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डाॅ राजेश हालुवासिया
शिक्षक ही शिक्षक का जब करता हो अपमान। ऐसे में, कैसे हो शिक्षा का उत्थान? जब तक जाति, भाई, भतीजा और बहना को अधिमान। ऐसे में, कैसे हो शिक्षा का उत्थान? जब तक अपनी मर्जी के आगे नियमों का देते बलिदान। ऐसे में, कैसे हो शिक्षा का उत्थान? शिक्षा का उत्थान?
Ram Kumar Baiga
उत्थान सखी के द्वारा बैठक रजिस्टर चेक करने संबंधित चर्चा ग्राम पंचायत बदना | ©Ram Kumar Baiga #उत्थान
Sneh Prem Chand
काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं, और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष, अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम #Hope
Narendra Naresh Rawat
महत्वहीन है वो ज्ञान जो स्वयं तक ही सीमित हो जाये।। ज्ञान का वास्तविक महत्व किताबों से बाहर निकलकर व्यवहारिक जीवन में उतरकर समाज के उत्थान से है।। जो ज्ञान अपने अतिरिक्त कुछ और देख नही पाता वह एक दिन नष्ट हो ही जाता है।। जबकि समाज के उत्थान हेतु उपयोग में लाया गया ज्ञान ही स्थायी होता है।। _NARENDRA_SINGH सामाजिक उत्थान से है ज्ञान का वास्तविक महत्व।।
Ram Kumar Baiga
गौठान में उत्थान सखी के द्वारा (खाद )निर्माण कार्य करते हुए फोटो ©Ram Kumar Baiga #गौठान #उत्थान #खाद
Prakash Shukla
उन्नति के शिखर में निहारें तुम्हें शीर्ष पर हो चरण हम पखारें उन्हें हाॅ हिमालय से ऊँचा तू सरताज बन दुनिया का गुरू हम पुकारें तुम्हें यूँ विवशता की शूली में लाचार बन जातियों में उलझकर न व्यापार बन साथ लो साथ दो बे़झिझक हर कदम राष्ट्र निर्माण का पुण्य आधार बन फूट में टूट बिख़रे हजारों जगह नेक नेतृत्व चुनकर नकारें इन्हें उन्नति के शिखर में निहारें तुम्हें शीर्ष पर हो चरण हम पखारें उन्हें हाॅ हिमालय से ऊँचा तू सरताज बन दुनिया का गुरू हम पुकारें तुम्हें कृत विफलता सफलता की सीढी़ बने रखो आदर्श उत्कृष्ट पीढी़ बने बन सफलता की कुँजी लक्ष्य संधान कर हर एक श्रमदानी मंजिल की ड्योढी़ बने तो निखर आए पथ की नवीनीँ परत जो हों प्रारब्ध उलझे सुधारें उन्हें उन्नति के शिखर में निहारें तुम्हें शीर्ष पर हो चरण हम पखारें उन्हें हाॅ हिमालय से ऊँचा तू सरताज बन दुनिया का गुरू हम पुकारें तुम्हें आत्मनिर्भर बनो आत्मचिंतन करो जो सहज़ राष्ट्र हित हेतु उसको चुनो व्यर्थ चिंता को त्यागो और आगे बढो़ नित् बनों यत्नशील यत्न करते रहो भागीदारी हो सबकी लघु कणों की तरह आशा का मोती बनाकर सँवारें इन्हें उन्नति के शिखर में निहारें तुम्हें शीर्ष पर हो चरण हम पखारें उन्हें हाॅ हिमालय से ऊँचा तू सरताज बन दुनिया का गुरू हम पुकारें तुम्हें राष्ट्र उत्थान की कल्पना