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Rajesh rajak
अक्टूबर 1999में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन(w i p o), की महासभा में २६ अप्रैल को वार्षिक विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया था। ©Rajesh rajak विश्व बौद्धिक संपदा सूचकांक 2019में भारत 53देशों की सूची में 36,०4के स्कोर के साथ 36वें स्थान पर था,
Ek villain
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि संसार में दो प्रकार के मनुष्य पाए जाते हैं एक देवी संपदा से संपन्न और दूसरा आसुरी संपदा वाले ब्रह्म दृष्टि से दो समान होते हैं पर इनमें स्वभाव आगत अंतर पाया जाता है देवी संपदा से संपन्न व्यक्ति आप भी अंत करण की शुद्धी स्वाध्याय सरलता सत्य क्रोध त्याग दया आदि गुणों से संपन्न होता है वही सब के हित में सुबह का जीवन समर्पित कर देता है जबकि उसके विपरीत साहित्य विषय भोग और अन्य पूर्वक संचालन की का मान रखने वाले अधूरी स्वभाव वाले होते हैं वह स्वयं के अहित के साथ दूसरों का भी अहित करते हैं जैसे एक आलू भूमि में स्वयं को समर्पित कर अनेक आलू के उत्पाद धन का कारण बनता है जबकि दूसरा सरकार अपने आसपास अन्य लोगों को भी थोड़ा देता है ठीक वैसे ही देवी संपदा वाले व्यक्ति अपने कृत्यों से दूर के अध्ययनों का आधार बनते हैं जबकि असुरी संपत्ति वाले दूसरों के विनाश का कारण बनते हैं ©Ek villain #देवी संपदा #Navraatra
HP
मनुष्य जीवन में प्राप्त हो सकने वाली सम्पदाओं में सफलता को, सिद्धि को सर्वोपरी सम्मान दिया गया है। इस महान सम्पदा को हर कोई चाहता है, प्रत्येक व्यक्ति इच्छा करता है कि अमुक काम में सफलता प्राप्त करूं परन्तु इन चाहने वालों में से बहुत कम लोग सफल मनोरथ हो पाते हैं। कारण यह है कि जो वस्तु जितनी ही उत्तम है वह उतने ही कठिन प्रयास से मिलती है। जिनमें दृढ़ता, साहस, पौरुष, पराक्रम लगन की परिश्रम शीलता है वे ही इस सम्पदा के अधिकारी होते हैं। साधना से सिद्धि मिलती है। जो लोग एकाग्रता पूर्वक अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहते हैं वे ही विजयीश्री को प्राप्त करते हैं। सिद्धि रूपी संपदा-साधकों को ही मिलती है ?
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी अंदाज हम जीवन में अपने खुद के लगा लेते है सीमित सोच बनाकर अहंकार की प्रवर्ती बना लेते है कई रहस्य छिपे है ब्रम्हाण्ड में पोषित जीवन काल तक करते है हवा पानी चाँद सूरज जरा गुल हो जाये हाहाकार धरती के प्राणी करते है धन संपदा तो ऊपरी आवरण है भौतिकता के आविष्कार कर खुशहाल जीवन नही कर सकते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #mountain धन संपदा तो ऊपरी आवरण है #nojotohindi
Pushpendra Singh Rajput
तुम्हारी मेहंदी का गाढ़ा रंग चूडियों की खन-खन पायलों की छन-छन महावर के लाल-लाल घेरे बिंदी सिंदूर कुंडल, सब प्रसाधन सौंदर्य के ये तो सब तुम्हारे साथ दहेज में जा चुके थे "किसी और" के हिस्से में मेरे पास तो सिर्फ रह गयी थी तुम्हारी तस्वीरें सूना आँगन कमरे का खालीपन सीढियों पर मौन धारे बैठी उदासी बेरंग सी बगिया और मुझसे लड़ती मेरी अंतरात्मा के,कुछ हिस्से जो अब टूट चुके हैं यही अब मेरी संपदा है यही मेरी विरासत है P. S. Rajput तुम्हारे प्रेम की संपदा #shadesoflife