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Er.ABHISHEK SHUKLA
एक सपना जादू से हकीकत में नहीं बन सकता। इसमें पसीना दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से सीचना पड़ता है। ©Er.ABHISHEK SHUKLA एक सपना जादू से हकीकत में नहीं बन सकता। इसमें पसीना दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से सीचना पड़ता है। #nojoto #motivationalquotesinhindi #ab
Harshita Dawar
शक की बारिश में क्यूं भीगना है जो सीचना है वहीं भोगना है धुलते पन्नों पर फिके अक्षर हैं अपनी समझ से मिलना या बिछड़ना हैं शक की बारिश में क्यूं भीगना है जो सीचना है वहीं भोगना है धुलते पन्नों पर फिके अक्षर हैं अपनी समझ से मिलना या बिछड़ना हैं Jazzbaat e Harshita
Humdard Yaaro Kaa
#NationalMaritimeDay 🔥MR.S करता रह तू मेहनत कभी ना कभी तो रंग लाएगी जो तू आज खो रहा है। वो सब कल ज़िंदगी देके जाएगी । तुझे खुद से जितना है सूरज की रोशनी में अपने आप को सीचना है । (तेरी लड़ाई अपने आप से है ) . ©M.R RITIK SINGH करता रह तू मेहनत कभी ना कभी तो रंग लाएगी जो तू आज खो रहा है। वो सब कल ज़िंदगी देके जाएगी । तुझे खुद से जितना है सूरज की रोशनी में अपने आप
दि कु पां
कुछ रिश्ते प्रेम के होते हैं, कुछ स्वार्थ के, कुछ खून के होते हैं... परन्तु हर रिश्तों को सीचना मोहब्बत के पानी से ही पड़ता है, और जीवन पर्यन्त वही निभ पातें है जहां स्वार्थ नहीं होता है.. कुछ रिश्ते प्रेम के होते हैं, कुछ स्वार्थ के, कुछ खून के होते हैं... परन्तु हर रिश्तों को सीचना मोहब्बत के पानी से ही पड़ता है, और जीवन पर्
M Furkan Ahmad
#गज़ल.. ज़ाम-ऐ-मौत भी दवा होता गर तुने प्यार से दिया होता शायरी ही बया हैं करती सब इश्क़ वरना तो बे-ज़ुबा होता ईट दर ईट सीचना लहु से पत्थरों का नहीं मका होता बात तो ठीक हैं तुम्हारी भी मैं ना होता तो दूसरा होता सोचता देखकर ज़नाज़े को ये ज़नाज़ा ना क्यों मिरा होता मैं मचलता नहीं अदाओ पे मैं मचलता तो मर गया होता आप अश्को से क्यों बया करते ज़ख्म होठो से गर बया होता तुम गए मिल तो ठीक हैं वरना ज़िन्दगी जीना तो सज़ा होता दिल दिमाग ने बना डाला इश्क़ वरना कहाँ बुरा होता सोच होती दिमाग की ये तो शख्स कोई कहाँ भला होता वो अगर चाहते तो फ़िर क्यों ना ख़त्म किस्सा भी कर दिया होता रुकता कुछ तो देर हो सकता मेरा लहज़ा बदल गया होता... (बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून) फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन 2122 1212 22 #गज़ल.. ज़ाम-ऐ-मौत भी दवा होता गर तुने प्यार से दिया होता शायरी ही बया हैं करती सब इश्क़ वरना तो बे-ज़ुबा होता ईट दर ईट सीचना लहु से
Dr Reet
