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कुमार दीपेन्द्र
#MessageOfTheDay चलि रहल जेठक दुपहरिया बंद दुपहिया बंद चौबटिया कौआ, बौआ, बंद घर में तड़पैत माछ जेना तपैत जऽल में घुमि रहल जेना धूरी पर पहिया चलि रहल जेठक दुपहरिया छत्ता, लोटा लेने हाथ में जोन, गिरहत खेत चलल साथ में तैक रहल मोन गाछक छाह जनानीक् मुख सँ निकलल आह् पर्यावर्णक लेलक जेना रुद्र प्रभाव हिलैत नै देखब पात् वटोहिया चलि रहल जेठक दुपहरिया घोघ हटौलक कानियाँ बहुरिया घर अंगना में जेना काटे आहुरिया जेठक कारण जडल माथे बुढ़िया आमक रस संग अमरस्सा नींद खेलू महामारी में सब कनिया– पुतरा चलि रहल जेठक दुपहरिया सिहैर सिहैर जेना हवा बहल बरखा बुन्नी जेना पडल निकलल मेघ जेना रंगीत करिया ठहर रहल जेना भरित सँ भरिया चलि रहल जेठक दुपहरिया रचना_ कुमार दीपेन्द्र ✍️✍️ ©Deependra jha चलि रहल जेठक दुपहरिया बंद दुपहिया बंद चौबटिया कौआ, बौआ, बंद घर में तड़पैत माछ जेना तपैत जऽल में
संगीत कुमार
होली का मौसम आ गया अंदर बाहर रंग छा गया तन भी भींगा मन भी भींगा रंग से मिजाज़ बदल गया होली का मौसम---- पराया भी अपना हुआ प्रेम का रंग चढने लगा जीजा साली में मेल हुआ देवर भाभी एक हुआ होली का मौसम----- मर्द जनानी सब संग हुआ होली का रंग सबके मन में छा गया फागुन का महीना आ गया ढोल नगाड़ा बजनें लगा होली का मौसम---- चौक चौराहा पर टोली सजने लगा रंग अबीर सब मिल खेलने लगा बैठ , जाम से जाम टकरा रहा रंगों का नशा चढ गया होली का मौसम----- राजा रंग सब एक हुआ ऊंच नीच का न भेद रहा एक साथ सब रंग खेल रहा मिष्ठान मिल सब बांट रहा होली का मौसम----- गोरे काले में न फर्क रहा सब एक रंग मे दिख रहा सब का चेहरा बदल गया कोई न पहचान में आ रहा होली का मौसम आ गया अंदर बाहर रंग छा गया ©संगीत कुमार #holikadahanहोली का मौसम आ गया अंदर बाहर रंग छा गया तन भी भींगा मन भी भींगा रंग से मिजाज़ बदल गया होली का मौसम---- पराया भी अपना हुआ प्रे
संगीत कुमार
होली का मौसम आ गया अंदर बाहर रंग छा गया तन भी भींगा मन भी भींगा रंग से मिजाज़ बदल गया होली का मौसम---- पराया भी अपना हुआ प्रेम का रंग चढने लगा जीजा साली में मेल हुआ देवर भाभी एक हुआ होली का मौसम----- मर्द जनानी सब संग हुआ होली का रंग सबके मन में छा गया फागुन का महीना आ गया ढोल नगाड़ा बजनें लगा होली का मौसम---- चौक चौराहा पर टोली सजने लगा रंग अबीर सब मिल खेलने लगा बैठ , जाम से जाम टकरा रहा रंगों का नशा चढ गया होली का मौसम----- राजा रंग सब एक हुआ ऊंच नीच का न भेद रहा एक साथ सब रंग खेल रहा मिष्ठान मिल सब बांट रहा होली का मौसम----- गोरे काले में न फर्क रहा सब एक रंग मे दिख रहा सब का चेहरा बदल गया कोई न पहचान में आ रहा होली का मौसम आ गया अंदर बाहर रंग छा गया ©संगीत कुमार वर्णबाल #होली का मौसम आ गया अंदर बाहर रंग छा गया तन भी भींगा मन भी भींगा रंग से मिजाज़ बदल गया होली का मौसम---- पराया भी अपना हुआ प्रेम का रंग चढ
संगीत कुमार
होली का मौसम आ गया अंदर बाहर रंग छा गया तन भी भींगा मन भी भींगा रंग से मिजाज़ बदल गया होली का मौसम---- पराया भी अपना हुआ प्रेम का रंग चढने लगा जीजा साली में मेल हुआ देवर भाभी एक हुआ होली का मौसम----- मर्द जनानी सब संग हुआ होली का रंग सबके मन में छा गया फागुन का महीना आ गया ढोल नगाड़ा बजनें लगा होली का मौसम---- चौक चौराहा पर टोली सजने लगा रंग अबीर सब मिल खेलने लगा बैठ , जाम से जाम टकरा रहा रंगों का नशा चढ गया होली का मौसम----- राजा रंग सब एक हुआ ऊंच नीच का न भेद रहा एक साथ सब रंग खेल रहा मिष्ठान मिल सब बांट रहा होली का मौसम----- गोरे काले में न फर्क रहा सब एक रंग मे दिख रहा सब का चेहरा बदल गया कोई न पहचान में आ रहा होली का मौसम आ गया अंदर बाहर रंग छा गया ©संगीत कुमार #happyholiहोली का मौसम आ गया अंदर बाहर रंग छा गया तन भी भींगा मन भी भींगा रंग से मिजाज़ बदल गया होली का मौसम---- पराया भी अपना हुआ प्रेम
संगीत कुमार
होली का मौसम आ गया अंदर बाहर रंग छा गया तन भी भींगा मन भी भींगा रंग से मिजाज़ बदल गया होली का मौसम---- पराया भी अपना हुआ प्रेम का रंग चढने लगा जीजा साली में मेल हुआ देवर भाभी एक हुआ होली का मौसम----- मर्द जनानी सब संग हुआ होली का रंग सबके मन में छा गया फागुन का महीना आ गया ढोल नगाड़ा बजनें लगा होली का मौसम---- चौक चौराहा पर टोली सजने लगा रंग अबीर सब मिल खेलने लगा बैठ , जाम से जाम टकरा रहा रंगों का नशा चढ गया होली का मौसम----- राजा रंग सब एक हुआ ऊंच नीच का न भेद रहा एक साथ सब रंग खेल रहा मिष्ठान मिल सब बांट रहा होली का मौसम----- गोरे काले में न फर्क रहा सब एक रंग मे दिख रहा सब का चेहरा बदल गया कोई न पहचान में आ रहा होली का मौसम आ गया अंदर बाहर रंग छा गया ©संगीत कुमार होली का मौसम आ गया अंदर बाहर रंग छा गया तन भी भींगा मन भी भींगा रंग से मिजाज़ बदल गया होली का मौसम---- पराया भी अपना हुआ प्रेम का रंग चढन
अशेष_शून्य
"यूहीं चलते चलते" कॉलोनी में एक छोटी सी दुकान है जिसको संभालने की जिम्मेदारी एक 8- 9 साल के बच्चे (छोटू) पर है । मैं अक्सर छोटी मोटी जरूरत की चीजें लेने वहां