँ धुँध घनेरी रातों में,अलसाई सी छाई थी। भयभीत हृदय हो जाता था,मन भी मेरे भायी थी।। ©Bharat Bhushan pathak #onenight यहाँ धुँध घनेरी रातों में,अलसाई सी छाई थी। भयभीत हृदय हो जाता था,मन भी मेरे भायी थी।।
Sunita Bishnolia
आज साँझ कुछ थकी थकी सी लगी लू के थपेड़ों से अलसाई धूल भरी आँधी में में लिपटी बोझिल पलकों से आँखों को छुपाती आज साँझ कुछ थकी थकी सी लगी राह में सुस्ताने को कोई ठोर भी तो नहीं मिला पसीने से नहाई,थोड़ी सी अनमनी आज साँझ कुछ थकी थकी सी लगी #साँझ #hindi आज साँझ कुछ थकी थकी सी लगी लू के थपेड़ों से अलसाई धूल भरी आँधी में में लिपटी बोझिल पलकों से आँखों को छुपाती आज साँझ कुछ थकी
Poetry with Avdhesh Kanojia
Happy Lohri Wishes लोहड़ी की आपको बहुत बहुत बधाई अलसाई आँखें जागी नींद कोसों दूर भागी जाना जब लोहड़ी की भोर चढ़ आई है। मूँगफली रेवड़ी के भार घर घर आये लोहड़ी के गीत हमें दे रहे सुनाई है। है शीत का प्रकोप तुच्छ और उत्साह उच्च भान नहीं कोहरे की चादर जो छाई है। लोहड़ी का पर्व शुभ आये ले आनन्द खूब बार बार लोहड़ी की आपको बधाई है। ✍️अवधेश कनौजि ©Avdhesh Kanojia लोहड़ी की आपको बहुत बहुत बधाई अलसाई आँखें जागी नींद कोसों दूर भागी जाना जब लोहड़ी की भोर चढ़ आई है। मूँगफली रेवड़ी के भार घर घर आये लोहड़ी के गी
Poetry with Avdhesh Kanojia
लोहड़ी की आपको बहुत बहुत बधाई अलसाई आँखें जागी नींद कोसों दूर भागी जाना जब लोहड़ी की भोर चढ़ आई है। मूँगफली रेवड़ी के भार घर घर आये लोहड़ी के गीत हमें दे रहे सुनाई है। है शीत का प्रकोप तुच्छ और उत्साह उच्च भान नहीं कोहरे की चादर जो छाई है। लोहड़ी का पर्व शुभ आये ले आनन्द खूब बार बार लोहड़ी की आपको बधाई है। #lohri #poem #poetry #poemtime #कविता #life लोहड़ी की आपको बहुत बहुत बधाई अलसाई आँखें जागी नींद कोसों दूर भागी जाना जब लोहड़ी की भोर चढ़ आई
Vandana
सुप्रभात एक सुबह ढूंढ रही थी मुझको चुपके से कह रही थी कानों में,,,,, भोर भई अब नैन खोलो आकर हमसे मिलो,,,,,,, देखो बाहर कितना सुंदर दृश्य छाया है पं
OMG INDIA WORLD
Nojoto गुलाबी #होंठों_की_जुम्बिश और नशीली आँख का जादू महकती हुई #जुल्फों_के_साये तले सुहानी रात का जादू 🔵🔵🔵🟤 मेरे #आगोश_की_ज़द में है तुम्हारा #शरमाया_सा_चेहरा तेरे थरथराते हुए दोनों #_लबों_से__सुरीली बात का जादू 🟤🟤🟤🔵 वो तेरा #मुस्कुराना फिर #शरमा_कर_पलकें झुका लेना और तेरे #शोख_बदन पर हावी #जवां_जज़्बात का जादू 🔵🔵🔵🟤 तेरी #अलसाई_आँखों में चाहत #हद_से_गुज़र जाने की और #मद्धिम_सी_रोशनी में #प्यार_की_बरसात का जादू 🟤🟤🟤🔵 हाँ #मुद्दतें__बीत__गईं हैं मुझे तुमसे #बिछड़े हुए लेकिन नहीं उतरा है अब तक मेरे सिर से #पहली__रात का जादू 🔵🔵🔵🟤 🟨🟩🟦🟪🟥🟫🟧 ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD गुलाबी #होंठों_की_जुम्बिश और नशीली आँख का जादू महकती हुई #जुल्फों_के_साये तले सुहानी रात का जादू 🔵🔵🔵🟤 मेरे #आगोश_की_ज़द म
Rakesh Tiwari
स्मृतियाँ में पिछले वर्ष का इक पन्ना जोड़ आया हूँ नववर्ष के नए सफर का श्री गणेश कर आया हूँ अलसाई सी ठिठुरती सुबह में आँखें सेक आया हूँ नववर्ष की पहली धूप की ओस की बूंदे चख आया हूँ जिन तक हम न पहुँचे जो न हम तक पहुँच पाये है उन्हें मन ही मन मे शुभकामनाएं भेज आया हूँ बहुत मिलते है लोग जमाने मे आगे भी मिलते रहेंगें जो दिल में पैवस्त हैं उन्हें थपकियाँ दे आया हूँ 🍁राकेश तिवारी🍁 स्मृतियाँ में पिछले वर्ष का इक पन्ना जोड़ आया हूँ नववर्ष के नए सफर का श्री गणेश कर आया हूँ अलसाई सी ठिठुरती सुबह में आँखें सेक आया हूँ नववर्
Pushpvritiya
नींदें आई थी मगर नींदें आई नही, पलक अधखुली मैंने जगाई नही, कि....थकन को जी रही मैं अलसाई रही, उधड़ी सिलवटें मैंने सजाई नही.......... झाँका ओट से.... झरोखों से निहारा भी, सब श्वेत...श्यामल स्याह मैं...लजाई नही.... पसरी रही वो स्याह सन्नाटे वहीं पहरो तलक, लसरा रहा टीका....कि लगाई नही, उधड़ी सिलवटें मैंने सजाई नही.......... कि......... मुझमें ही ढला था और मुझमें ही जला था, वो दिवा भी सांझ प्रिया संग मिलन को चला था, कि.......यूं मिलन की बात विरहन को सुहाई नही, उधड़ी सिलवटें मैंने सजाई नही.......... @पुष्पवृतियां . . ©Pushpvritiya #विरहन नींदें आई थी मगर नींदें आई नही, पलक अधखुली मैंने जगाई नही, कि....थकन को जी रही मैं अलसाई रही, उधड़ी सिलवटें मैंने सजाई नही..........