सोचती हूं ये ज़िन्दगी........ जाने क्यूं हैं........... कोई खत्म कर रहा हैं इसे खुदकी जान लेकर.... तो कोई लड़ रहा इसे बचाने लाखो पैसे देकर।। प्यार परिवार रिश्तों के खातिर कोई अपना मान दे रहा हैं।। तो वहीं............. चंद सिक्को के खातिर कोई किसी की जान ले रहा हैं।। सोचती हूं ये ज़िन्दगी............. जाने क्यूं हैं................. परिवार हैं फिर भी देखो लोग नया परिवार बनाने चले हैं।। कोई बैठा खामोश कहता की हम अकेले भले हैं।। सोचती हूं ये ज़िन्दगी....... जाने क्यूं हैं......... रिश्तों के भंवर में उलझे लोग सोच नहीं पाते।। कहते हैं कि हमारा वंस आगे हम क्यों नहीं ले जाते।। कुछ वक़्त निकाल कर एक बार सोचना।। क्या वो परिवार हमारा नहीं जिसने ज़िन्दगी देकर सिखाया हमें भी इसे सीचना।। सोचती हूं ये ज़िन्दगी जाने क्यूं हैं........... कोई ख़ुश हैं ,अपनों को रुलाके खुशियां पाकर ।। तो दूजा रो रहा हैं परायो का दर्द अपनाकर।। कोई सबकुछ पाकर भी और पाने की चाह रखते हैं।। रुकते नहीं बस पैसे कमाने को चलते रहने वाले राह रखते हैं।। शायद यही ज़िन्दगी हैं रीत।। तबतक ये अपनी चाहतों को रोक नहीं पाती जब तक सांस रुक नहीं जाती।। Dr Reet✍️✍️✍️✍️ सोचती हूं ये ज़िन्दगी........ जाने क्यूं हैं........... कोई खत्म कर रहा हैं इसे खुदकी जान लेकर.... तो कोई लड़ रहा इसे बचाने लाखो पैसे देकर।
Dr Reet
सोचती हूं ये ज़िन्दगी........ जाने क्यूं हैं........... कोई खत्म कर रहा हैं इसे खुदकी जान लेकर.... तो कोई लड़ रहा इसे बचाने लाखो पैसे देकर।। प्यार परिवार रिश्तों के खातिर कोई अपना मान दे रहा हैं।। तो वहीं............. चंद सिक्को के खातिर कोई किसी की जान ले रहा हैं।। सोचती हूं ये ज़िन्दगी............. जाने क्यूं हैं................. परिवार हैं फिर भी देखो लोग नया परिवार बनाने चले हैं।। कोई बैठा खामोश कहता की हम अकेले भले हैं।। सोचती हूं ये ज़िन्दगी....... जाने क्यूं हैं......... रिश्तों के भंवर में उलझे लोग सोच नहीं पाते।। कहते हैं कि हमारा वंस आगे हम क्यों नहीं ले जाते।। कुछ वक़्त निकाल कर एक बार सोचना।। क्या वो परिवार हमारा नहीं जिसने ज़िन्दगी देकर सिखाया हमें भी इसे सीचना।। सोचती हूं ये ज़िन्दगी जाने क्यूं हैं........... कोई ख़ुश हैं ,अपनों को रुलाके खुशियां पाकर ।। तो दूजा रो रहा हैं परायो का दर्द अपनाकर।। कोई सबकुछ पाकर भी और पाने की चाह रखते हैं।। रुकते नहीं बस पैसे कमाने को चलते रहने वाले राह रखते हैं।। शायद यही ज़िन्दगी हैं रीत।। तबतक ये अपनी चाहतों को रोक नहीं पाती जब तक सांस रुक नहीं जाती।। सोचती हूं ये ज़िन्दगी........ जाने क्यूं हैं........... कोई खत्म कर रहा हैं इसे खुदकी जान लेकर.... तो कोई लड़ रहा इसे बचाने लाखो पैसे देकर।
Shilpi Signodia
बंगला एक खूबसूरत सा, ( कहानी)⬇️ बंगला एक खूबसूरत सा, छिपा था झाड़ियों की ओट में, मानों कह रहा हो, दूर रहो, न आना करीब मेरे । खोजना मुश्किल था उसको, पर जिसने खोज लिया, कैस
GURJASPAL SINGH
कहानी सोचते है हम कुछ और होता है कुछ चले थे एक नए सफर पर जवानी के सारे मज़े झोड़ कर पकड़ ली थी मेहनत की डोर... पकड़ ली थी मेहनत की डोर... सोचा थ
thvachl ;
वो पहली सी आखरी मोहब्बत....................................................................♡. फ़िर कहते या ना कहते प्रिए , तुमने तो फ़िर भी इन्कार किया .. ये बताओ , इश्क़ किया या फ़िर कोई गुनाह किया .. जैसे भी थे जिंदा तो थे , इस इश्क़